Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Omicron: क्या है कोरोना को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन?

Omicron: क्या है कोरोना को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन?

कोरोना के मरीज जी मचलना और भूख न लगने की शिकायत कर रहे हैं. ये वो लक्षण हैं जो आमतौर पर कोरोना से जुड़े नहीं हैं.

अनुष्का राजेश
कोरोनावायरस
Updated:
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कोरोना 

फोटो- Pixabay

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कोरोना का वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) तेजी से फैल रहा है. ये उन लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली हुई है या तो वह पहले भी कोरोना संक्रमित रह चुके हैं. जैसे-जैसे कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं एक बार फिर सभी के मन में कोरोना और उसके ट्रीटमेंट को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

तो स्वास्थ्य मंत्रालय की कोरोना से बचाव के लिए नई गाइडलाइंस क्या है? वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले अगर कोरोना पॉजिटिव हो जाए तो क्या करें?

क्या ओमिक्रॉन के कुछ अलग लक्षण हैं?

कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट के लक्षणों में ज्यादा अंतर नहीं है. आमतौर पर बुखार, गले में दर्द, स्वाद और गंध चले जाना और कुछ सामान्य लक्षण होते हैं.

हालांकि, ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, इस बार कोरोना के मरीज जी मचलना और भूख न लगने की शिकायत कर रहे हैं. ये ऐसे लक्षण हैं जो आमतौर पर कोरोना से जुड़े नहीं होते हैं.

मैं कोरोना वायरस मरीज के संपर्क में आया हूं, लेकिन मुझे कोई लक्षण नहीं है. क्या मुझे टेस्ट करवा लेना चाहिए?

बिल्कुल, अगर आप किसी कोरोना मरीज के संपर्क में आए हैं तो आपको निश्चित तौर पर कोरोना टेस्ट करवा लेना चाहिए, क्योंकि आप एसिंप्टोमेटिक भी हो सकते हैं.

टेस्ट हमेशा आरटी-पीसीआर ही करवाए, रेपिड एंटिजन टेस्ट कई बार गलत परिणाम भी देता है.

मैं एसिंप्टोमेटिक हूं और कोरोना पॉजिटिव हूं. क्या मुझे किसी तरह की कोई दवाई लेनी चेहिए?

5 जनवरी को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एसिंप्टोमेटिक और माइल्ड कोरोना मरीजों के लिए होम आइसोलेशन को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है.

गाइडलाइन के मुताबिक, एसिंप्टोमेटिक मरीजों को कोई दवाई लेने की जरूरत नहीं है. उन्हें केवल घर पर ही आइसोलेट हो जाना है.

होम आइसोलेशन कब तक करना होगा?

अगर आप एसिंप्टोमेटिक और कोरोना पॉजिटिव हैं या आपको कोरोना के माइल्ड सिंप्टम्स हैं तो गाइडलाइन के मुताबिक आपको घर पर ही कम से कम सात दिन के लिए आइसोलेट होना है.

होम आइसोलेशन के बाद क्या कोरोना की जांच करवाना जरूरी है?

नहीं, होम आइसोलेशन के बाद फिर से कोरोना की जांच करवाने की जरूरत नहीं है.

मुझे कोरोना के हल्के लक्षण हैं और मैं होम आइसोलेशन में हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

अगर आप कोरोना पॉजिटिव हैं और आपको हल्के (माइल्ड) लक्षण हैं तो नई गाइडलाइन के अनुसार-

  • आपको ऐसी जगह आइसोलेट होना हैं जहां ठीक से वेंटिलेशन है

  • अगर आप और भी लोगों के साथ रहते हैं या आपकी कोई देखभाल करने वाला है तो आपको ठीक से तीन मास्क पहना चाहिए, जिसे आपको हर 72 घंटे यानी तीन दिन में बदलना भी है

  • पानी पीते रहना है

  • ऑक्सीजन लेवल को चेक करते रहे

  • जिस हिसाब से बुखार, खांसी या दर्द हो रहा है उस हिसाब से मैनेज करें

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इमर्जेंसी में मेडिकल हेल्प कब लेने की जरूरत है?

गाइडलाइन के मुताबिक जैसे ही कोरोना के लक्षण खतरनाक साबित हो रहे हो या नीचे दिए गए लक्षण देखने को मिल रहे हो तब इमर्जेंसी में मेडिकल हेल्प की सख्त जरूरत होगी-

  • सांस लेने में तकलीफ

  • बहुत ज्यादा बुखार या खांसी

  • 5 दिन से ज्यादा लगातार बुखार में रहना

  • ऑक्सीजन लेवल 93 से नीचे आ जाना

  • गंभीर थकान या मांसपेशियों में दर्द

  • मानसिक भ्रम (मेंटल कन्फ्यूजन) की स्थिति

कोरोना के लक्षण होने पर क्या मुझे आइवरमेक्टिन (Ivermectin) लेनी चाहिए?

नहीं, कोरोना गाइडलाइंस में से आइवरमेक्टिन लेने की सलाह को हटा दिया गया है क्योंकि कई वैज्ञानिक सबूत बताते हैं कि कोरोना के इलाज में इसका कोई उपयोग नहीं है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) और यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (EMA) सभी ने आइवरमेक्टिन को एक उपचार के रूप में उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी है.

और कौन सी ऐसी दवाइयां हैं जो पहले कोरोना के इलाज के लिए ली जा रही थी, लेकिन अब उसे गाइडलाइन से हटा दिया गया है?

ऐसी कई सारी दवाइयां हैं, जो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गाइडलाइन में बताई गई थी लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है क्योंकि कोरोना के इलाज में उनका कोई उपयोग नहीं है.

जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine), डेक्सामेथेसॉन (Dexamethasone) या फिर प्लाजमा थेरेपी.

वहीं गाइडलाइन से रेमेडेसिविर या टोसिलिजुमैब को नहीं हटाया गया है, लेकिन ये केवल मॉडकेट से सीवियर कोरोना मरीजों को कुछ हालातों में लेने के लिए कही गई है.

क्या ये सही है कि मोनोक्लोनल एंटिबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट ओमिक्रॉन वेरिएंट पर काम नहीं करता है?

हां, ये ट्रीटमेंट ना तो डेल्टा पर काम करता है ना ही ओमिक्रॉन वेरिएंट के लिए सक्षम है, भारत में डॉ रेड्डीज द्वारा बनाया गया भी कोरोना से लड़ने में सक्षम नहीं है.

एक अलग लेख के लिए द क्विंट से बात करते हुए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के एक संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "जीनोम सिक्वेंसिंग को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के उपयोग जैसी स्थितियों में भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो डेल्टा के खिलाफ काम करते हैं लेकिन ओमिक्रॉन के खिलाफ नहीं."

इसके अलावा जो नहीं जानते कि वे किस प्रकार के वेरिएंट से संक्रमित हैं, विशेषज्ञ उन्हें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट तब देते हैं, जब उनमें हल्के से मध्यम लक्षण हो और उन्होंने वैक्सीन ना ली हो.

मैं पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हूं. क्या फिर भी मैं कोरोना से संक्रमित हो सकता हूं?

जैसा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैलता हुआ दिख रहा है तो भले ही आपने वैक्सीन की दोनों डोज लगा ली हो तो भी आपको दोबारा कोरोना हो सकता है. वहीं वैक्सीन को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये आपको कोरोना से होने वाली मौत से बचा सकती है. इसलिए वैक्सीन लेना फायदे का सौदा ही होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 07 Jan 2022,08:51 AM IST

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