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पहले पीएमसी और अब यस बैंक संकट से आशंकित बैंक डिपोजिटरों को आरबीआई ने भरोसा दिया है कि देश के बैंकों में रखा उनका पैसा पूरी तरह सुरक्षित है. आरबीआई ने ट्ववीट कर कहा है कि मीडिया के एक वर्ग में डिपोजिटरों के पैसे की सुरक्षा के मुद्दे उठाए जा रहे हैं लेकिन यह चिंता बेबुनियाद है.
आरबीआई ने कहा कि बैंकों की सेहत को मार्केट कैपिटलाइजेशन से नहीं आंका जाता है. पूरी दुनिया में इसे कैपिटल टु रिस्क एसेट रेश्यो से आंका जाता है. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. बैंकों में ग्राहकों का रखा पैसा पूरी तरह सुरक्षित है. आरबीआई बैंकों पर पूरी तरह निगरानी रखता है. उनका पैसा बिल्कुल सुरक्षित है.
इस बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) केवी सुब्रमण्यन ने कहा है कि डिपोजिट राशि के लिए बीमा 5 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया है, इसलिए जमाकर्ताओं और निवेशकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. ये अधिकांश जमाकर्ताओं की राशि को कवर करता है. भारतीय बैंकिंग प्रणाली के पास महत्वपूर्ण पूंजी है. उन्होंने मार्केट कैपिटलाइजेशन ( M-Cap) अनुपात से बैंक की सुरक्षा को मापने के तरीके को गलत बताया है.
केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि मार्केट कैपिटलाइजेशन (M-Cap) अनुपात बैंक की सुरक्षा को मापने का एक गलत तरीका है. बल्कि कैपिटल टु रिस्क सीआरएआर बैंक की सुरक्षा के लिए मानक उपाय है. उन्होंने कहा भारतीय बैंकों के पास सीआरएआर के लिए अंतरर्राष्ट्रीय मानकों के मुकाबले 80 प्रतिशत अधिक पूंजी है.
सुब्रमण्यन ने कहा M-Cap अनुपात बैंक की सुरक्षा को मापने का पूरी तरह से गलत उपाय है, इसके बजाए दुनिया भर में नियामक सीआरएआर का उपयोग किया जाता है. सीआरएआर के लिए अंतरर्राष्ट्रीय मानक 8 प्रतिशत है. उन्होंने आगे कहा,
केवी सुब्रमण्यन ने बताया कि स्टॉक मार्केट के चेंज होने के साथ ही M-Cap भी हर वक्त चेंज होता है. ये मुख्य रूप से बैंक की भविष्य की कमाई से प्रभावित होता है जो नेट इंटरेस्ट मार्जिन, बैंक ग्रोथ और संचालन की दक्षता से निर्धारित होता है. लेकिन इनका बैंक की सुरक्षा से ज्यादा लेना-देना नहीं है.
उन्होंने एसबीआई का उदाहरण देते हुए कहा कि एसबीआई का M-Cap अनुपात निजी बैंकों की तुलना में अधिक है, लेकिन फिर भी ये सुरक्षित है.
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