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निवेश के लिए प्रॉपर्टी या इक्विटी, क्या है बेहतर?

क्या रियल एस्टेट का निवेश पैसों को कई गुना बढ़ाने की गारंटी है? क्या इक्विटी में निवेश प्रॉपर्टी से बेहतर है?

धीरज कुमार अग्रवाल
बिजनेस
Published:
फाइनेंशियल प्लानिंग के नियमों के तहत प्रॉपर्टी में निवेश हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं
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फाइनेंशियल प्लानिंग के नियमों के तहत प्रॉपर्टी में निवेश हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं
(फोटो: iStock)

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वैसे तो इस सवाल का ऐसा जवाब मुश्किल है जो सभी के लिए लागू हो, फिर भी जब लंबी अवधि के निवेश की बात आती है तो ज्यादातर लोग जमीन-जायदाद ही चुनते हैं, यानी प्रॉपर्टी या रियल एस्टेट.

  • लेकिन क्या रियल एस्टेट में निवेश वाकई वेल्थ क्रिएट कर सकता है?
  • क्या रियल एस्टेट का निवेश पैसों को कई गुना बढ़ाने की गारंटी है?
  • और क्या इक्विटी यानी शेयरों में निवेश प्रॉपर्टी से बेहतर साबित हो सकता है?

आइए इन सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं.

प्रॉपर्टी निवेश के विकल्प के रूप में पिछले एकाध दशक में उभरी है. उसके पहले जमीन-जायदाद बनाना रईसों और अमीरों तक सीमित था. मिडिल क्लास के लोगों के लिए प्रॉपर्टी निवेश का नहीं, बल्कि सर के ऊपर एक छत बनाने का जरिया थी. लेकिन प्रॉपर्टी के लिए लोन मिलने में आसानी, टैक्स छूट और कुछ सालों तक प्रॉपर्टी की कीमतों में जोरदार उछाल ने इसे निवेश का पॉपुलर मीडियम बना दिया.

कई लोगों ने प्रॉपर्टी में निवेश से पैसे बनाए भी हैं, लेकिन सच यही है कि फाइनेंशियल प्लानिंग के नियमों के तहत प्रॉपर्टी में निवेश हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है. खासकर उस स्थिति में, जब आपके पास लंबी अवधि के निवेश के लिए दूसरे विकल्प मौजूद हों.

प्रॉपर्टी में निवेश करने के पहले कुछ बातों को अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं, जबकि वो इन्हें भली-भांति जानते हैं.

अगर आप भी प्रॉपर्टी में निवेश करने जा रहे हैं तो इन बातों पर गौर जरूर करें-

1. बड़ी रकम की जरूरत:

प्रॉपर्टी में निवेश के लिए अक्सर मोटी रकम की जरूरत होती है. अगर आप डाउन पेमेंट करने के बाद लोन भी लेते हैं तो हर महीने आपकी इनकम का एक बड़ा हिस्सा उस लोन की ईएमआई में देना पड़ता है.

2. जोखिम कम नहीं:

ये एक गलत धारणा है कि प्रॉपर्टी में निवेश रिस्क-फ्री होता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आपका निवेश आपको कमाई कराकर ही जाएगा. अगर आप पिछले 4-5 साल के प्रॉपर्टी मार्केट पर नजर डालेंगे तो ये बात साफ हो जाएगी कि यहां निवेश करने के बाद ज्यादातर लोग अपने-आप को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं.

3. लिक्विडिटी की कमी:

प्रॉपर्टी खरीदना जितना आसान है, उसे बेचना शायद उतना ही मुश्किल. और ये जरूरी नहीं कि जब आपको पैसों की जरूरत के लिए प्रॉपर्टी बेचनी पड़ी, तो उसके खरीदार आपको मनचाही कीमत पर मिलें.

