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ऑडिटिंग फर्म प्राइस वॉटर हाउस एंड कंपनी (PwC) ने मंगलवार को अनिल अंबानी की दो कंपनियों रिलायंस कैपिटल और रिलायंस होम फाइनेंस के स्टेट्यूटरी ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया. ऑडिटर प्राइस वॉटरहाउस ने कंपनी के फाइनेंशियल दस्तावेजों पर कुछ आपत्तियां जताईं और उनको उन आपत्तियों का माकूल जवाब नहीं मिला.
ऑडिटर PwC ने कहा कि कंपनी ने ऑडिट कमिटी की बैठक तय समय के मुताबिक नहीं बुलाई थी. कंपनी ने कहा कि वो ऑडिटिंग फर्म के खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई कर सकती है. PwC के मुताबिक कंपनी के इन फैसलों ने उसे बतौर ऑडिटर काम करने की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई. ऑडिटर ने ये भी कहा कि कंपनी के साथ स्वतंत्र रूप से काम करने में दिक्कत आई.
इसलिए अब कंपनी इस स्थिति में नहीं है कि वो अब ऑडिटर के पद पर काम कर सके. इसलिए PwC ने कंपनी के ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया.
बता दें, अनिल अंबानी के स्वामित्व वाले रिलायंस ग्रुप पर कर्जदाताओं का लगभग 1 लाख करोड़ रुपये बकाया है. मंगलवार को ही अनिल अंबानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उनके ग्रुप ने बीते 14 महीने के दौरान लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चुका दिया है. उन्होंने कहा कि एसेट मॉनेटाइजेशन प्लान के जरिए आने वाले समय में वह बाकी कर्ज भी चुका देंगे. अंबानी ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान मीडिया से यह बातें कहीं.
अंबानी ने इंवेस्टर्स को भरोसा दिलाया है कि उनका ग्रुप भविष्य में सभी कर्ज देनदारियों का समय से भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए उनके पास एसेट मॉनेटिजाइशेन का प्लान है जिसे वह कई स्तर पर लागू भी कर चुके हैं.
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