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ब्लैक फंगस क्या है, कैसे पहचानें? एक्सपर्ट दे रहे हर सवाल का जवाब

कैंसर को जानलेवा प्रभाव पैदा करने में कुछ महीने लगते हैं जबकि ब्लैक फंगस से जान कुछ दिनों या घंटों में जा सकती है.

FIT
कोरोनावायरस
Updated:
<div class="paragraphs"><p>कोविड महामारी के साथ 'ब्लैक फंगल इनफेक्शन' में काफी वृद्धि हुई है .</p></div>
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कोविड महामारी के साथ 'ब्लैक फंगल इनफेक्शन' में काफी वृद्धि हुई है .

(फोटो: iStock)

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कोरोना मरीजों में फंगल इन्फेक्शन, जिसे 'ब्लैक फंगल इन्फेक्शन' कहा जा रहा है, के मामले बढ़ रहे हैं. इस इंफेक्शन से सबसे बड़ा डर ये है कि ये तेजी फैलता है और लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है या कुछ अंग काम करना बंद कर देते हैं. लेकिन यह 'ब्लैक फंगल इनफेक्शन' या Mucormycosis रहस्यमई नहीं है. यह केवल बहुत दुर्लभ था.

Mucormycosis है क्या? कोविड के कारण यह कैसे हुआ ?और स्टेरॉयड तथा इसमें क्या संबंध है ?आपके इन्हीं सवालों के जवाब के लिए क्विंट FIT ने बात की फोर्टिस,फरीदाबाद की कंसलटेंट और ENT डॉ. अर्पणा महाजन से

Mucormycosis क्या है?

US सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन(CDS) के अनुसार Mucormycosis एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो के Moulds के एक ग्रुप, जिसे micromycetes कहते हैं, के कारण होता है.

" यह फंगस हमारे चारों ओर मुक्त रूप में मौजूद होता है लेकिन किसी के शरीर के अंदर इन्फेक्शन को संभव बनाने के लिए इसे एक विशेष इन्वायरमेंट की जरूरत होती है. यह समान्यतः नाक ,साइनस ,आंखों में या दिमाग में पाया जाता है."
डॉ. अर्पणा महाजन ,कंसलटेंट और ENT,फोर्टिस,फरीदाबाद

उन्होंने कहा कि "अगर यह एक बार दिमाग में फैल गया तो इसका इलाज बहुत कठिन है".

यह इंफेक्शन इतना खतरनाक क्यों है ?

उनके अनुसार "यह जानलेवा इंफेक्शन है, जिसमें मृत्यु दर काफी ऊंची है".

इससे पहले FIT से बात करते हुए दिल्ली में क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. सुमित रे ने समझाया था कि Mucor से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर लगभग 50 से 70% तक होती है.

डॉ. सुमित के अनुसार "अगर एक हद से ज्यादा संक्रमण फैल गया तो मरीज को बचा पाना असंभव होता है."

इसे और खतरनाक बनाती है इसके फैलने की तीव्र गति.

" यह कैंसर की तरह व्यवहार करता है, लेकिन कैंसर को जानलेवा प्रभाव पैदा करने में कम से कम कुछ महीने तो लगते हैं जबकि इससे जान कुछ दिनों या कुछ घंटों तक में जा सकती है."
डॉ. अर्पणा महाजन ,कंसलटेंट और ENT,फोर्टिस,फरीदाबाद

इतना खतरनाक होने के बावजूद अभी हाल तक इसे इतना भयानक नहीं माना जाता था.

डॉ. महाजन ने कहा कि 'यह एक दुर्लभ था रोग था. किसी व्यस्त सेंटर पर भी तीन-चार साल में कभी एक मामले ही आते थे."

अगर Mucor दुर्लभ है तो अभी यह इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है?

