Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019AGR पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार और टेलीकॉम कंपनियों को फटकार

AGR पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार और टेलीकॉम कंपनियों को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AGR को लेकर कंपनियों की किसी भी आपत्ति को अब नहीं सुनेगा 

क्विंट हिंदी
बिजनेस
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टेलीकॉम कंपनियों के AGR सेल्फ असेसमेंट की बात  सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी 
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टेलीकॉम कंपनियों के AGR सेल्फ असेसमेंट की बात  सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी 
(फोटो Altered by quint hindi)

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एजीआर ड्यूज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलील नहीं मानी. टेलीकॉम मंत्रालय ने मांग की थी कि टेलीकॉम कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए 20 साल या इससे थोड़ा कम वक्त दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजीआर ड्यूज मामले में उसका फैसला साफ है और आगे बकाया पेमेंट को लेकर किसी भी आपत्ति को नहीं माना जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की उस मांग को भी खारिज कर दिया गया, जिसमें कंपनियों को कोर्ट के आदेश के बगैर एजीआर का सेल्फ असेसमेंट की इजाजत देने को कहा गया था. कोर्ट ने कहा कि यह अदालत की अवमानना होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,यह पब्लिक मनी का मामला है

सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह पब्लिक मनी का मामला है, जो पिछले 20 साल से नहीं चुकाया गया है. टेलीकॉम कंपनियां मीडिया के जरिये इस मामले को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं.

एजीआर मामले से जुड़े इस केस की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह कर रहे थे. उन्हें कंज्यूमर राइट्स संगठन सेव कंज्यूमर राइट्स फाउंडेशन की याचिका पर भी सुनवाई करनी थी. यह संगठन टेलीकॉम कंपनियों को सरकार की ओर से राहत की पैरवी का विरोध कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,एजीआर में नॉन कोर रेवेन्यू भी शामिल हों

इसी बेंच ने पिछले साल अक्टूबर में एजीआर पर फैसला देते समय कहा था कि इसमें नॉन कोर आइटम भी शामिल होने चाहिए. इससे टेलीकॉम कंपनियों में हड़कंप मच गया था. एजीआर के दायरे में टेलीकॉम कंपनियों के लगभग सभी रेवेन्यू को शामिल कर लिए जाने से उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है. कंपनियों को लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज, ब्याज और पेनाल्टी समेत 1.43 करोड़ रुपये सरकार को देने हैं. एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सबसे ज्यादा असर वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेली सर्विसेज पर पड़ा है. इन कंपनियों पर 1.19 लाख करोड़ रुपये का बकाया है.

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कंपनियों ने इस बकाये का कुछ हिस्सा चुका दिया है लेकिन ताजा विवाद कंपनियों की ओर से इस बकाये सेल्फ असेसमेंट को लेकर है. कंपनियां खुद इसका आकलन कर रही थीं कि उनका कितना एजीआर बकाया है.

क्या है AGR?

AGR यानी Adjusted gross revenue दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस. DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.

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Published: 18 Mar 2020,12:16 PM IST

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