advertisement
HDIL, वो कंपनी जिसपर आरोप लग रहा है कि खुद तो डूबी ही, अपने साथ PMC बैंक को भी डुबा दिया. आज PMC के हजारों खाताधारक मुसीबत में हैं तो इसलिए क्योंकि बैंक ने अपने कुल लोन का 73% जिस HDIL को दे दिया वो खुद बैठ गई. तो क्या है HDIL की कहानी? ये कंपनी क्या करती है? क्यों डूब गई? और आखिर क्यों PMC बैंक ने डिफाल्ट के बाद भी HDIL को लोन देना जारी रखा? और इस हद तक देना जारी रखा कि खुद डूब गया.
1996 में बनी HDIL यानी हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड मुख्य तौर पर मुंबई और उसके आसपास के इलाके में रियल एस्टेट के कारोबार में है. कंपनी ने कई स्लम को खाली करवा कर प्रोजेक्ट डेवलप किए हैं. कंपनी की आमदनी का एक बड़ा सोर्स ये रहा है कि कंपनी स्लम की जमीन डेवलप करती है और निर्माण का अधिकार किसी और को बेच देती है.
किसी जमाने में HDIL मार्केट वैल्यू के हिसाब से देश की तीसरी सबसे रियल एस्टेट कंपनी थी. लेकिन कुछ महीने पहले डूबने लगी. IL&FS ने भी HDIL में निवेश किया था, तो HDIL के डूबने के कारण IL&FS का पतन और तेज हुआ. HDIL ने PMC बैंक से ही नहीं, कई और बैंकों से भी लोन लिया हुआ है. और इसके कारण कई बैंक भी मुसीबत में आ गए.
इस साल HDIL के शेयर 85% गिरे हैं. बैंक ऑफ इंडिया ने HDIL के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की याचिका नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में डाल रखी है. वजह है ये कि वादे के मुताबिक HDIL अगस्त 2019 तक बैंक का 522 करोड़ का कर्ज नहीं चुका पाई. इसके बाद HDIL ने नेशनल कंपनी लॉ अपिलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में पनाह ली. 26 सितंबर को NCLAT ने HDIL के देनदारों की कमेटी बनाने से 13 नवंबर तक रोक लगाई है, जब इस मामले की सुनवाई होगी.
बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही जम्मू-कश्मीर बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, सिंडिकेट बैंक और इंडियन बैंक ने भी HDIL के खिलाफ याचिका डाली है. कर्ज न चुका पाने के कारण कंपनी का आंध्रा बैंक से भी विवाद हुआ. HDIL के कारण यस बैंक और इंडिया बुल्स भी मुसीबत में आ गए हैं.
HDIL की मौजूदा हालत
कुल मिलाकर जितना पता है वो ये है कि कंपनी अपने कारोबारी लक्ष्य पूरे नहीं कर पाई और धीरे-धीरे दिवालिया होने के कगार पर आ गई.
HDIL ने डिफाल्ट के बाद भी PMC बैंक से कर्ज लेकर सरकारी बैंकों को कर्ज चुकाया. HDIL दो तीन साल से लोन की किश्ते नहीं चुका रही था, लेकिन फिर भी बैंक ने इसे NPA नहीं दिखाया था. अगर PMC बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर जॉय थॉमस का कबूलनामा सही निकला तो HDIL में फंस गए लोन के कारण PMC बैंक का NPA प्रतिशत देश में किसी भी बैंक से ज्यादा होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, PMC बैंक के एमडी जॉय थॉमस की अगुवाई में बैंक मैनेजमेंट ने HDIL को फंड दिलाने के लिए कई डमी अकाउंट खोले हुए थे. अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों? कहानी बहुत पुरानी है.
PMC बैंक और वाधवान परिवार के बीच रिश्ते बहुत पुराने हैं. थॉमस ने जो चिट्ठी RBI को लिखी उसके मुताबिक 1984 में स्थापना के दो साल बाद ही बैंक की हालत पतली हो गई थी. उस समय वाधवान परिवार ने बैंक को 13 लाख रुपए देकर मदद की थी.
2004 में भी जब बैंक में नकदी की कमी हुई तो राजेश कुमार वाधवान ने बैंक में 100 करोड़ रुपए जमा कराए. 1986-87 से ही वाधवान परिवार ने बैंक से लोन शुरू कर दिया था. शुरू में ये छोटे कर्ज होते थे लेकिन जैसे-जैसे कारोबार बढ़ता गया लोन का आकार भी बढ़ता गया.
PMC बैंक के चेयरमैन वरयाम सिंह नौ साल तक HDIL के बोर्ड में थे. 2006 से 2015 तक वो कंपनी के एक डायरेक्टर थे. कंपनी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में HDIL में उनकी 1.91% हिस्सेदारी थी. HDIL के डायरेक्टर राकेश कुमार वाधवान के भाई स्वर्गीय राजेश वाधवान जो DHFL के चेयरमैन थे, वो PMC बैंक के बोर्ड में भी थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)