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इनकम टैक्स के बोझ से दबे हों तो अपनाएं टैक्स बचाने वाले ये तरीके

टैक्स शब्द सुनकर ही टेंशन में आ जाते हों तो पढ़िए ये आर्टिकल, आपकी सारी दिक्कतें होंगी दूर.

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ज्यादातर लोग टैक्स शब्द सुनकर ही टेंशन में आ जाते हैं लेकिन इसलिए क्योंकि वो टैक्स को समझते कम हैं और इसमें उलझते ज्यादा हैं.

उनकी उम्मीदें सरकार पर टिकी होती हैं कि वो इनकम टैक्स में नई छूट देती है या नहीं, या बेसिक एक्जेंप्शन लिमिट बढ़ती है या नहीं. लेकिन शायद उन्हें मालूम ही नहीं है कि टैक्स कैसे बचा सकते हैं.

टैक्स की बचत कुछ हजारों की नहीं बल्कि लाखों की हो सकती है. क्योंकि सच यही है कि ज्यादातर लोगों को यही पता नहीं होता कि वो सैलरी के ढांचे में मामूली फेरबदल के जरिए टैक्स बचा सकते हैं. साथ ही, कई ऐसे तरीके हैं जिससे हम टैक्स की लायबिलिटी कम कर सकते हैं.

सबसे पहले जानिए अपना टैक्स स्लैब

सबसे पहले हम देख लेते हैं कि कारोबारी साल 2016-17 के लिए सरकार ने टैक्स स्लैब क्या बनाए हैं. नीचे हम आपके लिए तीन टेबल दे रहे हैं जिसे देखकर आप पता कर सकते हैं कि आप किस स्लैब में आते हैं. ये ध्यान रखिए कि आय का मतलब है टैक्सेबल इनकम, यानी वो इनकम जो आपको एक्जेंप्शन या डिडक्शन के बाद मिलती है.

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कम आय वालों को विशेष छूट

जी हां, जिन लोगों की आय कम है, उनका विशेष ख्याल रखते हुए सरकार उन्हें टैक्स पर अतिरिक्त छूट भी देती है. आय की ये सीमा है 5 लाख रुपये. सेक्शन 87ए के तहत अधिकतम 5000 रुपए की छूट मिलती है. टैक्स की ये छूट आपके टैक्स की गणना के बाद मिलती है.

मसलन अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए है तो आपके स्लैब के हिसाब से आप पर टैक्स की देनदारी बनेगी 25 हजार रुपए. लेकिन सेक्शन 87ए की छूट के बाद आपकी टैक्स देनदारी घटकर 20 हजार ही रह जाएगी. इसका मतलब ये भी है कि अगर आपकी टैक्सेबल इनकम तीन लाख रुपए तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. है ना फायदे की बात!

सेक्शन 80: नाम तो सुना ही होगा

अब बात करते हैं कि आपको टैक्स छूट कहां-कहां और किन-किन तरीकों से मिल सकती है. तो टैक्स छूट का सबसे लोकप्रिय जरिया है सेक्शन 80 परिवार. हम इसे परिवार इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसमें ढेरों सेक्शन हैं जिनमें छूट के लिए अलग-अलग नियम हैं. खास बात ये है कि आप इनमें से सभी का फायदा उठा सकते हैं. जिन सेक्शन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, वो हैं – 80 सी, 80 सीसीडी-1बी, 80 डी, 80 ई, 80 ईई, 80 जी.

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टैक्स छूट का सबसे बड़ा हथियार

शुरुआत 80 सी से करते हैं. इस सेक्शन में दो तरह से छूट मिलती है. इसकी अधिकतम छूट सीमा है डेढ़ लाख रुपये. आप कुछ खास स्कीमों में निवेश करके तो टैक्स बचा ही सकते हैं, आपके कई खर्च भी आपको टैक्स छूट दिलाने में काम आते हैं. इनमें से कुछ तरीके हम आपको नीचे बता रहे हैं.


टैक्स छूट के लिए कहां करें निवेश -

- प्रोविडेंट फंड
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड
- लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट
- पोस्ट ऑफिस स्कीम
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट

खर्चे जो आपको दिलाएंगे टैक्स छूट

- 2 बच्चों की ट्यूशन फीस
- होम लोन का प्रिंसिपल अमाउंट

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रिटायरमेंट और टैक्स प्लानिंग साथ-साथ

जी हां, एक तीर से दो शिकार. सरकार की नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस एक ऐसा तरीका है जिससे आपको सालाना पचास हजार रुपए तक की अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती है. ये छूट आपको 80 सीसीडी-1बी के तहत मिलती है.

वैसे आप इस स्कीम में जितना चाहें निवेश कर सकते हैं लेकिन टैक्स छूट पचास हजार तक की ही मिलेगी. तो अगर आपने इसमें निवेश किया तो आप अपने स्लैब के मुताबिक पांच हजार से पंद्रह हजार रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं.

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सेहत का ख्याल, टैक्स की बचत

अब आती है 80डी की बारी. इसमें आप अपने लिए और परिवार के सदस्यों के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी लेकर टैक्स बचा सकते हैं. 60 साल से कम उम्र वालों के लिए ये छूट सीमा है 25,000 रुपए और 60 साल से ज्यादा वालों के लिए छूट सीमा है 30,000 रुपए. तो अगर आप अपने लिए और अपने माता-पिता के लिए अलग-अलग मेडिक्लेम पॉलिसी लेते हैं तो आप अधिकतम 55 हजार रुपए की छूट पा सकते हैं.

तो हमने अब तक आपको जितने तरीके बताए, आप उनके मुताबकि चलें तो आपकी साढ़े पांच लाख तक की इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वैसे तो अभी और भी कई टैक्स छूट हैं जिनका आप फायदा उठा सकते हैं. इस बारे में भी हम आपको जल्द ही बताएंगे.

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