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भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की दुनिया की दिग्गज ऑयल एक्सपोर्टर सऊदी अरामको के साथ डील फंस गई है. इस डील में रिलायंस अपने ऑयल-टू-कैमिकल कारोबार में 20% हिस्सेदारी सऊदी अरामको को बेचने वाली थी, लेकिन अब ये प्राइसिंग को लेकर फंस गई है. इस डील से जुड़े सूत्र ने ये बात न्यूज एजेंसी राइटर्स को बताई है.
एनर्जी मार्केट में कोरोना वायरस संकट के बाद तेजी से डिमांड गिरी है और इन नई परिस्थितियों में दुनिया की दिग्गज ऑयल एक्सपोर्टर कंपनी सऊदी अरामको चाहती है कि रिलायंस अपनी हिस्सेदारी बेचने की 15 बिलियल डॉलर की डील को रिव्यू करे.
सूत्रों के मुताबिक 'अरामको ने रिलायंस को बता दिया है कि रिफाइनिंग मार्जिन पर बुरा असर पड़ा है और तीसरी तिमाही में भी ये हालात ऐसे ही रहेंगे. इसलिए अब कंपनी कोरोना के पहले वाली प्राइस नहीं दे सकती है.'
एक दूसरे सूत्र का कहना है कि 'असल में, अरामको के पास पैसा ही नहीं है. रिलायंस रीवैल्यूएशन करने की बजाए मार्केट के रिकवर करने का इंतजार करेगी'.
रिलायंस और अरामको ने रॉयटर्स के ईमेल का जवाब नहीं दिया है.
हालांकि, रिलायंस अभी भी अरामको के साथ लॉन्ग टर्म पार्टनर्शिप को लेकर भरोसेमंद है. कोरोना वायरस संकट के चलते दुनियाभर की ऑयल एक्सपोर्टिंग कंपनियों को भारी मार झेलनी पड़ी है. अरामको दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी है ऐसे में उसको भी रेवेन्यू के मोर्चे पर नुकसान हुआ है.
रिलायंस के पास दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनिंग कॉम्पलेक्स है जो पश्चिमी भारत में स्थित है. रिलायंस ने अरामको से डील की थी, जिसकी योजना थी कि इस डील से मिलने वाली रकम से वो अपना डेट चुकता कर लेती.
लेकिन इसी बीच रिलायंस ने दुनिया भर की दिग्गज डिजिटल कंपनियों से पैसा जुटाया. इनमें गूगल, फेसबुक, इंटेल, क्वालकॉम जैसी कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों के निवेश से रिलायंस नेट डेट फ्री कंपनी बन चुकी है.
मुकेश अंबानी ने कहा है कि- 'हमारी इक्विटी की जरूरतें पहले ही पूरी हो चुकी हैं.'
रिलायंस अरामको के साथ लॉन्ग टर्म पार्टनर्शिप के लिए प्रतिबद्ध है और वो फेसिलिटेट करने के लिए अपने ऑयल-टू-कैमिकल बिजनेस को अलग सब्सिडियरी बनाएगी. अंबानी ने कहा "हम ये प्रक्रिया 2021 के पहले तक पूरी कर लेंगे."
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