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PNB को हुआ जबरदस्त घाटा, डूबते खाते में गए 28,500 करोड़ रुपये

पिछले साढ़े पांच सालों में बैंक विभिन्न लोगों को दिए कर्ज की रकम जब वसूल नहीं पाया तो आपसी डूबते खाते में डाल दिया.

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PNB में बड़े घोटाले का खुलासा 
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PNB में बड़े घोटाले का खुलासा 
(फोटो: ट्विटर)

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पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में फर्जी लेनदेन के जरिए लगभग 11,500 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर होने के बाद एक बात और सामने आई है. इसी बैंक को पिछले साढ़े पांच वर्षो में जबरदस्त घाटा हुआ है. बैंक विभिन्न लोगों को दिए कर्ज की रकम जब वसूल नहीं पाया तो आपसी समझौते से बतौर कर्ज 28,409 करोड़ रुपये डूबते खाते (राइट ऑफ) में डाल दिया.

आरटीआई से मिली जानकारी में आरबीआई ने स्वीकार किया है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 से लेकर सितंबर 2017 की अवधि में पंजाब नेशनल बैंक की आपसी समझौते के तहत 28,409 करोड़ की राशि राइट ऑफ की गई है.

आरबीआई ने उपलब्ध कराई जानकारी

रिजर्व बैंक की तरफ से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, पंजाब नेशनल बैंक की ओर से दिए गए कर्ज में से लंबित पड़े या यूं कहें कि ऐसा कर्ज, जो वापस न आने वाला है, उसमें से साल 2012-13 में 997 करोड़, साल 2013-14 में 1947 करोड़, साल 2014-15 में 5996 करोड़, साल 2015-16 में 6485 करोड़, साल 2016-17 में 9205 करोड़ और साल 2017 में अप्रैल से सितंबर तक 3778 करोड़ की राशि को आपसी समझौते के आधार पर राइट ऑफ किया गया है.

इस जानकारी के आधार पर देखा जाए, तो एक बात साफ हो जाती है कि पीएनबी के साढ़े पांच साल में 28,409 करोड़ रुपये राइट ऑफ किए गए हैं. अपने जवाब में आरबीआई ने इसे आपसी समझौते (इंक्लूडिंग कम्प्रोमाइज) के आधार पर राइट ऑफ किया जाना माना है.
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बैंकों की स्थिति बिगड़ने का प्रमुख कारण राइट ऑफ

बैंकिंग कारोबार से जुड़े अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया है कि बैंकों की स्थिति गड़बड़ाने का एक बड़ा कारण एनपीए है और दूसरा उसे राइट ऑफ किया जाना. यह वह रकम होती है, जो वसूल नहीं की जा सकती. सीधे तौर पर कहा जाए तो यह राशि बैलेंस शीट से ही हटा दी जाती है.

जानकार बताते है कि कर्ज देने के आरबीआई ने नियम बनाए हैं और उसी के आधार पर कर्ज दिया जाता है. जब कर्ज लेने वाले की संपत्ति की कीमत शून्य हो जाती है, तब बैंक को कर्ज की राशि को राइट ऑफ करने की जरूरत पड़ती है ताकि, बैलेंस शीट में वह राशि नजर नहीं आए.

इसका सबसे बुरा असर उन लोगों पर होता है, जो बैंक में रकम जमा करते हैं. राइट ऑफ होने के कारण ही ब्याज दरें कम हो रही है, बैंक कर्मचारियों की सुविधाओं में कटौती करनी पड़ रही है.

(इनपुटः IANS)

ये भी पढ़ें- ब्रेकिंग VIEWS | कैसे हुआ पंजाब नेशनल बैंक में इतना बड़ा घोटाला?

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