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बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के अस्पतालों में 100 से ज्यादा ‘खराब वेंटिलेटर’ की सप्लाई करने के ‘असंवेदनशील रवैये’ पर शुक्रवार को केंद्र को फटकार लगाई.
शुक्रवार को जस्टिस आरवी घुगे और जस्टिस बीयू देबाद्वार की वेकेशन बेंच COVID-19 महामारी से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
सहायक सॉलिसिटर जनरल अजय तलहर ने शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव जीके पिल्लई की ओर से हलफनामा दायर किया. इसमें कहा गया कि इन वेंटिलेटर की सप्लाई पीएम केयर्स फंड के तहत नहीं की गई है.
हलफनामे में आगे कहा गया कि गुजरात स्थित जिस कंपनी से ये वेंटिलेटर खरीदे गए, उसने बताया कि उपकरण में कोई खराबी नहीं है और अन्य राज्यों में उसने जो वेंटिलेटर दिए हैं वो ठीक तरह से काम कर रहे हैं.
तलहर ने कोर्ट को बताया, ‘‘अस्पताल के कर्मियों को ठीक तरह से प्रशिक्षित करना चाहिए और निश्चित तौर पर वे वेंटिलेटर इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं हैं.’’
हालांकि, बेंच ने कहा कि उसे हैरानी है कि केंद्र ने कैसे कंपनी के दावों को जस का तस मान लिया और हलफनामे में यह तक नहीं कहा कि वो मामले पर गौर करेगा.
कोर्ट ने कहा, ''हम इस तरह के बयानों को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने वाला मानते हैं.''
अदालत ने आगे कहा कि केंद्र का रवैया बेहद नकारात्मक है और ऐसा लगता है कि सरकार इसे मामूली मुद्दा समझ रही है. उसने कहा, ‘‘आप (सरकार) इसे मामूली मुद्दा समझ सकते हैं लेकिन हम इस पर अपनी आंखें नहीं मूंद सकते.’’
बेंच ने कहा कि केंद्र को आरोप-प्रत्यारोप में शामिल होने के बजाय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन वेंटिलेटर की सप्लाई की जाए, उनका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो.
इसके बाद तलहर ने अदालत से कहा कि केंद्र इस मुद्दे के समाधान के लिए हर संभव कोशिश करेगा. अदालत ने इसके बाद मामले में सुनवाई के लिए दो जून की तारीख तय की.
(PTI के इनपुट्स के साथ)
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