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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 29 अप्रैल को जारी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस के दौरान हुए नुकसान से उबरने के लिए 12 साल से अधिक वक्त लग सकता है. साल 2021-22 के लिए करेंसी और फाइनेंस पर जारी की गई अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी एक वाटरशेड की तरह है. रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि पिछले 3 सालों में भारत को 50 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के बार-बार आ रहे खतरों की वजह से इकोनॉमिक की रिकवरी पर बुरा असर पड़ रहा है. जून 2020 की तिमाही और दूसरी लहर के आने तक इकोनॉमिक रिकवरी तेज रही थी. इसी तरह, जनवरी 2022 में तीसरी लहर के कारण रिकवरी पर असर पड़ा. कोरोना का खतरा पूरी तरह से अभी खत्म नहीं हुआ है, खासकर जब हम चीन, साउथ कोरिया और यूरोप के कई हिस्सों में कोरोना मामलों बढ़ोतरी देख रहे हैं.
रिपोर्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पैदा हुए हालातों पर भी चिंता जताई गई है. इसमें कहा गया है कि सप्लाई की समस्या और डिलीवरी टाइम में बढ़ोतरी ने शिपिंग कॉस्ट और कमोडिटी प्राइसेस को बढ़ा दिया है. इसकी वजह से महंगाई बढ़ गई है और पूरी दुनिया में इकोनॉमिक रिकवरी को प्रभावित कर रही है. इस प्रकार भारत भी ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्याओं से जूझ रहा है.
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