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नरेश गोयल को इन दिनों विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस के सपने आ रहे होंगे. क्योंकि उनकी एयरलाइंस जेट एयरवेज का हाल किंगफिशर एयरलाइंस के खस्ताहाल दिनों की याद दिला रहा है.
विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस के साथ भी 2010 में ऐसा कुछ हुआ था. एयरलाइंस ने सर्विस टैक्स चुकाने में डिफॉल्ट किया. कर्मचारियों का टीडीएस जमा नहीं किया. एविएशन फ्यूल की उधारी बढ़ गई तो कंपनियों ने एटीएफ देना बंद कर दिया. नतीजा 2012 आते आते किंगफिशर पूरी तरह जमीन पर खड़ी हो गई
खैर बात करते हैं नरेश गोयल की. वो संकट से निकलने की जितनी कोशिश कर रहे हैं उतने ही नई मुसीबतें सामने आ रही हैं. अचानक ऐसा क्या हुआ?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक जेट एयरवेज को हर तरफ से थपेड़े लग रहे हैं. पहले इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी सस्ती एयरलाइंस के कंपिटीशन की वजह से टिकट सस्ते करने पड़े और उस पर महंगे एटीएफ ने बाकी कसर पूरी कर दी.
जेट एयरवेज पर इस वक्त 9430 करोड़ रुपए का कर्ज है. जो उसके मुनाफे का 55 गुना ज्यादा है. पिछले साल ये फर्क सिर्फ 5 गुना था.
हालत ये है कि जेट एयरवेज के पास ब्याज की व्यवस्था करने में भी दिक्कत हो रही है. जानकारों को डर है कि कंपनी के खाते खाली हैं इसलिए अपनी देनदारी चुकाने में डिफॉल्ट भी कर सकती है.
जेट एयरवेज को मार्च 2019 तक 3120 करोड़ रुपयों का लोन चुकाना है.
भरे हुए एयरपोर्ट देखकर लगता है कि भारत के सभी 125 करोड़ लोगों ने उड़ने का फैसला कर लिया है. देश में घरेलू एयर ट्रैफिक 17.6 परसेंट बढ़ गया है. एयरपोर्ट यात्रियों से भरे हुए हैं तो फिर एयरलाइंस घाटे में क्यों हैं कि 121 विमानों वाली जेट सैलरी का खर्च, ब्याज तक नहीं निकाल पा रही है.
जेट एयरवेज को उड़ते रहने के लिए फौरन 3500 करोड़ रुपए की जरूरत है. लेकिन किंगफिशर से हाथ जला बैठे बैंक अब एयरलाइंस के धंधे में आसानी से पैसा देने को तैयार नहीं. स्टेट बैंक जो कि पहले ही उसे 2000 करोड़ रुपए का लोन दे चुका है. अब कह रहा है कि जेट पहले अपना रिवाइवल का प्लान बताए फिर देखेंगे.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक जेट के पास एयरलाइंस चलाने के लिए कैश बहुत कम बचा है.
रिसर्च एजेंसी ICRA के मुताबिक जेट पर 9430 करोड़ रुपयों का कर्ज है. और हाथ में सिर्फ 321 करोड़ रुपए है.
एयर इंडिया और इंडिगो के फाइनेंशियल ऑडिट के बाद डायरेक्टरेट ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) जेट एयरवेज का भी ऑडिट करेगा. इसका मकसद ये देखना है कि जेट की वास्तविक आर्थिक स्थिति कैसी है?
जेट एयरवेज की दलील है कि महंगे एटीएफ की वजह से ऑस्ट्रेलिया की कैथे पेसिफिक और सिंगापुर एयरलाइंस भी दिक्कत में हैं.
मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की दूसरी एयरलाइंस जेट एयरवेज दिक्कत में फंसी तो टिकट की कीमत महंगे होने तय हैं.
लेकिन अपनी स्थिति ठीक करने के लिए जेट टिकट के दाम बढ़ा नहीं सकती क्योंकि कंपिटीशन की वजह से वो इस हालत में नहीं है.
जेट का मुश्किल से निकलना यात्रियों के लिहाज से भी जरूरी है. वरना टिकट महंगे होंगे, कंपिटीशन घटेगा और उभरता हुआ एविएशन सेक्टर दोबारा मुश्किल में फंस जाएगा.
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