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आप कितना भी कमाते हों, अगर उसका एक-तिहाई हिस्सा टैक्स में चला जाए, तो किसे अच्छा लगेगा? लेकिन हम आपको यही बता रहे हैं कि कैसे आप इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक चलते हुए ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं.
इस लेख के पिछले हिस्से में हमने आपको सेक्शन 87ए, 80सी, 80 सीसीडी 1बी और 80डी के फायदे गिनाए थे. अब हम आपको कुछ और सेक्शन बताने जा रहे हैं, जिनका फायदा उठाकर आप टैक्स बचा सकते हैं.
पार्ट-1: इनकम टैक्स के बोझ से दबे हों, तो अपनाएं टैक्स बचाने वाले ये तरीके
अगर आपके बेटे-बेटी या पति/पत्नी को किसे अच्छे कॉलेज या संस्थान में दाखिला लेना है और उसकी ऊंची फीस की चिंता आपको सता रही है, तो आप इस चिंता को दूर भगा दीजिए, क्योंकि आप इस फीस को चुकाने के लिए ले सकते हैं एजुकेशन लोन, साथ ही उठा सकते हैं असीमित टैक्स छूट का फायदा भी. सेक्शन 80ई के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है, जिसकी कोई सीमा नहीं है. मतलब ये कि लोन का पूरा ब्याज आपके लिए टैक्स फ्री हो जाता है. बस ध्यान रखिए कि ये लोन आपको चुनिंदा बैंकों या वित्तीय संस्थानों से ही लेने होते हैं.
जी हां, अगर आप घर खरीदने जा रहे हैं, तो यकीन मानिए टैक्स छूट के रूप में एक बड़ा तोहफा सरकार आपको देगी. वो भी सिर्फ इस साल नहीं, आने वाले कई सालों तक, बशर्ते आपने वो घर होम लोन लेकर खरीदा हो. हमने पहले आपको बताया है कि होम लोन की मूल रकम यानी प्रिंसिपल अमाउंट पर आपको सेक्शन 80सी में छूट मिलती है, लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती. आप होम लोन की जो ईएमआई चुकाते हैं, उसके ब्याज पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है. सेक्शन 24 के तहत मिलने वाली इस छूट की अधिकतम सीमा है सालाना 2 लाख रुपये. बस याद रखिए कि आपको घर का पजेशन मिल चुका हो, तभी इस छूट के आप हकदार होंगे.
वैसे जो लोग पहला घर खरीदने जा रहे हैं, उन्हें हम एक और फायदे की बात बताते हैं. आपको होम लोन के ब्याज पर 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट मिलने जा रही है, बस आपको एकाध बातें याद रखनी होंगी. पहली- घर की खरीद वित्त वर्ष 2016-17 में होनी चाहिए, यानी 1 अप्रैल, 2016 से 31 मार्च, 2017 के बीच. दूसरी- घर की कीमत 50 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. तीसरी- आपका होम लोन 35 लाख से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इस अतिरिक्त छूट के साथ आप होम लोन के ब्याज पर ढाई लाख रुपये तक बचा सकते हैं. ये छूट मिलती है सेक्शन 80 ईई में.
अगर आपके नाम पर एक घर है और आप दूसरा घर खरीदने जा रहे हैं, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है. अगर आपने दूसरा घर किराये पर दे दिया है, तो आप किराये को अपनी आय में जोड़ दें. फिर आपको मिलेगा बंपर फायदा, कैसे? वो ऐसे कि इस दूसरे घर के होम लोन का आपका पूरा ब्याज टैक्स फ्री हो जाएगा. जी हां, यहां आपको 2 लाख की सीमा की चिंता नहीं करनी है.
अगर आप अभी घर नहीं खरीद रहे और किराये पर रह रहे हैं, तो ऐसा नहीं है कि सरकार को आपकी बिलकुल चिंता नहीं है. आपको किराये पर भी टैक्स छूट मिलती है, बस आप कुछ शर्तें पूरी कर रहे हों. पहली बात तो यह कि आपको अपनी कंपनी की तरफ से एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस मिल रहा हो. अगर आपको एचआरए मिलता है, तो फिर सेक्शन 10(13ए) के तहत आप टैक्स छूट के हकदार हैं. इसका फायदा उठाने के लिए आपको अपने मकान मालिक के साथ रेंट एग्रीमेंट करना चाहिए और उसका पैन नंबर जरूर दर्ज करना चाहिए. साथ ही किराये की रसीद भी अपने पास रखनी चाहिए. इसमें छूट एक तय फॉर्मूले के हिसाब से मिलती है, जो इस तरह है-
1- एम्प्लॉयर से मिली एचआरए की वास्तविक रकम
2- चुकाया गया किराया- बेसिक सैलरी का 10%
3- बेसिक सैलरी का 50%
ऊपर के तीन विकल्पों में जो सबसे कम रकम होगी, आप एचआरए के तौर पर उतनी ही छूट के हकदार होंगे.
कंपनी नहीं देती है एचआरए लेकिन अगर आपकी कंपनी आपको एचआरए नहीं देती है, तो भी आपको निराश होने की जरूरत नहीं है. अगर आप किराये के घर में रहते हैं तो आप सालाना 60 हजार रुपये तक की छूट हासिल कर सकते हैं. ये छूट आपको मिलेगी सेक्शन 80 जीजी में. इसके लिए भी एक फॉर्मूला है, जिसके मुताबिक आपकी टैक्स छूट की गणना की जाएगी. ये फॉर्मूला इस तरह है-
1- कुल आय का 25%
2- चुकाया गया किराया- कुल आय का 10%
3- 5,000 रुपये प्रति महीना
ऊपर के तीन विकल्पों में जो सबसे कम रकम होगी, आप सेक्शन 80 जीजी के तहत उतनी ही छूट के हकदार होंगे.
इन सबके अलावा भी कई तरह के टैक्स छूट हैं, जो खासकर नौकरीपेशा लोगों को मिल सकते हैं. इनमें शामिल होते हैं, वो भत्ते जो कंपनियां अपने कर्मचारियों को देती हैं. ट्रैवल अलाउंस जिसकी सालाना छूट सीमा है 19,200 रुपये, मेडिकल अलाउंस जिसकी छूट सीमा है 15,000 रुपये. इसके अलावा भी एंटरटेनमेंट अलाउंस, यूनिफॉर्म अलाउंस, बुक्स अलाउंस वगैरह मिलते हैं.
लेकिन इनके लिए नौकरीपेशा लोग अपनी कंपनी से बात करने के बाद ही पता लगा सकते हैं कि वो इन अलाउंस के हकदार हैं या नहीं, या फिर उनकी कंपनी में इन भत्तों का प्रावधान है या नहीं. हमारी सलाह होगी कि आप अपनी कंपनी से इस बारे में जरूर बात करें. जैसे-जैसे आपकी सैलरी बढ़े, आप सही तरीके से टैक्स प्लानिंग करें, तो कभी भी टैक्स का बोझ आपकी जेब पर भारी नहीं पड़ेगा.
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