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ब्रिटेन (Britain) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने मंगलवार को कोरोना कानूनों का उल्लंघन करने के लिए सांसदों से माफी मांगी. बोरिस जॉनसन पर कोरोना कानूनों को तोड़ने के लिए जुर्माना लगाया गया जिसके बाद वे ऐसे पहले ब्रिटिश नेता बन चुके हैं.
यही नहीं विपक्ष ने जॉनसन को राजनीति में अखंडता के खातिर पद छोड़ने के लिए भी कहा. जॉनसन पर यह जुर्माना 12 अप्रैल को लगाया गया था जिसके बाद पहली बार संसदों को संबोधित करते हुए उन्होंने दोहराया कि उन्हें नहीं लगता कि उन्होंने कुछ गलत किया है. जॉनसन ने जून 2020 में अपने जन्मदिन पर एक कार्यालय सभा में भाग लिया था उस समय ब्रिटेन एक महामारी से जूझ रहा था और लॉकडाउन नें था.
जॉनसन पर अभी और जुर्माने लगाए जा सकते हैं क्योंकि पिछले दो सालों में उनकी ही सरकार द्वारा लगाए गए सख्त लॉकडाउन के बावजूद वे कई ऐसी पार्टियों में शामिल हुए जो डाउनिंग स्ट्रीट में आयोजित की गईं थी.
यही नहीं सांसद गुरुवार इसे लेकर एक विशेष बहस करेंगे कि क्या उन्होंने हाउस ऑफ कॉमन्स को गुमराह किया है क्योंकि जॉनसन ने दिसंबर में नियमों को तोड़ने से इनकार किया था. बता दें कि ब्रिटेन में जानबूझकर संसद को गुमराह करना सरकार के मंत्रियों की कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है, अगर ऐसा हता है तो जॉनसन को इस्तीफा तक देना पड़ सकता है.
हालांकि जब जॉनसन से सीधे तौर पर पूछा गया कि क्या उन्होंने जानबूझकर संसद को गुमराह किया, जॉनसन ने जवाब दिया: "नहीं."
कोरोना नियमों के उल्लंघन करने का आरोप भारत के कई नाताओं और राजनीतिक पार्टियों लगाया गया है. कई अखबार, डिजिटल न्यूज वेबसाइट राजनीतिक पार्टियों द्वारा कोरोना के नियम तोड़ने वाली खबरों से भरे पड़े हैं. कहीं बीजेपी पर भीड़ इकठ्ठा करने का आरोप हैं, कहीं कांग्रेस, पीडीपी और कई पार्टियों पर आरोप लगे हैं.
भारत जब महामारी से जूझ रहा था उस वक्त देश में चुनाव कराए गए तब भी लगभग हर राजनीतिक पार्टियों पर कोरोना गाइडलाइंस तोड़ने का आरोप लगा था.
हालांकि बाद में कई राजनीतिक पार्टियों ने कहा था कि उन्होंने कोरोना नियमों का पालन किया है.
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