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ऑक्सफोर्ड वैक्सीन:क्यों ये भारत के लिए बेहतर, स्टोरेज की चुनौतियां

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर बनाई जा रही ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, ट्रायल्स में प्रभावी दिखी है.

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दुनियाभर से कोरोना वायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) के सफल प्रयोगों की खबर भारत के लिए भी राहत लेकर आई है. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर बनाई जा रही ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (Oxford Vaccine) ट्रायल्स में प्रभावी दिखी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि भारत में 2021 की पहली तिमाही में वैक्सीन आ सकती है. बता दें कि फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-Astrazeneca वैक्सीन के ट्रायल्स में अच्छे नतीजे सामने आए और ये सभी 90-95% प्रभावी पाई गई हैं. हालांकि, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन भारत के लिए ज्यादा मुफीद बताई जा रही है, क्योंकि इसकी कीमत दूसरों के मुकाबले कम है और इसका भंडारण भी आसान है.

वैक्सीन प्रोग्राम में कोल्ड स्टोरेज बनेगी चुनौती?

ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए इंटरव्यू में सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अगर सबकुछ सही रहा तो 2021 की पहली तिमाही में भारत में वैक्सीन आ जाएगी. हालांकि वैक्सीन प्रोग्राम में कोल्ड स्टोरेज सरकार के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

लॉजिस्टिक पर भूषण ने कहा कि भारत कोविड वैक्सीनेशन के लिए यूनिवर्सिल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम के लिए मौजूद कोल्ड चेन नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा. ये प्रोग्राम बच्चों और प्रेगनेंट महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए शुरू किया गया था. ऐसे में भारत की पूरी आबादी को इसके जरिए वैक्सीनेट करना सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर सकता है.

पीपल्स हेल्थ मूवमेंट के नई दिल्ली कॉर्डिनेटर टी सुंदररमन ने पब्लिकेशन से कहा, “मौजूदा वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए मौजूदा कोल्ड चेन की क्षमता पर्याप्त नहीं है. कोल्ड चेन में आपका इन्वेस्टमेंट अभी जितना है, उससे पांच से दस गुना ज्यादा होना चाहिए.”

स्वास्थ्य सचिव ने इंटरव्यू में कहा कि देशभर में कोल्ड चेन स्टोरेज स्पेस को लेकर आकलन शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा कोल्ड चेन सिस्टम को मजबूत करने के लिए जरूरी कार्रवाई भी शुरू की गई है.

कोल्ड स्टोरेज की इन चुनौतियों के सामने ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन भारत के लिए ज्यादा मुफीद बन जाती है.

ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन सस्ती, स्टोरेज भी आसान

ब्रिटेन और ब्राजील में हुए आखिरी चरण के ट्रायल के डेटा के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड-Astrazeneca की वैक्सीन 90% तक प्रभावी दिखी है. इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान पहले आधा डोज दिया गया, फिर एक महीने के अंतराल के बाद पूरा डोज दिया गया.

दूसरी वैक्सीन के मुकाबले, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को स्टोर करना भी आसान है. इसे रखने के लिए डीप कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं होती.

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में ऑक्सफोर्ड के वैक्सीनोलॉजिस्ट, प्रोफेसर एड्रियन हिल ने कहा कि ये वैक्सीन फ्रिज के तापमान पर रखी जा सकती है. हिल ने कहा कि इन्हें फ्रीजर और कभी जरूरत पड़ी तो डीप फ्रीजर में रखा जा सकता है.

SII के सीईओ आदर पूनावाला ने ट्रायल के नतीजों पर कहा, “मुझे खुशी है कि कम कीमत वाली, आसानी से रखे जा सकने वाली कोरोना वैक्सीन कोविडशील्ड जल्द ही बड़े पैमाने पर मिलने लगेगी.”

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कब तक मिलेगी वैक्सीन?

पूनावाला ने कहा कि वैक्सीन के कम से कम 100 मिलियन डोज जनवरी तक तैयार हो जाएंगे. बाकी डोज के लिए भी मार्च-अप्रैल तक तैयार होने की उम्मीद है. पूनावाला ने NDTV से कहा, “सरकार ने जुलाई तक 300 से 400 मिलियन डोज का टारगेट सेट किया है.”

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में वैक्सीन की कीमत प्राइवेट इस्तेमाल के लिए 1000 रुपये तक सकती है. वहीं, सरकार इसे 250-300 रुपये के बीच खरीद सकती है. फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन के मुकाबले ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की कीमत कम है.

(ग्राफिक: क्विंट हिंदी)

130 करोड़ लोगों की आबादी वाले देश में लगभग 270 करोड़ टीकों की जरूरत पड़ेगी और ये 1 साल से ऊपर का कार्यक्रम हो सकता है.

फाइजर और मॉडर्ना भी काफी प्रभावी

फाइजर और उसके जर्मन पार्टनर बायोएनटेक द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन ट्रायल्स में 95 फीसदी तक कारगर दिखी है. इस वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस के अल्ट्रा-कोल्ड तापमान में स्टोर करना पड़ता है.

अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना ने 16 नवंबर को ऐलान किया कि उसकी COVID-19 वैक्सीन बीमारी को रोकने में 94.5 फीसदी तक प्रभावी है. कंपनी का कहना है कि इसकी वैक्सीन को एक महीन तक फ्रिज के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है, लेकिन लंबे समय के लिए इसे फ्रीजर की जरूरत पड़ेगी.

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