पहले अत्यधिक कम इम्यून वाले मरीजों, जैसे कैंसर पीड़ित ,जिनको अनियंत्रित डायबिटीज है या जिनको नया अंग लगा हो और वह immunosuppressant थेरेपी पर हो,वह इसको लेकर संवेदनशील थे. लेकिन अब कोविड के कारण इसके मामले बहुत बढ़ रहे हैं.
डॉ. अर्पणा महाजन ,कंसलटेंट और ENT,फोर्टिस,फरीदाबाद

डॉ. महाजन के अनुसार कोविड और ब्लैक फंगस में यह संबंध निम्न कारणों से हो सकता है :

  • कोविड वायरस इस फंगस को आसानी से फैलने के लिए अनुकूल इन्वायरमेंट प्रदान

    करता है.

  • इसका एक कारण कोविड मरीजों के इम्यून रिस्पांस में कमी हो जाना भी है .

लेकिन इसके बावजूद यह संक्रमण उन कोविड मरीजों तक सीमित था जो गंभीर डायबिटीज, कैंसर के मरीज थे या जो किसी दूसरी बीमारी के लिए immunosuppressant पर थें.डॉ. महाजन ने समझाया कि "mucormycosis का अब सामान्य मरीजों में तीव्र प्रसार का कारण है स्टेरॉयड का विवेकहीन प्रयोग".

Mucor के बढ़ते मामलों के पीछे स्टेरॉयड वजह है?

स्टेरॉयड, विशेषकर जब इसका हाई डोज लिया जाए या लंबे समय तक प्रयोग किया जाए, तो mucormycosis का कारण बन सकता है .

डॉ. महाजन के अनुसार "ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्टेरॉयड भी हमारे इम्यूनिटी को कम कर सकता है और इसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है, जिनको डायबिटीज नहीं है उनमें भी. स्टेरॉयड इंफेक्शन को फैलने के लिए अनुकूल इन्वायरमेंट भी बना सकता है."

एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोविड के शुरुआती चरणों में ही स्टेरॉयड लेने से संबंधित नुकसान के बारे में बताया था .
"कई लोग शुरुआती चरणों में ही स्टेरॉयड के हाई डोज लेने लगते हैं. इसकी वजह से वायरस तेजी से अपनी संख्या बढ़ा सकता है. जिन लोगों में कोरोनावायरस क्षण कम है उनमें भी वायरस का फेफड़ों तक फैलने के कारण वायरल निमोनिया के गंभीर मामले आ सकते हैं."
डॉ. रणदीप गुलेरिया ,डायरेक्टर ,AIIMS
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क्या हरेक 'स्टेरॉयड बेस्ड ड्रग' Mucormycosis का पर्याप्त खतरा पैदा करता है?

जरूरी नहीं है. मुख्यतः सिस्टमिक स्टेरॉयड के इस्तेमाल के कारण ही mucormycosis होने का खतरा है.

अभी Dexamethasone और Methylprednisolone वह सिस्टमिक स्टेरॉयड हैं जिनका कोविड उपचार में प्रयोग हो रहा है, लेकिन अगर इनका गलत प्रयोग हुआ तो यह mucormycosis का कारण बन सकते हैं.

ये ड्रग्स मॉडरेट कोविड के उपचार के लिए जारी सरकारी गाइडलाइन का हिस्सा हैं और ऑक्सीजन के अलावा कोविड का प्रभावी उपचार माने जाते हैं. रिकवरी ट्रायल में कोविड के कारण हॉस्पिटलाइज्ड मरीजों में तथा रेस्पिरेट्री फैल्योर के कारण जिनको बाहरी ऑक्सीजन या मेकेनिकल वेंटिलेटर की जरूरत है, उनमें इन्हें बहुत प्रभावी पाया गया है.

दूसरी तरफ से प्रारंभिक कोविड के इलाज के लिए सुझाया हुआ दूसरा Corticosteroid -Budesonide (जिसे इन्हेल करते हैं)- से ऐसा कोई खतरा नहीं है.

ऐसा इसलिए है क्योंकि इनहेल्ड Budesonide सिस्टमिक स्टेरॉयड नहीं है. यह एक जगह पर असर करता है और इसके कारण लोकल फंगल इनफेक्शन (ओरल कैविटी में) हो सकता है. लेकिन Mucormycosis होने की संभावना ना के बराबर है.

