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GST में बड़ा फर्जीवाड़ा,470 करोड़ के बोगस क्लेम का पर्दाफाश

कई निर्यातकों और कारोबारियों ने फर्जी यूनिट्स या बगैर यूनिट्स के ही जीएसटी क्लेम कर डाला

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जीएसटी फ्रॉड का पता करने के लिए निर्यातकों के खिलाफ देश भर में अभियान 
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जीएसटी फ्रॉड का पता करने के लिए निर्यातकों के खिलाफ देश भर में अभियान 
(फोटो : द क्विंट ) 

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जीएसटी में धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ देश भर चले एक अभियान में 470 करोड़ रुपये के बोगस क्लेम का पता चला है. जीएसटी फर्जीवाड़े के खिलाफ चले एक बड़े अभियान के दौरान पता चला कि निर्यातकों और सप्लायरों ने फर्जी कंपनियां बना कर या बगैर कंपनियों के 470 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर डाला.

डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने रिफंड का दावा करने वाले निर्यातकों के खिलाफ देशभर में 336 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया.

470 करोड़ रुपये का आईटीसी बोगस

अधिकारियों ने बताया कि दिनभर चले अभियान से यह तथ्य सामने आया है कि देश भर में फैली कई यूनिट्स या तो अस्तित्व में ही नहीं हैं या उन्होंने फर्जी पता दे रखा है. कई लोगों के रेकॉर्ड और दस्तावेजों की शुरुआती जांच से पता चला है कि 470 करोड़ रुपये का आईटीसी बोगस जाली है (जिसका इनवॉयस प्राइस करीब 3,500 करोड़ रुपये का है). निर्यातकों की ओर से आगे इसका इस्तेमाल आईटीसी के जरिये निर्यात पर आईजीएसटी के भुगतान के तौर पर किया जा रहा है. फिर उस पर नकद रिफंड का दावा किया जा रहा है.

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फर्जी सप्लाई के जरिये होता था खेल

एजेंसियों ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ की इकाइयों के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया. खुफिया जानकारी के मुताबिक कुछ निर्यातक आईजीएसटी के भुगतान पर वस्तुओं का निर्यात कर रहे थे, जो उन्होंने फर्जी आपूर्ति से हासिल इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिये किया है. इस तरह के आईजीएसटी भुगतान का निर्यात पर रिफंड के रूप में दावा किया जा रहा है.

विश्लेषण एवं जोखिम प्रबंधन महानिदेशालय (डीजीएआरएम) की ओर से मुहैया आंकड़ों के आधार पर जांच की गई. यह तथ्य सामने आया है कि निर्यातकों या आपूर्तिकर्ताओं ने नकद रूप में या तो कुछ भी कर नहीं दिया या नाममात्र भुगतान किया है. कुछ मामलों में तो यह भी सामने आया है कि आईटीसी के जरिये किया गया कर भुगतान इन कंपनियों की ओर से लिए गए आईटीसी से अधिक है.

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