Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019माइक्रोसॉफ्ट-TikTok डील: क्या टिकटॉक की भारत में हो सकती है वापसी?

माइक्रोसॉफ्ट-TikTok डील: क्या टिकटॉक की भारत में हो सकती है वापसी?

टिक टॉक के भारतीय कारोबार की कीमत 1000 करोड़ डॉलर मतलब करीब 75000 करोड़ डॉलर आंकी गई है.

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दिग्गज अमेरिकी IT कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, चायनीज वायरल वीडियो एप टिक टॉक का दुनियाभर में फैला कारोबार खरीदने की कोशिश में है. ये जानकारी इस डील से जुड़े हुए लोगों ने फाइनेंशियल टाइम्स अखबार को बताई हैं. एक निवेशक ने टिक टॉक के भारतीय कारोबार की कीमत 1000 करोड़ डॉलर मतलब करीब 75000 करोड़ डॉलर आंकी है.

माइक्रोसॉफ्ट ने रविवार को कहा कि वो चीनी कंपनी टिक टॉक के मालिक बाइट डान्स के साथ बातचीत कर रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े स्टार्टअप माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वो अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में टिक टॉक सर्विस खरीदने पर चर्चा कर रहा है.

माइक्रोसॉफ्ट-टिकटॉक डील में भारत कहां?

इसी के बाद से चर्चा तेज है कि टिक टॉक दुनियाभर में जहां भी मौजूद है उनको भी माइक्रोसॉफ्ट अपनी डील में शामिल कर सकती है. भारत टिकटॉक का सबसे बड़ा मार्केट है. सेंसर टावर डाटा के मुताबिक भारत में करीब 6.5 करोड़ लोग टिक टॉक यूज करते हैं. लेकिन भारत के साथ सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ी और भारत ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए टिक टॉक समेत 59 चीनी एप्स को भारत में बैन कर दिया.

इस डील से टिक टॉक के चीनी एक होने का तमगा हटेगा

माइक्रोसॉफ्ट के टिक टॉक को खरीदना का कारण ये भी बताया जा रहा है कि एक ऐसे वक्त में जब भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं तब अगर एक चीनी कंपनी टिकटॉक को एक अमेरिकी कंपनी खरीद लेती है तो इस पर से चीनी एप होने का तमगा हटा जाएगा. इसमें माइक्रोसॉफ्ट का हित भी जुड़ा हुआ है, फेसबुक, ट्विटर, गूगल ये सारी कंपनियां सोशल मीडिया के क्षेत्र में भारी निवेश किए हुए है. माइक्रोसॉफ्ट भी टिक टॉक को खरीदकर सोशल मीडिया के मैदान पर अपने पैर जमाने की जुगत कर रही है.

फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट और टिक टॉक के बीच जिस डील पर बातचीत चल रही है अगर वो सफल नहीं भी होती है तो बाइट डान्स अपने कारोबार को किसी दूसरे विदेशी या फिर घरेलू खरीदार को भी बेच सकती है. इसमें टिक टॉक अपना टेक्नोलॉजी लाइसेंस कंपनी के नाम पर ट्रांसफर करते हुए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर काम कर सकती है.

हालांकि टिकटॉक भारत में लौटेगी या नहीं, ये सिर्फ इस माइक्रोसॉफ्ट-टिकटॉक डील पर निर्भर नहीं करता है. भारत सरकार के बैन के आदेश में कहीं भी चीन का जिक्र नहीं है. यानी अगर टिकटॉक माइक्रोसॉफ्ट की हो जाती है तो भी भारत सरकार से मंजूरी के बाद ही भारत में आएगी.
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इंडिया टिक टॉक की वैल्यू करीब 75000 करोड़ रुपये

टिक टॉक को लेकर भारत में गजब की दीवानगी है. चीन के साथ तल्खी के बाद एक को भले ही बैन कर दिया हो लेकिन इसके क्रिएटर और कंटेट कंज्यूमर इसी तरह के दूसरे एप की तरफ से भाग रहे हैं. इसका साफ मतलब ये है कि टिक टॉक को लोग भुला नहीं पा रहे हैं. इंडिया कोटिएंट के फाउंडिंग पार्टनर आनंद लुनिया ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया है कि टिक टॉक इंडिया को 1000 करोड़ डॉलर मतलब करीब 75000 करोड़ रुपये की वैल्यू पर आंका जा सकता है.

ट्रंप की टिक टॉक को बैन करने की चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिक टॉक को अमेरिका में बैन करने की धमकी दी है कि टिक टॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है और कहा है कि 15 अगस्त तक अगर टिक टॉक कंपनी खुद को किसी अमेरिकन कंपनी को नहीं बेच देती तो उसे बैन कर दिया जाएगा. कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने टिक टॉक को धमकी इसलिए दी है ताकि वो कम कीमत पर माइक्रोसॉफ्ट के साथ डील के लिए राजी हो जाए.

टिकटॉक की सरकार की चिंता दूर करने की कोशिश

भारत में टिक टॉक ने सुरक्षा को लेकर कई सारे वादे किए लेकिन सरकार ने सारे वादों को दरकिनार करते हुए टिक टॉक को बैन किया. टिक टॉक ने भारत में लाखों डॉलर का निवेश किया हुआ है और कई सारे क्रिएटर्स तैयार किए हैं. पिछले हफ्ते टिक टॉक ने भारत की सरकार सवालों के बाद अपना जवाब पेश किया है. कंपनी कोशिश कर रही है कि सरकार के साथ सारे मुद्दों जैसे प्राइवेसी, डाटा शेयरिंग पर सफाई दी जाए.

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Published: 07 Aug 2020,05:27 PM IST

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