"Budesonide रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट के लाइनिंग पर परत सा बिछ सकता है और इसके कारण सुपरफिशियल फंगल इनफेक्शंस हो सकते हैं. दूसरी तरफ mucor सिस्टमिक लेबल में पूरे शरीर को प्रभावित करता है.Mucor एक सुपरफिशियल इंफेक्शन नहीं है"
डॉ. अर्पणा महाजन ,कंसलटेंट और ENT,फोर्टिस,फरीदाबाद

उनके अनुसार "इनहेल्ड Budesonide के कारण mucormycosis का एक भी मामला नहीं आया है".

तो फिर हमें कोविड के उपचार के लिए 'स्टेरॉयड बेस्ड ड्रग' नहीं लेना चाहिए?

अभी तक कोविड का कोई भी इलाज नहीं है. और ऐसा कोई ड्रग नहीं है जो कोविड वायरस को मार सके.इस बीच कई स्टेरॉयड 'सेवियर ड्रग' के रूप में सामने आए हैं जिनमें गंभीर मामलों में बीमारी को नियंत्रित करने की क्षमता है और इसका बड़े स्तर पर प्रयोग हो रहा है.

लेकिन इसके बाद भी विशेषज्ञों ने बार-बार यह सलाह दी है कि स्टेरॉयड का प्रयोग केवल मॉडरेट मामलों में किया जाए. रिकवरी ट्रायल के नतीजों से पता चलता है कि dexamethasone का उन हॉस्पिटलाइज्ड मरीजों में प्रयोग ,जो बाहर से ऑक्सीजन नहीं ले रहे थे ,से उनके मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है.

स्टेरॉयड बेस्ड दवाइयां लेते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?

डॉ. महाजन ने कहा कि "स्टेरॉयड केवल डॉक्टर की देखरेख में लेना चाहिए"

" कोई भी मरीज अपने मर्जी से स्टेरॉयड ना ले. स्टेरॉयड ऐसी दवाई नहीं है जो बिना डॉक्टर के सलाह और देखरेख में ली जाए."
डॉ. अर्पणा महाजन ,कंसलटेंट और ENT,फोर्टिस,फरीदाबाद

स्टेरॉयड की टाइमिंग और ड्यूरेशन बहुत महत्वपूर्ण है, विशेषकर कोविड के मामलों में. डॉ. महाजन के अनुसार "शुरुआती 5-7 दिनों में स्टेरॉयड नहीं लेना चाहिए. उसके बाद भी मरीज की हालत देखकर यह निर्णय डॉक्टर को लेना चाहिए. उपचार में स्टेरॉयड का इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर किया जाना चाहिए."

Mucormycosis का वार्निंग साइन क्या है?

डॉ. महाजन के अनुसार Mucormycosis के लक्षण और वार्निंग साइन निम्न है:

  • किसी भी तरह का चेहरे पर स्वेलिंग ,खासकर आंखों और गालों के आसपास

  • नाक बहना

  • नाक बंद रहना

  • सर दर्द (अन्य लक्षणों के साथ )

"अगर आपको यह शुरुआती लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको तुरंत OPD में बायोप्सी कराना चाहिए तथा जितनी जल्दी हो सके एंटीफंगल थेरेपी शुरू करना चाहिए."
डॉ. मनीष मुंजल,सीनियर ENT सर्जन, गंगाराम हास्पिटल

डॉ. महाजन ने खुद से स्टेरॉयड लेने पर चेतावनी देते हुए कहा "अगर कोई मरीज बिना डॉक्टर की जानकारी के खुद से स्टेरॉयड ले रहा है तब उससे इन लक्षणों को पहचानने में चूक हो सकती है'

क्या Mucormycosis का इलाज संभव है?

हां, लेकिन सफलता दर और उपचार का प्रकार कुछ बातों पर निर्भर करता है.

पहला कि इन्फेक्शन किस स्टेज पर है .वह तय करेगा कि मरीज को बचाया जा सकता है या नहीं.

डॉ. महाजन के अनुसार "उपचार कैसे होगा वह इस बात पर भी निर्भर करता है कि किस अंग में इंफेक्शन है. घाव को ठीक करने के लिए बड़ी सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है".

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Published: 12 May 2021,03:33 PM IST

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