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बैंक फ्रॉड रोकने के लिए गाइडलाइन जारी, इस तरह रखें सावधानी
बैंक फ्रॉड को लेकर आरबीआई की नई गाइडलाइंस क्या है, जान लीजिए यहां...
क्विंट कंज्यूमर डेस्क
बिजनेस
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रिजर्व बैंक के इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए गाइडलाइंस जारी किए
(फोटो: Liju Joseph/The Quint)
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पिछले साल एटीएम ऑपरेटर हिटाची पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के सिस्टम पर मैलवेयर अटैक की घटना आपको याद है? यह कंपनी भारत में कई बैंकों को सेवाएं देती है. इस अटैक से देश के 32 लाख डेबिट कार्ड प्रभावित हुए थे. कई लोगों को अपने एटीएम पिन बदलने पड़े थे और बैंक ग्राहकों में अफरातफरी मच गई थी.
हालांकि, अब बदकिस्मती से आपके साथ कोई ऑनलाइन या कार्ड संबंधित फ्रॉड होता है, तो 3 दिन के अंदर उसकी सूचना बैंक को देने पर आपको एक रुपये का भी नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. अगर आप किसी वजह से तय समय में फ्रॉड की सूचना बैंक को नहीं दे पाते हैं, तो भी आपको 25,000 रुपये से अधिक का नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.
रिजर्व बैंक के इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को सुरक्षित बनाने की गाइडलाइंस से बैंक कस्टमर्स को बड़ी राहत मिली है, जिसे गुरुवार को जारी किया गया था.
आरबीआई गाइडलाइंस की अहम बातों की जानकारी हम यहां दे रहे हैं.
अगर बैंक या उसके स्टाफ की गलती से कोई फ्रॉड होता है, तो ग्राहक को हुए नुकसान की भरपाई बैंक को करनी होगी.
अगर किसी थर्ड पार्टी की वजह से आपके साथ कोई फ्रॉड होता है, तो बैंक को उसकी जानकारी तीन दिन के अंदर देने पर ग्राहक की कोई देनदारी नहीं होगी.
बैंक को निर्देश दिया गया है कि फ्रॉड का अलर्ट मिलने के 10 दिनों के अंदर उन्हें ग्राहक को जितना नुकसान हुआ है, वह पैसा उसके खाते में डालना होगा.
अगर कस्टमर फ्रॉड की जानकारी तीन दिन में नहीं दे पाता है, लेकिन 7 दिनों के अंदर उसकी सूचना बैंक को देता है, तो उसे कुछ नुकसान उठाना होगा.
इस तरह के मामले में कस्टमर की लायबिलिटी आम बचत खाते के लिए 5,000 रुपये होगी. दूसरे बैंक खातों, प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट्स, गिफ्ट कार्ड या 5 लाख रुपये तक की लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड, चालू और 25 लाख रुपये के औसत बैलेंस वाले ओवरड्राफ्ट एकाउंट पर ग्राहक को 10,000 रुपये से अधिक का नुकसान बर्दाश्त नहीं करना होगा.
5 लाख रुपये से अधिक की लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड्स, चालू और ओवरड्राफ्ट खातों पर मैक्सिमम लायबिलिटी 25,000 रुपये की होगी.
अगर आपकी गलती की वजह से कोई नुकसान होता है और उसकी जानकारी देने में आप देरी करते हैं, तो आपकी लायबिलिटी 5,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक होगी.
बैंक को एसएमएस और ईमेल अलर्ट के लिए ग्राहकों को अनिवार्य रूप से रजिस्टर करना होगा.
ऐसे अलर्ट में कस्टमर के पास रिप्लाई करने का ऑप्शन भी होना चाहिए.
ग्राहकों के पास बैंक के होम पेज पर फ्रॉड को रिपोर्ट करने का ऑप्शन भी होना चाहिए.
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फिशिंग अटैक यानी ऐसे सायबर हमले जिनका इस्तेमाल हैकर्स लोगों के पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड जानकारी या दूसरी संवेदनशील ऑनलाइन सूचनाएं हासिल करने के लिए करता है, उनमें 2016 में 13.14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. मॉस्को की जानी-मानी सायबर सिक्योरिटी फर्म कैस्पर्स्की लैब्स ने इस साल फरवरी में एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी थी.
खतरनाक बात यह है कि इनमें से 52 पर्सेंट अटैक ऐसे थे, जिन्हें आपके कंप्यूटर या सेल फोन पर डाउनलोड किए हुए किसी सॉफ्टवेयर से रोका नहीं जा सकता था. कहने का मतलब यह है कि इस तरह के मामलों में सावधानी ही बचाव है.
हम यहां आपको फिशिंग से बचने के कुछ टिप्स दे रहे हैं.
जब भी आप ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो वेबसाइट कहीं क्लोन तो नहीं है, इसकी जांच करें. इसमें कनेक्शन https से सिक्योर होना चाहिए. आप जिसे भुगतान करने जा रहे हैं, डोमेन उसी का होना चाहिए.
अगर आपको जानी-मानी कंपनियों और ब्रांड के ईमेल आ रहे हैं, तो उनकी सच्चाई का पता लगाइए. अगर ऐसी किसी ईमेल में आपसे तुरंत पासवर्ड बदलने जैसी बात कही जाती है, तो पहले यह पता करें कि वह मेल वहीं से आया है, जहां से भेजे जाने का दावा किया जा रहा है. आप अपने बैंक या पेमेंट सिस्टम रेप्रिजेंटेटिव को फोन करके इसका पता लगा सकते हैं.
अगर आपको ईमेल या वेबपेज के फर्जी होने का शक हो, तो उस पर क्लिक न करें.
आप ऐसे अटैक से बचने के लिए एंटी-फिशिंग टेक्नोलॉजीज पर आधारित सिक्योरिटी सॉल्यूशंस का इस्तेमाल कर सकते हैं.