Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोवैक्सीन का प्रोडक्शन खराब क्वालिटी के चलते पड़ा धीमा? एनके अरोड़ा ने दिया जवाब

कोवैक्सीन का प्रोडक्शन खराब क्वालिटी के चलते पड़ा धीमा? एनके अरोड़ा ने दिया जवाब

नेशनल वैक्सीन एडवाइजरी ग्रुप के चेयरपर्सन डॉ. अरोड़ा ने कहा- "उम्मीद है कि अगले 4-6 हफ्तों में प्रोडक्शन बढ़ेगा"

क्विंट हिंदी
कोरोनावायरस
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<div class="paragraphs"><p><strong>Bharat Biotech's Covaxin</strong></p></div>
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Bharat Biotech's Covaxin

(फोटो- क्विंट)

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भारत बायोटेक कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन- कोवैक्सीन की किल्लत के बीच नेशनल वैक्सीन एडवाइजरी ग्रुप के चेयर पर्सन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि, कोवैक्सीन के प्रोडक्शन में धीमी रफ्तार का कारण शुरुआती बैच की क्वालिटी का सही नहीं होना है.

"भारत बायोटेक अपना प्रोडक्शन टारगेट पूरा क्यों नहीं कर पा रहा है" के सवाल पर डॉ एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी से कहा-

" शुरुआती बैच की क्वालिटी सही नहीं थी. लेकिन तीसरी-चौथी बैच सही है और उसके साथ हम आगे बढ़ रहे हैं. हमें उम्मीद है कि अगले चार-छह हफ्तों में भारत बायोटेक अपना प्रोडक्शन बढ़ा देगा".

इसी सवाल पर गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नंदूला रघुराम ने कहा कि,

"निश्चित रूप से कोई भी (सार्वजनिक उपक्रम जो कोवैक्सीन बनाकर प्रोडक्शन तेज करने वाली थी) अभी प्रोडक्शन के लिए तैयार नहीं है"
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भारत में लगी 45 करोड़ वैक्सीन, कोवैक्सीन मात्र 5 करोड़

भारत बायोटेक कंपनी कोवैक्सीन प्रोडक्शन का टारगेट पूरा नहीं कर पा रही है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार 16 जनवरी से शुरू वैक्सीनेशन ड्राइव से लेकर अब तक भारत में कुल 45 करोड़ वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं और इनमें से मात्र 5 करोड़ ही कोवैक्सीन के डोज हैं.

मई में दायर केंद्र सरकार के हलफनामे के अनुसार सरकार ने कोवैक्सीन के लिए प्रीक्लिनिकल स्टडी के समय ही निवेश किया था और इसके क्लिनिकल ट्रायल में सरकार ने कुल ₹36 करोड़ खर्च कर दिया है.

ICMR को कोवैक्सीन की बिक्री पर मिलेगी 5 प्रतिशत की रॉयल्टी

भारत बायोटेक भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को अपने कोवैक्सीन की बिक्री पर 5 प्रतिशत की रॉयल्टी का भुगतान करेगा. हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा संयुक्त रूप से विकसित कोवैक्सिन के उपयोग को नियंत्रित करने वाली बौद्धिक संपदा को "साझा" किया गया था और यही कारण है कि ICMR को रॉयल्टी भुगतान प्राप्त होगा.

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