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रिलांयस जियो ने हाल ही में इंटर कनेक्ट यूसेज चार्ज वसूलना शुरू कर दिया. जियो से दूसरे नेटवर्क पर मोबाइल कॉल के लिए इसके ग्राहकों को प्रति मिनट छह पैसे IUC देना पड़ रहा है. जियो ने दूसरी कंपनी के कॉल के लिए मुफ्त वॉयस फैसिलिटी बंद करने की घोषणा की है. इसके बाद टेलीकॉम इंडस्ट्री में इस बात पर निगाहें जमी है कि अब इसकी कंपीटिटर कंपनियां क्या करेंगी.
मोबाइल ऑपरेटरों के इस कदम से टैरिफ में इजाफा हो सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि इस मामले में काफी कुछ ट्राई पर निर्भर करेगा. यूबीएस की एक रिपोर्ट में कहा गया है, "यह देखा जाना बाकी है कि क्या भारती और वीआईएल (वोडाफोन आइडिया) नेट कॉल के लिए समान शुल्क पेश करने में जियो की राह चलती हैं. हालांकि हमारी नजर में उनका ऐसा करने की ज्यादा संभावना है. एक संभावना यह भी है कि नियामक जीरो IUC को स्थगित करने का फैसला रद्द कर दे और मूल योजना को लागू करे.
पिछले महीने मंगवाए गए एक परामर्श पत्र में ट्राई ने आईयूसी को समाप्त करने की तारीख को टाल दिया. रिलायंस जियो ने नियामक से IUC हटाने और 1 जनवरी, 2020 से आईयूसी नियमों के तहत 'बिल एंड कीप' नियम को लागू करने के लिए नई समय-सीमा पर परामर्श प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा मानना है कि दोनों कंपनियों को इस पर ध्यान से विचार करना चाहिए और इस पर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. दूसरा कारण है कि भारती और वीआईएल के सभी ग्राहक अनलिमिटेड वॉयस कॉल स्कीम से जुड़े नहीं हैं. जियो ने प्रतिद्वंद्वी नेटवर्क पर वॉयस कॉल के लिए 6 पैसे प्रति मिनट शुल्क लगाने की घोषणा की है. इस कदम की अन्य निजी कंपनियों ने आलोचना की.
वोडाफोन आइडिया ने घोषणा को जल्दबाजी में उठाया अनुचित कदम करार दिया. एयरटेल ने मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी के इस कदम को इंटरकनेक्शन चार्ज को कम करने के लिए चली गई चाल बताया.
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