ऑक्सफोर्ड वैक्सीन पर खुशखबरी, लेकिन सावधानी जरूरी

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो वैक्सीन बनाई थी वो 90% तक प्रभावी रही

संजय पुगलिया
ब्रेकिंग व्यूज
Updated:
कोरोना की यह तीसरी लहर है और ये बड़ा भारी कहर है
i
कोरोना की यह तीसरी लहर है और ये बड़ा भारी कहर है
(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी

कोरोना (Corona) की यह तीसरी लहर है और ये बड़ा भारी कहर है. ऐसे में वैक्सीन (Vaccine) के सफल प्रयोगों की बहुत सारी खबरें आ रहीं हैं, जो हमारी आशा को बढ़ाती हैं लेकिन इसमें एक सबसे जरूरी ध्यान देने वाली बात ये है कि कोरोना की वैक्सीन जब आएगी तो सबसे पहले किसको मिलेगी, बाद में किसको मिलेगी? लेकिन ये बात साफ है कि जब तक कि कोरोना वैक्सीन मिल नहीं जाती, आप किसी भी तरीके से अपनी होशियारी कम नहीं कर सकते.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)

भारत बायोटेक के तीसरे फेज का ट्रायल सफल

भारत में दूसरी खबर यह है कि भारत बायोटेक का भी कहना है कि हमारा तीसरे फेज का ट्रायल सफल है और हम इमरजेंसी ऑथराइजेशन की परमीशन मांग रहे हैं. आखिर यह इमरजेंसी ऑथराइजेशन का चक्कर क्या है? इमरजेंसी ऑथराइजेशन का अलग-अलग देशों में अलग नियम है और अमेरिका को इसका गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है. वह इमरजेंसी ऑथराइजेशन बहुत अपवाद के केस में देते हैं. जब थर्ड फेज में ट्रायल को ओके मिल जाता है तो कम से कम वह 2 महीने तक देखते हैं और फिर अप्रूवल देते हैं. फाइनल अप्रूवल से पहले जब आप इमरजेंसी ऑथराइजेशन देते हैं मतलब ये है कि ये सशर्त ऑथराइजेशन है.

फाइजर और मोडर्ना की वैक्सीन 95% तक सफल मानी जा रही हैं और जहां तक दाम का सवाल है तो तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं. जाहिर है कि हम अनुमान लगा सकते हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट वाली वैक्सीन कम से कम 500-600 के आसपास पड़ेगा. दूसरे जो दूसरे टीके हैं जैसे फाइजर या मोडर्ना के यह 1500 से लेकर 30000 रुपये तक के पड़ सकते हैं, वह भी तब जब आपको मिल जाए. ना मिलने तक आपको ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)
लेकिन इस वक्त की जो जरूरी बात है वह समझ लीजिये. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, एस्ट्राजेनेका और भारत में सीरम इंस्टिट्यूट मिलकर वैक्सीन बना रहे थे, अब खबर है कि थर्ड फेज का ट्रायल 90% तक सफल रहा है. ब्रिटेन और ब्राजील में हुए आखिरी चरण के ट्रायल के डेटा के मुताबिक- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो वैक्सीन बनाई थी वो 90% तक प्रभावी रही. इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान पहले आधा डोज दिया गया, फिर एक महीने के अंतराल के बाद पूरा डोज दिया गया. वहीं वैक्सीन के दो पूरे डोज एक महीने के अंतराल पर दिए जाने पर एफिकेसी रेट करीब 62% तक रहा है.

वैक्सीन आने की खबरें हुईं तेज

आने वाले दिनों में वैक्सीन के बारे में खबरों का अंबार लगा रहेगा और एक आशावादी माहौल रहेगा. इस बात की पूरी संभावना है कि हम लोगों से यह गलती हो जाए कि अब सब नॉर्मल हो गया है और हम अपने नॉर्मल रूटीन में आ जाए. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए जब तक टीका ना लग जाए. आपके और हमारे जैसे केस में लगभग 3 महीने 6 महीने या 1 साल तक लग सकता है. ऐसे में सोशल डिस्टेंस, हाथ धोना, मास्क का इस्तेमाल करने में कोताही नहीं की जा सकती है, दरअसल यही सबसे बड़ा टीका है.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कोरोना से बचाव को नेशनल अभियान नहीं बनाया