4. किराये की मामूली इनकम:

आमतौर पर किसी भी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी से मिलने वाला सालाना किराया आपके निवेश की रकम का 2.5-3% से ज्यादा नहीं होता. और इससे ज्यादा रिटर्न तो आपको सेविंग्स बैंक अकाउंट से मिल सकता है. जब तक आपने मार्केट रेट से काफी कम में प्रॉपर्टी नहीं खरीदी हो, आपका रेंटल इनकम कभी भी अच्छा रिटर्न नहीं दे सकता. और ये भी याद रखें कि आपको अपनी प्रॉपर्टी के रख-रखाव पर भी हर साल कुछ ना कुछ खर्च करना पड़ेगा.

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पिछले कुछ सालों में तो प्रॉपर्टी मार्केट से मिलने वाले रिटर्न में काफी कमी आई है. रियल एस्टेट की इंटरनेशनल कंसल्टेंट फर्म नाइट फ्रैंक की स्टडी के मुताबिक देश के ज्यादातर शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में जनवरी-जून 2015 के मुकाबले जनवरी-जून 2018 में गिरावट आई है.

देश के अलग-अलग शहरों में प्रॉपर्टी का हाल(फोटो: कनिष्क दांगी/क्विंट हिंदी) 

अब प्रॉपर्टी में निवेश की तुलना में इक्विटी में निवेश पर नजर डालते हैं. यहां इक्विटी का मतलब शेयरों की सीधी खरीद-फरोख्त नहीं है. रिटेल इन्वेस्टर के लिए लंबी अवधि में इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड में निवेश वेल्थ क्रिएशन के लिए कहीं बेहतर है. सबसे पहले हम आपके सामने इक्विटी म्युचुअल फंड की उन स्कीमों का रिटर्न दिखाते हैं, जो काफी लंबे समय से मार्केट में मौजूद हैं.

कमाई कराने वाले लार्ज कैप म्यूचुअल फंड(फोटो: कनिष्क दांगी/क्विंट हिंदी)

इनमें से कोई भी फंड स्कीम ऐसी नहीं है जिसने सालाना 20 परसेंट से कम रिटर्न दिया हो, और ये कम से कम 16 साल पुरानी हैं. अगर किसी निवेशक ने आज से 16 साल पहले इनमें से किसी भी स्कीम में 1 लाख रुपए लगाए होंगे, तो आज वो रकम बढ़कर 18.48 लाख रुपए हो गई होगी, यानी 16 साल में 18 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी. देश में किसी भी प्रॉपर्टी मार्केट में इतने ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकती. और, इक्विटी में निवेश आपको कई और तरह की सहूलियतें देता है, जो प्रॉपर्टी से नहीं मिलतीं.

1. निवेश करना आसान:

आपको इक्विटी में निवेश के लिए कर्ज लेने की जरूरत नहीं होती. आप छोटी रकम से भी शुरुआत कर सकते हैं, और अपनी सुविधा के अनुसार उसे बढ़ाते रह सकते हैं. यही नहीं, अगर आप एसआईपी के जरिए निवेश कर रहे हैं तो आर्थिक तंगी होने पर उसे रोक भी सकते हैं.

2. लिक्विडिटी:

आप जब चाहें इक्विटी में अपने निवेश का मुनाफा निकाल सकते हैं, इसके लिए आपको लंबा इंतजार नहीं करना होता.

3. रिस्क-रिकवरी:

अगर आपने किसी गलत म्युचुअल फंड स्कीम में पैसे लगा दिए हैं तो आप उसमें से निकलकर किसी दूसरी स्कीम में आसानी से जा सकते हैं. लेकिन रियल एस्टेट में अगर आपने किसी गलत प्रोजेक्ट में पैसे लगाए तो वहां से पैसों की रिकवरी बेहद मुश्किल है.

लेकिन हम ये नहीं कह रहे हैं कि आपको प्रॉपर्टी खरीदनी ही नहीं चाहिए. प्रॉपर्टी खरीदिए जरूर, लेकिन निवेश के लिए नहीं, बल्कि अपनी जरूरत के लिए.

साथ ही प्रॉपर्टी खरीदते वक्त याद रखिए कि आपके होम लोन की ईएमआई किसी भी सूरत में आपकी पारिवारिक आय के एक-तिहाई से ज्यादा ना हो. और हां, घर खरीदने का फैसला तभी लें, जब आपने दूसरे वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अपने लिए एक अच्छा फाइनेंशियल प्लान बना रखा हो.

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