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इस हफ्ते के शुरू में देश में स्टार्टअप की स्थिति पर एक रिपोर्ट आई. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में दिल्ली-एनसीआर में बेंगलुरु की तुलना में ज्यादा स्टार्टअप हैं.
TiE के दिल्ली-एनसीआर चैप्टर में रिपोर्ट का शीर्षक था, "Turbocharging Delhi-NCR Start-up Ecosystem." इसमें बताया गया कि एनसीआर में 2013 से कम से कम एक नया स्टार्टअप यूनीकॉर्न पैदा हुआ है.
इस रिपोर्ट से उद्योग जगत के सभी हलकों की आंखें चौड़ी हो गईं. लेकिन सवाल है कि देश के दूसरे शहरों की तुलना में दिल्ली क्षेत्र में ज्यादा स्टार्टअप होना वास्तव में कितना मायने रखता है?
ये बात इतनी अहम क्यों है, ये बात हमने स्टार्टअप दिल्ली के संस्थापक अभिषेक कुमार गुप्ता से पूछा. उन्होंने बताया कि दिल्ली के स्टार्टअप में ज्यादातर सेवा मुहैया कराने वाली कम्पनियां हैं.
स्टार्टअप की परिभाषा को लेकर बहस हो सकती है. इस सूची में कई कम्पनियां शामिल हैं. आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 2009 और 2019 के बीच 7,000 से ज्यादा स्टार्टअप शुरू हुए हैं.
गुप्ता बताते हैं कि प्रौद्योगिकी पर आधारित स्टार्टअप मुख्य रूप से बेंगलुरू में हैं. लेकिन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के रूप में मान्यता के लिए कम्पनी का सामान बाजार में बिक्री के लिए तैयार होना चाहिए.
E-commerce and Consumer Internet, EY India के राष्ट्रीय नेता अंकुर पहवा बताते हैं कि दिल्ली-एनसीआर के विस्तार (जिसमें दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद शामिल हैं) और बेंगलुरु की भौगोलिक सीमाओं में अन्तर को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता. फिर भी उनका मानना है कि 2019 के लिए ऐसी तुलनाएं मायने नहीं रखतीं.
दिल्ली-एनसीआर में स्टार्टअप की संख्या ज्यादा है. मुख्य रूप से ये सेवा के क्षेत्र में हैं. बेंगलुरू के स्टार्टअप की तुलना में इनकी लागत कम है.
अंकुर जोर देते हैं कि आज भी आप ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों को बेंगलुरु में देखते हैं. हाल-फिलहाल में इस हालत में बदलाव होता नहीं दिखता.
आप कह सकते हैं कि दिल्ली क्षेत्र में ‘यूनीकॉर्न’ की संख्या ज्यादा है. यानी वो कम्पनियां जिनका कारोबार 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा है. लेकिन ये बात कितना मायने रखती है, जब दूसरे लोगों को इसका फायदा नहीं हो रहा.
अभिषेक ने गौर किया कि इसी कारण 2016 से निवेशकों ने शुरुआती स्तर के स्टार्टअप में निवेश करना कम कर दिया है. TiE Delhi-NCR report में भी इसका जिक्र किया गया है.
इस हफ्ते के शुरू में Sequoia के राजन आनंदन ने एक प्रेस कार्यक्रम में कहा कि इस रिपोर्ट से सबसे बड़ा फायदा यही हो सकता है कि निवेशक दिल्ली-एनसीआर में स्टार्टअप के बढ़ते रुझान पर ध्यान दें.
TiE की रिपोर्ट ने भी इस क्षेत्र में 2015 तक 20 incubation centres बनाने का खाका तैयार किया है. इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में यूनीकॉर्न की संख्या भी 30 तक पहुंचने की संभावना जताई है.
अगर इन विचारों और रिपोर्ट का राज्य स्तर पर असर पड़ा तो कोई भी, और खासकर स्टार्टअप समाज ऐसी तुलनाएं नहीं करेगा.
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