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भारत में COVID-19 के भारी कहर के बीच इसकी वजह से हो रही मौतों के सरकारी आंकड़ों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पिछले कुछ वक्त में, कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों पर लोगों से हुई बातचीत के आधार पर कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि कोरोना वायरस के चलते हुईं मौतों की 'वास्तविक संख्या' सरकारी आंकड़ों से बहुत ज्यादा है.
अखबार ने बताया है कि गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़े श्मशान घाट पर, लगातार लाशें जल रही हैं. वहां के एक कर्मचारी सुरेश बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी ऐसा होता नहीं देखा. भले ही बड़ी संख्या में लोग COVID-19 की वजह से मर रहे हैं, लेकिन सुरेश ने मृतकों के परिवारों को जो पेपर स्लिप दी हैं, उनमें यह वजह नहीं लिखी है.
उन्होंने बताया, ''बीमारी, बीमारी, बीमारी...यह वो है, जो हम लिखते हैं.'' जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों है तो उन्होंने बताया कि उनके बॉस ने उनको ऐसा करने का निर्देश दिया है.
गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी ऐसी खबरें सामने आई हैं.
बात उत्तर प्रदेश की करें तो NDTV की एक रिपोर्ट में लखनऊ का भी ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिलता है, जिसके मुताबिक, अप्रैल में 7 दिनों की एक अवधि में COVID-19 से मौतों का सरकारी आंकड़ा 124 का था, जबकि अंतिम संस्कार के रिकॉर्ड्स से पता चला कि उस दौरान 400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थानीय मीडिया के मुताबिक, 15 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच COVID-19 की वजह से 150 से ज्यादा मौतें हुई थीं, जबकि राज्य ने इसका आधे से भी कम आंकड़ा बताया था.
पूरे देश में COVID-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र की सूरत भी ऐसी ही दिखती है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 25 अप्रैल को पुणे में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने 47 और पुणे म्यूनिसिपल कोर्पोरेशन (PMC) ने 55 मौतें होने की जानकारी दी थी, जबकि PMC के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में हर दिन करीब 170 बॉडी का अंतिम संस्कार हुआ है, जिनमें से औसतन 120 COVID पीड़ितों की रही हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, किसी मौत को COVID-19 से संबंधित दर्ज किया जाना चाहिए, अगर यह बीमारी मौत की वजह बनी हो या इसका उसमें योगदान रहा हो, भले ही उस व्यक्ति को पहले से कोई बीमारी हो, जैसे कि कैंसर. लेकिन भारत के ज्यादातर हिस्सों में ऐसा होता नहीं दिख रहा.
हालांकि, अस्पताल ने डेथ सर्टिफिकेट में ठक्कर की मौत का कारण ''अचानक हुआ कार्डिऐक अरेस्ट'' बताया. जब भारत के अखबारों में यह मामला छपा, तब जाकर अस्पताल ने COVID-19 को भी वजह बताते हुए दूसरा डेथ सर्टिफिकेट जारी किया.
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