Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019चुनावी मौसम में शेयर बाजार में कैसे कमाई करें

चुनावी मौसम में शेयर बाजार में कैसे कमाई करें

आंकड़े बताते हैं कि अगर कोई चुनाव से पहले शेयर बाजार में निवेश करता है, तो नुकसान की आशंका काफी कम रहती है.

मयंक मिश्रा
बिजनेस
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(Photo altered by The Quint: iStock)
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लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर शेयर बाजार में सबसे बड़ा डर क्या है? एक खिचड़ी गठबंधन, जिसमें छोटी पार्टियों में से किसी एक के हाथ में नेतृत्व होगा. साथ ही वह उसी तरह देश को चलाएगा, जैसा 1996 में कांग्रेस की हार के बाद हमें देखने को मिला था.

महारथी कमेंटेंटर्स भी इसको बड़ा खतरा बताते हैं और वो भी बिना किसी ठोस सबूत के. उनको लगता है कि अगले आम चुनाव के बाद एक अस्थिर गठबंधन की सरकार की स्थिति में लोगों के निवेश का पैसा डूब जाएगा.

और मार्केट के पंडित सबसे ज्यादा क्या चाहते हैं? नरेंद्र मोदी एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ 5 साल के लिए चुने जाएं, जिससे वो अपनी नीतियों को जारी रख सकें. बाजार पर निगाह रखने वालों में से ज्यादातर लोगों ने अपनी ये इच्छा कभी नहीं छिपाई कि भारतीय बाजार पर इसका काफी सकारात्मक असर पड़ेगा.

अगर आप शेयरों में पैसा लगाने वालों में से एक हैं, तो पुरानी स्थिति बहाल होने पर क्या आपको मायूस होना चाहिए या अगर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर पूर्ण बहुमत हासिल करती है, तो आपको खुशी से भर जाना चाहिए?

पुराने आंकड़े कहते हैं कि दोनों में से जो भी हो, आपको न तो हताश होना चाहिए, न ही खुशी से भर जाना चाहिए.

सैंक्टम वेल्थ मैनेजमेंट की हाल की एक रिपोर्ट कहती है:

पिछले 27 साल में हुए सभी 7 चुनावों में, जब भी कोई निवेशक आम चुनाव से 6 महीने पहले शेयर बाजार में निवेश करता है और 2 साल तक पैसा नहीं निकालता, तो सालाना औसतन 23 प्रतिशत की दर से कमाई करता है. इनमें सबसे ज्यादा पैसा निवेशकों ने 2009 के चुनावों के दौरान बनाया, जब यूपीए सरकार ने अपना किला बचा लिया. सबसे कम 1.5 प्रतिशत की कमाई 1999 के चुनाव के समय हुई. उस समय बीजेपी ने फिर से जीत हासिल की थी.

इससे ये भी साफ पता चलता है कि अगर कोई चुनाव से पहले निवेश करता है, तो नुकसान की आशंका काफी कम है. अगर आप चुनावी कार्यक्रम पर नजर बनाए रखें और सतर्क होकर बाजार में पैसे लगाएं, तो वार्षिक आधार पर 23 प्रतिशत की शानदार कमाई का मौका मिल सकता है. कम से कम पुराने रिकॉर्ड को मानें तो.

फोटो : द क्विंट
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खिचड़ी गठबंधन के समय में भी बेहतर कमाई

रिपोर्ट के मुताबिक, 1996 के लोकसभा चुनाव से 6 महीने पहले जिन लोगों ने निवेश किया, उस समय की तथाकथित 'खिचड़ी' संयुक्त मोर्चे की सरकार के बावजूद उन्होंने 2 साल में सालाना 13 प्रतिशत की दर से कमाई की. हालांकि 1999 में जब फिर से चुनाव हुए और बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनी, उस दौरान 2 साल के निवेश पर वार्षिक आधार पर मात्र 1.5 प्रतिशत की ही कमाई हो पाई. 1999 की कमाई का आकलन करते समय ये समझना जरूरी है कि उसी दौरान तथाकथित डॉटकॉम का बुलबुला फूटा था और दुनिया के दूसरे बाजारों में बवंडर आ गया था.

आंकड़े ये कहते हैं कि शुरुआती झटकों के बाद बाजार चल पड़ता है. गठबंधन सरकार की एकता या बिखराव का असर पड़ने की बजाय बाजार आर्थिक बुनियाद को तरजीह देता है. इस तरह के झटके हमने कई देखे हैं.

2004 में जब लेफ्ट और दूसरे क्षेत्रीय दलों के बल पर कांग्रेस की अपेक्षाकृत कमजोर सरकार सत्ता में आई थी, तो शेयर बाजार ने 20 प्रतिशत के लोअर सर्किट से इसका स्वागत किया था.

साथ ही 2009 में जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की सरकार दूसरी बार सत्ता में आई, तो बाजार ने 20 प्रतिशत तक की छलांग लगाकर इसे सलाम किया था. शुरुआत में 20 प्रतिशत की गिरावट देखने के बावजूद यूपीए 1 की सरकार, शेयरों में निवेश करने वालों के लिए बेहतरीन सालों में से एक रहा. दूसरी तरफ यूपीए 2 की सरकार के समय में कुछ साल बाद शेयर बाजार में मायूसी ही रही.

(सांकेतिक फोटो: PTI)

शेयर निवेशकों के लिए हाल के चुनाव ज्यादा फायदा वाले

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि लोकसभा चुनाव हमें कम समय में भी कमाई का अच्छा मौका देता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 20 साल (4 लोकसभा चुनाव) के आंकड़े बताते हैं कि मतदान के समय निफ्टी के ज्यादातर शेयरों ने बढ़त हासिल की. सूचकांक में 1998 के निचले स्तर से 9,426 अंकों की बढ़ोतरी (809 से 10,235 तक) दर्ज की गई. इस बढ़ोतरी का 60 प्रतिशत हिस्सा, चुनाव होने के पहले के 6 महीनों से लेकर चुनाव होने के 6 महीने बाद के समय में हासिल हो गया था.
लोकसभा चुनाव हमें कम समय में भी कमाई का अच्छा मौका देता है(फोटोः द क्विंट)

लेकिन अगर आप इस समय शेयर बाजार में निवेश की तैयारी कर रहे हैं, तो कृपया कुछ ही दिनों पहले जारी हुई फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़ी भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट को जरूर पढ़ें.

ये रिपोर्ट जिस खास बात की ओर इशारा कर रही है, वह यह है कि हॉट मनी के रूप में जाना जाने वाला एफपीआई का भारत में निवेश, मौजूदा कैलेंडर वर्ष में भी काफी कम रहने वाला है. ध्यान रहे कि विदेशी निवेशकों ने 2018 में भी शेयर बाजार में खूब बिकवाली की.

फोटो: iStock

फिर से वही सवाल, क्या आने वाला लोकसभा चुनाव शेयर बाजार के निवेशकों के चेहरे पर प्रतीक्षित मुस्कान लाएगा? ऐतिहासिक आंकड़ों में इसका जवाब 'हां' है.

डिसक्लेमर: बाजार से बरसों दूर रहने के बाद, मैंने हाल ही में एक बीमार पीएसयू बैंक के 1,700 शेयर खरीदे. ऐतिहासिक आंकड़े मेरे लिए एक प्रेरणा रहे हैं. लेकिन आपको इसमें शामिल जोखिमों से सावधान रहना चाहिए और उसी के हिसाब से निवेश का फैसला करना चाहिए.

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