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भारत के दो सबसे बड़े ग्रुप्स टाटा संस और शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप का पिछले 70 सालों का रिश्ता आखिरकार टूट गया है. शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि वो टाटा संस से अलग हो रहा है. ये ग्रुप साइरस मिस्त्री का है. जिनका टाटा संस के साथ पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है. ये पूरा मामला टाटा संस में मिस्त्री ग्रुप के शेयरों को गिरवी रखने का है. टाटा ग्रुप ने शेयरों को गिरवी रखे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
टाटा संस की तरफ से लगातार सुप्रीम कोर्ट में ये मांग की जा रही है कि फिलहाल शेयरों को सुरक्षित रखने की जरूरत है, इसीलिए कोर्ट फिलहाल शेयरों की बिक्री पर रोक लगाए. बता दें कि मिस्त्री ग्रुप की टाटा संस में कुल 18.5 फीसदी हिस्सेदारी है.
मिस्त्री ग्रुप ने अपने एक बयान में कहा कि, अब टाटा ग्रुप से अलग होना काफी जरूरी हो गया है. क्योंकि लगातार चल रही इस कानूनी लड़ाई से सिर्फ आर्थिक नुकसान होगा और आजीविकाओं पर इसका असर पड़ सकता है. कंपनी ने कहा कि टाटा संस से अलग होना शेयर होल्डर्स के हित में है.
वहीं टाटा संस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि अगर वॉरेन बफेट शेयर खरीदते हैं या फिर इसे खरीदने की कोशिश करते हैं तो हमें 30 फीसदी चुकाने होंगे.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस और मिस्त्री ग्रुप से कहा है कि अभी शेयर नहीं बेचे जा सकते हैं. शेयरों के जरिए पूंजी जुटाने के लिए अभी इंतजार करना होगा और तब तक यथास्थिति बनाए रखनी होगी.
इन दोनों ग्रुप्स के बीच ये विवाद काफी लंबे समय से चला आ रहा है. अक्टूबर 2016 में अचानक बताया गया कि 78 साल के रतन टाटा ने 48 साल के साइसर मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन के पद से हटा दिया है. इस खबर ने पूरे बिजनेस जगत में हलचल पैदा कर दी थी. रतन टाटा ने एक बार फिर कंपनी को अपने हाथों में ले लिया और बताया गया कि प्रिंसिपल शेयर होल्डर टाटा ट्रस्ट ने ये फैसला किया है.
लेकिन इसके बाद साइरस मिस्त्री ने इस फैसले को चुनौती दी थी. मामला नेशनल कंपनी लॉ एपेलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में गया. जिसने अपने फैसले में सायरस मिस्त्री को हटाए जाने को गैरकानूनी बता दिया. ये फैसला दिसंबर 2019 में आया था.
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