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वोडाफोन ग्रुप ने भारत सरकार के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का मामला जीत लिया है. ये मामला 20,000 करोड़ के टैक्स विवाद का है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने 25 सितंबर को सूत्रों के हवाले से ये खबर दी है.
ब्लूमबर्गक्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनी ने दावा किया था कि इनकम टैक्स कानून में पूर्वप्रभावी बदलावों के जरिए जिस टैक्स (रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स) लायबिलिटी को उस पर डाला गया था, वो भारत-नीदरलैंड निवेश संधि समझौते के तहत न्यायसंगत और निष्पक्ष व्यवहार के सिद्धांतों का उल्लंघन है.
इस दावे को स्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया.
NDTV के मुताबिक, इस मामले में 12,000 करोड़ का ब्याज और 7,900 करोड़ का जुर्माना शामिल है.
ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर को AGR संबंधित बकाये पर आए फैसले के बाद आया है. कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है.
कोर्ट ने कहा था कि बकाये का 10 फीसदी 31 मार्च 2021 तक चुकाना है और ये राहत कोरोना वायरस की स्थिति देखते हुए दी गई है.
कोर्ट ने कहा था, "हर साल 7 फरवरी तक किस्त चुकानी है. डिफॉल्ट पर ब्याज लगेगा और पैसा न देने पर अवमानना की कार्रवाई हो सकती है."
मध्यस्थता मामले में जीत वोडाफोन के लिए राहत की खबर है. अगर सुप्रीम कोर्ट ने किस्त में बकाया न देने का फैसला दिया होता तो कंपनी के लिए परेशानी हो सकती थी.
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