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RBI ब्याज दरों में कर रहा लगातार बढ़ोतरी, लेकिन क्या कंट्रोल में आ पाएगी महंगाई

Inflation: ये कैसी महंगाई जिसे आरबीआई भी कंट्रोल में नहीं ला पा रही?

प्रतीक वाघमारे
बिजनेस
Published:
<div class="paragraphs"><p>RBI ब्याज दरों में कर रहा लगातार बढ़ोतरी, लेकिन क्या कंट्रोल में आ पाएगी महंगाई</p></div>
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RBI ब्याज दरों में कर रहा लगातार बढ़ोतरी, लेकिन क्या कंट्रोल में आ पाएगी महंगाई

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सखी सईंया तो खूब ही कमात है

महंगाई डायन खाये जात है

फिल्म ‘पीपली लाइव’ का यह गाना 'महंगाई' की ओर ध्यान आकर्षित करता है. इस वक्त सियासी गलियारों में महंगाई को लेकर बहस है, सरकार का मानना है कि महंगाई विपक्ष का प्रोपोगैंडा है. अब सियासी पार्टियां भले ही एक-दूसरे को कोसती रहें लेकिन आप तो सब्जी मंडी जाते हैं, सामान खरीदते हैं, गैस के दाम चुकाते हैं तो भली भांती जानते हैं कि महंगाई सिर पर खड़ी है. जून 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.01% थी जो जनवरी 2022 की तुलना में काफी ज्यादा है. जुलाई में घट कर 6.71 फीसदी हो गई है. इसी महीने RBI ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट में 0.5% की बढोतरी की है. लेकिन क्या RBI की ये नई पॉलिसी काम करेगी ? क्या RBI महंगाई को कम करने में सफल होगी ?

ये सब समझेंगे लेकिन उससे पहले आपकी जेब से जुड़ी टॉप हेडलाइनंस देखते हैं-

  • जीवन बीमा कंपनी (LIC) मेडिक्लेम सेग्मेंट में एंट्री ले सकती है. LIC के चेयरमैन ने कहा कि LIC पहले से ही लॉन्ग टर्म हेल्थ प्रोटेक्शन और ग्यारंटेड हेल्थ प्रोडक्ट्स ऑफर कर रही है. उन्होंने कहा कि LIC के लिए मेडिक्लेम कारोबार में उतरना मुश्किल नहीं होगा.

  • विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 22,452 करोड़ रुपये डाले हैं. बता दें कि अब तक विदेशी निवेशक शेयर बाजार से तेजी से पैसा निकाल रहे थे.

  • जुलाई में खुदरा महंगाई 6.71 फीसदी रही, महंगाई में थोड़ी गिरावट जरूर आई है लेकिन RBI के तय दायरे की ऊपरी लिमिट 6 फीसदी से यह अभी भी ऊपर है

  • UN की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 7 प्रत‍िशत से अधिक आबादी के पास डिजिटल करेंसी जैसे कि क्रिप्टो है. इस ल‍िस्‍ट में 12.7 फीसदी के साथ यूक्रेन टॉप पर है और भारत सातवें नंबर पर है

  • टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के एमडी और सीईओ सुनील डिसूजा ने टाटा नमक की कीमत बढ़ाने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि टाटा के नमक पर महंगाई का दबाव लगातार बना हुआ है. ऐसे में मार्जिन को प्रोटेक्ट करने के लिए हम नमक की कीमत बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि कितनी कीमत बढ़ाएंगे इसका खुलासा नहीं किया है.

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अब बात करते हैं RBI की क्रेडिट पॉलिसी पर. सबसे पहले तो ये समझिए कि RBI को देश की मौद्रिक नीति बनानी होती है. RBI का एक प्रमुख काम महंगाई कंट्रोल करना भी है. RBI का टारगेट है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी महंगाई को 4 प्रतिशत के ऊपर और 2 प्रतिशत से नीचे नहीं जाने देना है. इसके अलावा महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सिस्टम में जो नकदी है उसको भी RBI मैनेज करता है.

अब आप तो जानते ही हैं कि CPI 6 प्रतिशत के ऊपर है और जून-जुलाई तिमाही में बाजार में 3.5 लाख करोड़ से ज्यादा की नकदी थी. ज्यादा पैसा यानी ज्यादा खर्च और जब खर्च ज्यादा होता है तो मांग भी बढ़ती है जिससे की कीमतों में इजाफा होता है. तो क्या इसका ये मतलब निकालें कि RBI अपना काम करने में नाकाम है. इसी वजह से RBI ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की.

रेपो रेट का मतलब जिस दर पर RBI बैंकों को लोन देता है. अब यह दर ज्यादा होगी तो स्वाभाविक तौर पर लोन महंगा होगा. लोग अपने खर्च को कम करेंगे और कीमतें नीचे आएंगी. रिवर्स रेपो रेट ठीक इसका उल्टा है, यानी जिस दर पर RBI कर्ज लेता है.

  • अब क्योंकि रेपो रेट बढ़ गया है तो आपकी ईएमआई भी बढ़ेगी, सभी प्रकार के लोन महंगे होंगे, आपके खर्च पर असर पड़ेगा..

  • इसके अलावा बैंकों की आमदनी पर भी असर पड़ेगा और इसका असर शेयर बाजार में बैंकों के शेयर पर पड़ेगा.

  • लोन महंगे हुए तो इसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियों, रियल एस्टेट कंपनियों, एनबीएफसी, सीमेंट, स्‍टील सहित कई कंपनियों पर देखने को मिलेगा.

भारत में थोक महंगाई यानी (WPI) की दर जून 2022 में 15 फीसदी से ज्यादा थी और पिछले छह महीनों से यह 13.5 प्रतिशत से ज्यादा पर चल रही है. अब अगर इस बात को महंगाई के नजरिए से देखें तो इस मोर्चे पर RBI काफी ज्यादा फिसड्डी साबित हो चुका है. लेकिन जब आप इस मसले की तह तक जा कर समझेंगे तो पता चलेगा कि मौजूदा महंगाई दरअसल सप्लाई साइड की वजह से ज्यादा है.

भारत बहुत कुछ विदेशों से इंपोर्ट करता है. क्रूड ऑयल, खाने का तेल, कैपिटल गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स सभी की कीमतें बहुत ज्यादा ऊपर जा चुकी हैं. पिछले छह महीनों में फॉरेन एक्सचेंज रेट में 6% से अधिक की गिरावट आई है. इस तरह से विदेशों में महंगाई का भारत में महंगाई बढ़ाने में बड़ा रोल है और RBI शायद इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. कोविड और फिर उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया को महंगाई की आग में झोंक रखा है.

खाने पीने की चीजें और रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले घरेलू उत्पाद की कीमतें भी बढ़ रही हैं. जून में खाद्य महंगाई असहज रूप से बढ़कर 7.56 प्रतिशत हो गई. कपड़े और जूते-चप्पल की महंगाई दर 9.5 फीसदी के पार चली गई तो अनाज की महंगाई गेहूं- चावल की कीमतें बढ़ने के साथ लगातार ऊपर जा रही है. RBI महंगाई को तब मैनेज कर सकता है जब महंगाई की वजह बढ़ती मांग हो. यानी डिमांड साइड.

RBI ने मई 2022 से रेपो रेट में तीन बार बढ़ोतरी की और इसे अब 5.4 प्रतिशत कर दिया है. विडंबना ये है कि इन महीनों में लोन लेने की मांग 11% से बढ़कर 14% हो गई. RBI की नीति से इसमें कोई फर्क नहीं आ रहा.

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