Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बैंक में बढ़ने के बजाय घट रहा है आपका पैसा, इसमें भी कोरोना विलेन

बैंक में बढ़ने के बजाय घट रहा है आपका पैसा, इसमें भी कोरोना विलेन

बैंकों में जमा पैसे की वैल्यू बढ़ने की बजाय घट रही है

क्विंट हिंदी
बिजनेस
Updated:
कोरोना वायरस के बाद कर्ज को सस्ता करने के चक्कर में रिजर्व बैंक ने लेंडिंग रेट कम किए
i
कोरोना वायरस के बाद कर्ज को सस्ता करने के चक्कर में रिजर्व बैंक ने लेंडिंग रेट कम किए
फोटो : iStock 

advertisement

लोग बैंकों में पैसा जमा करते हैं ताकि उनकी पूंजी बढ़े. बैंक उन्हें ब्याज जो देत हैं. लेकिन वक्त जमा पूंजी बढ़ नहीं घट रही है. आपके पैसे की इस उल्टी चाल के पीछे भी मौजूदा दौर का सबसे बड़ा विलेन कोरोना है.

लेंडिंग बढ़ाने के लिए घटाया रेपो रेट

मार्च से मई महीने के बीच में रिजर्व बैंक ने करोना वायरस संकट के बाद डिमांड को बूस्ट देने के लिए कर्ज सस्ता करने के लिए बैंचमार्क रेपो रेट में 115 बेसिस पॉइंट मतलब 1.15% की कटौती की है. रिजर्व बैंक के इसी कदम का नतीजा हुआ कि जब बैंकों को कर्ज सस्ता देने के लिए कहा गया तो उन्हें बैंकों ने डिपॉजिट पर वो जो ब्याज ग्राहकों को देते थे उसे भी घटाया.

महंगाई ने बिगाड़ा खेल

लेकिन अब स्थिति ऐसी बन गई है कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सप्लाई साइड की दिक्कतों और लगातार बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों की वजह से रिटेल महंगाई 6% से ऊपर पहुंच गई है.

मान लेते हैं कि किसी ने देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक में एक साल के लिए टर्म डिपॉजिट में रखा है उसे 5.10% ब्याज मिल रहा है, लेकिन महंगाई 6.09% है. मतलब साफ है जो सेविंग जमा की हुई है उसकी वैल्यू बढ़ने की बजाय करीब 1% घट रही है.

रियल इंटरेस्ट रेट का गणित

जब डिपॉजिट रेट से महंगाई दर को घटा देते हैं तो जो रेट बचता है उसे रियल इंटरेस्ट रेट कहते हैं. मतलब यही वो असली रेट है जो बैंक में आपको पैसे जमा करने पर मिल रहा है. वक्त के साथ-साथ महंगाई बढ़ती है और पैसे की वैल्यू कम होती जाती है. इसे ऐसे समझिए कि 10 साल पहले 100 रुपये से 10 किलो आलू आ जाते होंगे लेकिन अब 5 किलो ही आएंगे. मतलब की करेंसी की वैल्यू घटी है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इंडसइंड बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट गौरव कपूर ने इकनॉमिक टाइम्स अखबार को बताया कि -

‘ब्याज दरें इसलिए घटाई गई थीं क्यों कि ऐसी उम्मीद थी कि ग्रोथ रेट में कमी के चलते मांग बहुत कम होगी और महंगाई नीचे रहेगी. इस हिसाब से रियल इंटरेस्ट रेट अपने आप एडजस्ट हो जाता. ‘
चीफ इकनॉमिस्ट, इंडसइंड बैंक

'साल के आखिर तक कम हो सकती है महंगाई'

कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस साल के आखिर तक रिटेल महंगाई 4% के नीचे आ सकती है. लेकिन ये भी उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में रेपो रेट और घटा सकता है जिसकी वजह से बैंकों को अपना डिपॉजिट रेट और घटाना पड़ेगा.

सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि अगर रियल इंटरेस्ट रेट ऐसे ही नेगेटिव रहता है तो सेविंग कल्चर पर बुरा असर पडे़गा और इससे लोग बैंकों में पैसा रखना कम कर सकते हैं और दूसरे विकल्पों गोल्ड, शेयर मार्केट की तरफ रुख कर सकते हैं. सरकार को चाहिए कि आम मिडिल क्लास की सेविंग के बदले इतना तो ब्याज दे ही कि रकम की वैल्यू न घटे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 18 Jul 2020,07:46 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT