Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 RBI ने घटाया सालाना ग्रोथ का अनुमान,रेट में कटौती नहीं कर चौंकाया

RBI ने घटाया सालाना ग्रोथ का अनुमान,रेट में कटौती नहीं कर चौंकाया

2008 में आई मंदी के बाद ब्याज दरों का सबसे निचला स्तर

क्विंट हिंदी
बिजनेस
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RBI की मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा के बाद बाजार में कमजोरी देखने को मिल रही है
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RBI की मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा के बाद बाजार में कमजोरी देखने को मिल रही है
फोटो: क्विंट हिंदी

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RBI ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट अभी भी 5.15% पर बरकरार है. रिवर्स रेपो रेट भी बिना बदलाव के 4.9% पर ही बरकरार है. RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने एकमत से ये फैसला किया है. RBI ने इस वित्तीय वर्ष के लिए भी ग्रोथ का अनुमान 6.1 परसेंट से घटाकर 5 परसेंट कर दिया है. 3 दिन से जारी आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी के बाद ये फैसला किया गया है.

RBI ने इस वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही के लिए महंगाई का अनुमान बढ़ाकर 5.1-4.7 परसेंट किया है. RBI की मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा के बाद बाजार में कमजोरी देखने को मिल रही है, वहीं रुपया भी दिन के निचले स्तरों पर आ चुका है.

RBI ने घटाया इकनॉमिक ग्रोथ का अनुमान

आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2020 के लिए इकनॉमिक ग्रोथ का अनुमान 6.1 परसेंट से घटाकर 5 परसेंट कर दिया है. साथ ही फाइनेंशियल ईयर 2021 की पहली छमाही के लिए ग्रोथ अनुमान 5.9-6.3% रखा गया है. RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी का मानना है कि इकनॉमिक ग्रोथ में अभी और कमजोरी देखने को मिल सकती है. अक्टूबर में सर्विस सेक्टर में कमजोरी देखने को मिली है.

महंगाई पर RBI

आने आने वाले महीनों में सब्जियों  की महंगाई में तेजी बरकरार रह सकती है. बाकी खाद्य चीजों में महंगाई कम होने की उम्मीद है. लेकिन ये साफ है कि आगे आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने की उम्मीद है. आरबीआई ने महंगाई का अनुमान बढ़ाकर 5.1-4.7 परसेंट किया है.

ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के किए गए पोल में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद की गई थी. अगर आज कटौती होती तो ये 2008 में आई मंदी के बाद ब्याज दरों का सबसे निचला स्तर होता.

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ग्रोथ की खस्ता हालत के चलते कटौती जरूरी थी

दूसरी तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है और ये ग्रोथ में 6 साल की सबसे बड़ी गिरावट है. जुलाई-सितंबर के ये आंकड़े पहली तिमाही की जीडीपी से भी कम रहे हैं. पहली तिमाही में जीडीपी पांच फीसदी दर्ज की गई थी. साफ है आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. पिछले सालों में इस तरह की कमजोरी देखने नहीं मिली थी.

हालांकि पिछले दिनों सब्जियों खासतौर पर प्याज की महंगाई के चलते हेडलाइन महंगाई 4 परसेंट के पार चला गया है. ये आरबीआई के लिए चिंता की बात है.

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Published: 05 Dec 2019,11:52 AM IST

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