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स्लोडाउन से ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में एक लाख नौकरियों पर गिरी गाज 

वाहनों की बिक्री में गिरावट की वजह से ऑटो इंडस्ट्री को करारा झटका लगा है

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बिजनेस
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वाहनों की बिक्री घटने से ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री की हालत खराब
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वाहनों की बिक्री घटने से ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री की हालत खराब
फोटो : रॉयटर्स 

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गाड़ियों की बिक्री घटने से अक्टूबर 2018 और जुलाई 2019 के बीच ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में काम करने वाले एक लाख लोगों की नौकरियां चली गईं. ऑटो कंपोनेंट्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिशन ने कहा है कि इस दौरान एक लाख अस्थायी कर्मचारी बेरोजगार हो गए.

ऑटो कंपोनेंट्स मैन्यूफैक्चरर्स यानी ACMA ने कहा कि 2019 की पहली छमाही में ऑटो कंपोनेंट की सेल्स 10 फीसदी घट कर 1.79 लाख करोड़ रुपये की रह गई.

ACMA के प्रेसिडेंट दीपक जैन ने कहा है इस स्लोडाउन का असर अस्थायी कर्मचारियों पर पड़ा. दरअसल मांग कम होने का असर कंपोनेंट मेकर्स पर पड़ा. प्रोडक्शन घटाना पड़ा और इसकी गाज अस्थायी कर्मचारियों पर पड़ी.

वाहनों की बिक्री से ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री को झटका

जैन ने कहा कि ऑटो इंडस्ट्री एक लंबे स्लोडाउन से गुजर रही है. पिछले साल सारे सेगमेंट में गाड़ियों की बिक्री घटी है और यह रुझान अब भी जारी है.उन्होंने कहा कि कंपोनेंट इंडस्ट्री वाहन उद्योग पर टिकी होती है. वाहनों की बिक्री घटने से ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री को भी झटका लगा. इससे ऑटो कंपोनेंट में निवेश की भी कमी आ गई.

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ACMA के डायरेक्टर जनरल विन्नी मेहता ने कहा 2018-19 की दूसरी छमाही में वाहनों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई और यह 2019-20 की पहली छमाही तक जारी रही. पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपोनेंट इंडस्ट्री की विकास दर गिरी. इसका टर्नओवर 1.79 लाख करोड़ रुपये रहा. हालांकि उन्होंने कहा कि बीएस-6 मानक लागू होने के बाद कंपोनेंट सेक्टर में रफ्तार आ सकती है. क्योंकि वाहन उद्योग को नए तरह के पुर्जों की जरूरत होगी.

कई चुनौतियों से जूझ रहा है ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री

दूसरी ओर ACMA के प्रेसिडेंट दीपक जैन ने कहा वाहनों की बिक्री घटने. वाहनों के बीएस-4 से बीएस-6 मानक की ओर ट्रांजिशन, लिक्विडिटी की कमी और इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी नीतियों में स्पष्टता नहीं होने का असर ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री पर पड़ा है. इससे कंपोनेंट इंडस्ट्री के विस्तार प्लान पर भी असर पड़ा है.

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