रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश में रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्रीज भारी परेशानियों से घिरी हुई हैं. राजन ने कहा है कि इन सेक्टरों को कर्ज देने वाली नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की एसेट क्वालिटी का रिव्यू होना चाहिए.
राजन ने कहा,ग्रामीण इलाकों में भी खासा संकट
‘इंडिया टुडे’ के लिए लिखे लेख में राजन ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में खासा संकट का माहौल है. भारत की विकास दर में धीमापन पर आ गया है. यह ऐसी स्थिति है जहां इकनॉमी धीमी गति से बढ़ती है और बेरोजगारी में इजाफा होता है.
सितंबर तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर घट कर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई थी. यह छह साल का निचला स्तर है. एनबीएफसी कंपनियों के संकट और बैंकों के बैड लोन की वजह से इकनॉमी में कर्ज संकट पैदा हो गया है.
‘आरबीआई एनबीएफसी की एसेट क्वालिटी की समीक्षा करे’
राजन ने इस संकट का जिक्र करते हुए लिखा है कि आरबीआई को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की एसेट क्वालिटी की समीक्षा करनी चाहिए. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि केंद्रीय बैंक फाइनेंस करने वाली टॉप पचास गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को मॉनिटर करती है. यह एनबीएफसी कंपनियों के कुल एसेट का 75 फीसदी है.
शक्तिकांत दास का कहना है कि आरबीआई को पता है कि दिक्कतें क्या हैं. कहां कमजोरी है. दास का कहना है कि रिजर्व बैंक किसी भी भी बड़े बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंसर को डूबने नहीं देगा.
सरकार ने नवंबर में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए किया था राहत का ऐलान
सरकार ने नवंबर में 1,600 रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ के फंड को मंजूरी दी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 1600 हाउसिंग प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं, जिनसे 4 लाख 58 हजार घर खरीदार प्रभावित हैं. इनमें वैसी परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिन्हें बैड लोन घोषित किया जा चुका है या जिनके कर्ज को दिवालिया अदालत के जरिए निपटाने की कोशिश हो रही है. इस कदम के जरिए सरकार रियल एस्टेट और उससे जुड़े सेक्टरों में मांग बढ़ाकर ग्रोथ तेज करना चाहती है.
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