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यस बैंक के को-फाउंडर और पूर्व एमडी राणा कपूर ने पद से हटा दिए जाने के बावजूद कई कॉरपोरेट घरानों को लोन देने के फैसले में हस्तक्षेप की कोशिश की थी. सूत्रों के मुताबिक बैंक के पूर्व सीईओ रवनीत गिल ने पूछताछ के दौरान ईडी को यह बात बताई. हालांकि गिल से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है. इस बीच, दिल्ली में मौजूद उनकी तीन संपत्तियां ईडी के रडार पर हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गिल ने ईडी को बताया कि राणा कपूर पद से हटाने के बाद बड़ी कंपनियों को लोन दिए जाने के फैसले में दखल देने की कोशिश करते थे. यस बैंक संकट को लेकर ईडी ने रवनीत गिल से भी पूछताछ की थी.
आईएएनएस की एक खबर के मुताबिक दिल्ली में मौजूद उनकी तीन संपत्तियां ईडी के रडार पर हैं. ईडी इन्हें बेचने की योजना में सफल नहीं हो पाया. ये संपत्तियां 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की हैं. ये तीन संपत्तियां हैं -40 अमृता शेरगिल मार्ग, 18 कौटिल्य मार्ग चाणक्य पुरी, और सरदार पटेल मार्ग स्थित डिप्लोमेटिक एन्क्लेव. ये संपत्तियां कपूर से सीधे तौर पर नहीं जुड़ी हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उसने कुछ प्रॉपर्टी डीलरों को कह रखा है कि वे इन संपत्तियों के खरीदार ढूंढें.
इस बीच, यस बैंक के प्रशासक प्रशांत कुमार ने बैंक को पटरी पर लाने के लिए पुख्ता योजना तैयार की है. बैंक के अब बड़े कॉरपोरेट ऋण पोर्टफोलियो को बेचा जाएगा और रिटेल बैंकिंग पर जोर दिया जाएगा.
रिटेल बैंकिंग पर जोर देने की रणनीति राणा कपूर की अगुआई वाले पूर्व प्रबंधन के उलट है. भारी मात्रा में कॉरपोरेट कर्ज के फंसने के कारण येस बैंक की हालत खराब हुई थी. पिछले सप्ताह आरबीआई ने उसके बोर्ड को भंग कर दिया था और जमाकर्ताओं के 50 हजार रुपये से अधिक रकम निकालने पर पाबंदी लगा दी थी. जेपी मॉर्गन के एक अनुमान के मुताबिक बैंक का फंसा कर्ज 45,000 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है.
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