जब हम कहते थे कि 'जान है तो जहान है' के बाद हमने इकोनामी को खोल दिया, लॉकडाउन हटा दिया. ये एक अच्छा कदम था लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद हुआ क्या हम लोग भेड़ चाल में लग गए कि वो जा रहा है, तो हम भी जाएं. वह घूम रहा है तो, हम भी घूमें. इससे लोगों ने ध्यान नहीं रखा. पब्लिक हेल्थ के मामले में सरकार को जितना एजुकेशन करना चाहिए था, उतना नहीं किया सिर्फ और सिर्फ रस्म अदायगी का काम किया गया. इसको नेशनल अभियान नहीं बनाया. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि 'कोरोना की सुनामी आ सकती है और मैं मजबूर हो सकता हूं दोबारा लॉकडाउन के लिए'.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)

किसे मिलेगा सबसे पहले कोरोना का टीका?

टीका किसे सबसे पहले मिलेगा यह भी एक जद्दोजहद वाला और जटिल प्रश्न है. अमेरिका के लोग यह कहने जा रहे हैं कि सबसे पहले वो फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी डॉक्टर्स नर्सेज सैनिटेशन वर्कर्स आदि को प्राथमिकता देंगे. उसके बाद 65 साल से अधिक उम्र के लोग, उसके बाद नंबर आएगा 50 से 65 साल के लोगों का फिर 50 साल से कम उम्र के लोगों को. भारत का मॉडल भी मोटा मोटा यही है कि सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स को उसके बाद 65 साल से ऊपर वाले लोगों को और उसके बाद 65 से 50 साल वाले लोगों को और उसके बाद 50 साल से कम उम्र वाले लोगों को वैक्सीन दी जाएगी

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)

कैसे और कब तक मिलेगी वैक्सीन?

130 करोड़ लोगों की आबादी वाले देश में लगभग 270 करोड़ टीकों की जरूरत और 1 साल से ऊपर का कार्यक्रम हो सकता है. भारत के पॉलिसी मेकर्स कह रहे हैं कि जुलाई-अगस्त 25 से 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट कर पाएंगे लेकिन भारत के बड़े एक्सपर्ट हैं वो बताते हैं कि शायद यह काम दिसंबर तक हो पाएगा.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)

वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक्स एक बड़ा मुद्दा होगा. वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन में कोल्ड चेन का सहारा लेना पड़ सकता है. सामान्य रेफ्रिजरेशन में भारत बायोटेक या ऑक्सफोर्ड वाली वैक्सीन को तो मैनेज कर लेगा, लेकिन फाइजर या मॉडर्ना के टीके वहां नहीं रखे जा सकते क्योंकि उनको -20 से -70 डिग्री रखना पड़ता है, उसके लिए व्यवस्था हमारे यहां नहीं है.

कोरोना के आंकड़े फिर से डराने वाले

भारत अब केस के मामले में अगले महीने एक करोड़ तक पहुंच जाएगा 1,34,000 लोगों की जानें अब तक जा चुकी हैं. अमेरिका में करीबन डेढ़ से दो लाख रोजाना नए केसेस आ रहे हैं. यूरोप की हालत बहुत खराब है. यूके की हालत बहुत खराब है. भारत के जो टॉप 10 राज्य हैं, इस वक्त जहां लगातार नए इंफेक्शन के केस आ रहे हैं. ये नंबर अब डराने वाले हैं और इसके कारण बड़ा जरूरी है बहुत सावधानी रखें. सरकार क्या करेगी मत सोचिए आप अपना ध्यान कैसे रखते हैं यह सोचिए.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी)

8 महीने हो गए हैं हमको पता है कि सब लोगों को एक कोविड की थकान हो गई है. लोगों के मन में झुंझलाहट हो गई है, बर्ताव में चिड़चिड़ापन हावी हो गया है. हमें अब सोचना ये चाहिए कि हमसे गलती कहां हुई? पूरी दुनिया कोरोना से त्रस्त है. इसीलिए किसी एक देश को कम या ज्यादा ब्लेम करना सही बात नहीं होगी. जब हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना था तो अभी भी हम आईसीयू बेड का हिसाब लगा रहे हैं और देश की राजधानी दिल्ली में बेड कम पड़ रहे हैं, कब्रगाहों में जगह नहीं है और हमारे पास अभी भी पूरी व्यवस्था नहीं हो पाई है तो इन 8-9 महीनों में हमने किया क्या यह सोचने का विषय है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 23 Nov 2020,11:20 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT