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RBI मॉनेटरी पॉलिसी: कितना सस्ता होगा लोन? थोड़ी देर में होगा फैसला

मंहगाई के दबाव और इकनॉमी की खराब हालत को देख कर यह देखने वाली बात होगी कि आरबीआई क्या फैसला करता है

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के सामने कठिन चुनौती
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के सामने कठिन चुनौती
( फाइल फोटो : PTI)

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रिजर्व बैंक गुरुवार ( 6 फरवरी 2020) को मॉनेटिरी पॉलिसी जारी करेगा. आम बजट पारित होने के बाद आरबीआई की यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी. रिजर्व बैंक के पास इस वक्त सबसे बड़ा सवाल ब्याज दरों में कटौती के फैसले का है. इकनॉमी में मांग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जरूरत है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है. देखना होगा कि आरबीआई क्या रुख अपनाता है. पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई में ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की थी.

रिजर्व बैंक ने इकनॉमी में डिमांड पैदा करने के लिए 2019 में लगातार ब्याज दरों में कटौती की थी. हालांकि पिछली समीक्षा में उसने कोई परिवर्तन नहीं किया था. कहा गया कि महंगाई बढ़ने की वजह से आरबीआई ने कदम रोक लिए थे. अक्टूबर में आरबीआई ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती की थी जिससे यह घट कर 5.15 पर पहुंच गया था. मार्च 2010 के बाद का यह सबसे कम रेट है.

महंगाई का दबाव

दरअसल आरबीआई पर महंगाई का काफी दबाव है. दिसंबर में प्याज और दूसरी सब्जियों के दाम बढ़ने की वजह से खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी पर पहुंच गई. यह केंद्रीय बैंक के चार फीसदी के टारगेट (+2 या -2) से काफी ज्यादा है. हालांकि नई फसल आने के बाद खुदरा महंगाई दर में कमी आ सकती है. हो सकता है कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी इसे देखते हुए ब्याज दर में कटौती का फैसला करे.

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इकनॉमी खस्ता हाल

एचडीएफसी के अर्थशास्त्रियों की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट में की गई घोषणाएं महंगाई बढ़ाने वाली नहीं हैं. फिर भी रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेने से बच सकता है. जबकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर के घटकर एक दशक के निचले स्तर पांच फीसदी पर आने का अनुमान है. ऐसे में डिमांड और कंजप्शन बढ़ाने के उपाय पर जोर देने की मांग उठ रही है.

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