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देश के जाने-माने उद्योगपति और Infosys के पूर्व सीईओ मोहनदास पई ने कहा है कि इंडस्ट्री अब और ज्यादा झटके बर्दाश्त नहीं कर सकती. इंडस्ट्री को एक से बढ़ कर एक झटके दिए जा रहे हैं.पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी, आईबीसी और इसके बाद रेरा की वजह से उद्योगों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. IL&FS संकट के बाद एनबीएफसी कंपनियां मुसीबत में पड़ गई हैं. बाजार में लिक्वडिटी नहीं है. धंधा करने के लिए पैसा नहीं है. इसलिए इकनॉमी को और झटके की जरूरत नहीं है. सरकार को यह समझना होगा.
आरिन कैपिटल्स के चेयरमैन पई ने कहा कि ऑटो इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अप्रैल से सभी गाड़ियां को BS-VI उत्सर्जन के मुताबिक ही चलेंगी. इंडस्ट्री को इसके लिए बदलाव करने पड़ रहे हैं. उन पर काफी दबाव है. ऊपर से IRDA ने गाड़ी खरीदने वालों के लिए पांच साल का इंश्योरेंस अनिवार्य कर दिया है. रोड टैक्स बढ़ गया है. इन दबावों के चलते गाड़ियों की बिक्री कम हो गई है. ऊपर से सरकार ई-व्हेकिल को बढ़ावा देने के लिए ऑटो इंडस्ट्री पर दबाव बनाए हुए है. लेकिन यह काम धमकी देकर नहीं हो सकता. पई ने कहा
पई ने कहा, ‘’पीएम ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में कहा - हमें लॉन्ग टर्म सोचना चाहिए. सभी उद्योगपतियों को लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर विश्वास है. लेकिन इसके लिए शॉर्ट टर्म में सुधार करने होंगे. अभी इकनॉमी की हालत बहुत खराब है. रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर की हालत बहुत नाजुक है. ये नौकरी पैदा करने वाले सबसे बड़े सेक्टर हैं. भारी टैक्स की वजह से 30 हजार उद्योगपति बाहर चले गए.’’
पई के मुताबिक, देश में लिक्विडिटी संकट है. एनबीएफसी कंपनियां बाजार में पैसा देती थी. लेकिन आईएलएफएस संकट के बाद एनबीएफसी कंपनियों को पैसा वापस करना पड़ा. अब बाजार में पैसा नहीं है. ऐसे में कोई बिजनेस कैसे करेगा. इसलिए इंडस्ट्री अब बड़े झटके की स्थिति में नहीं है. सरकार को अभी झटके देने वाले बदलाव बंद करने होंगे. साथ ही सरकार को दबाव देकर काम करने की नीति बंद करनी होगी.
मोहन दास पई ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में ग्रोथ कम हो गई थी.इसी वक्त ऑटो सेक्टर में संकट शुरू हो गया था. फिर जनवरी-मार्च की तिमाही में इकनॉमी ग्रोथ रेट घट कर 5.8 फीसदी हो गया. इसके बाद अप्रैल से जून की तिमाही में इस ग्रोथ के घट कर 5.6 फीसदी हो जाने की आशंका है.
मई में चुनाव हुए. इसके बाद संसद चली. कश्मीर की समस्या आई. इसमें वक्त निकल गया. अब जुलाई-सितंबर तिमाही में भी ग्रोथ की उम्मीद नहीं दिखती. अब अगर सरकार कुछ करे तो उसका असर चौथी तिमाही में होगा.अगर इस साल ग्रोथ 5.8 या 6 फीसदी रही तो अगले चार साल सरकार को और काम करना होगा. लिहाजा सरकार को अब ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे. अब सरकार लोगों को अपने विश्वास में ले और इकनॉमी को रफ्तार देने के कदम उठाए.
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