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भारत बायोटेक कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन- कोवैक्सीन की किल्लत के बीच नेशनल वैक्सीन एडवाइजरी ग्रुप के चेयर पर्सन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि, कोवैक्सीन के प्रोडक्शन में धीमी रफ्तार का कारण शुरुआती बैच की क्वालिटी का सही नहीं होना है.
"भारत बायोटेक अपना प्रोडक्शन टारगेट पूरा क्यों नहीं कर पा रहा है" के सवाल पर डॉ एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी से कहा-
इसी सवाल पर गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नंदूला रघुराम ने कहा कि,
भारत बायोटेक कंपनी कोवैक्सीन प्रोडक्शन का टारगेट पूरा नहीं कर पा रही है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार 16 जनवरी से शुरू वैक्सीनेशन ड्राइव से लेकर अब तक भारत में कुल 45 करोड़ वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं और इनमें से मात्र 5 करोड़ ही कोवैक्सीन के डोज हैं.
मई में दायर केंद्र सरकार के हलफनामे के अनुसार सरकार ने कोवैक्सीन के लिए प्रीक्लिनिकल स्टडी के समय ही निवेश किया था और इसके क्लिनिकल ट्रायल में सरकार ने कुल ₹36 करोड़ खर्च कर दिया है.
भारत बायोटेक भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को अपने कोवैक्सीन की बिक्री पर 5 प्रतिशत की रॉयल्टी का भुगतान करेगा. हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा संयुक्त रूप से विकसित कोवैक्सिन के उपयोग को नियंत्रित करने वाली बौद्धिक संपदा को "साझा" किया गया था और यही कारण है कि ICMR को रॉयल्टी भुगतान प्राप्त होगा.
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