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82 वर्षीय अमीना बानो 17 मई को जब सेंट्रल कश्मीर के बडगाम क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में कोविड-19 वैक्सीन का पहला डोज लेने गई तो नर्स ने उन्हें वापस भेज दिया. अमीना के साथ आए दो नौजवानों को नर्स ने बताया कि "माफ कीजिएगा, लेकिन वैक्सीन उपलब्ध नहीं है"
" आप अनावश्यक इन्हें यहां नहीं लाएये. जब वैक्सीन का नया स्टॉक आएगा तो हम बता देंगे" पास खड़े डॉक्टर ने शांत आवाज में समझाया.
जम्मू-कश्मीर इम्यूनाइजेशन डिपार्टमेंट के चीफ डॉ. सलीम-उर-रहमान ने कहा कि "सरकार कुछ गलत नहीं होने देगी. मीडिया वैक्सीन की कमी के मुद्दे को कश्मीर बनाम जम्मू के चश्मे से देखना बंद करें"
लेकिन जहां जम्मू में वैक्सीनेशन ड्राइव जोरों शोरों से आगे बढ़ रहा है वहीं कश्मीर क्षेत्र में बहुत थोड़ी आबादी को ही वैक्सीन लगा है. पिछले 10 दिनों में पूरे जम्मू कश्मीर में 1.3 लाख वैक्सीन लगे हैं, जिनमें से 1.16 लाख (89.23%) केवल जम्मू के लोगों को लगा. जबकि दूसरी तरफ कश्मीर के कई अस्पतालों को वैक्सीन लगवाने आए लोगों को वापस भेजना पड़ा
श्रीनगर के 43 वर्षीय व्यापारी आरिफ रशीद ने कहा "मैं पिछले हफ्ते से ही से स्लॉट बुक करने की कोशिश कर रहा हूं. लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली. सरकार कह रही है कि वैक्सीन लगवा लो लेकिन वैक्सीन है कहां?
वैक्सीन की अनुपलब्धता ने पिछले सप्ताह से ही श्रीनगर सहित कश्मीर के अन्य क्षेत्रों में कई वैक्सीनेशन सेंटर को बंद होने पर मजबूर कर दिया है. यहां तक कि प्राइवेट हेल्थ केयर प्रोवाइडर ,जिसे प्रशासन ने खुद से सप्लाई खरीदने को कहा है ,वैक्सीनेशन की सर्विस नहीं दे रहे हैं.
अब तक इस केंद्र शासित क्षेत्र में कोरोना के कारण 3,149 लोगों की मौत हो चुकी है और वर्तमान में 51,623 एक्टिव केस है, जिनमें से अधिकतर कश्मीर में है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 34 लाख वैक्सीन डोज में से 28 लाख लोगों को लगा दिए गए हैं, जिनमें 5 लाख से थोड़े से ज्यादा लोगों को दोनों डोज लगाया गया है.
कमिश्नर सेक्रेटरी, हेल्थ अटल दुल्लो के अनुसार "केंद्र सरकार द्वारा मिले कुल वैक्सीनों में से 6,21,870 डोज आर्मी को आवंटित कर दिया गया था. बाद में आर्मी ने वैक्सीन की अधिकता के कारण 58,930 डोज वापस कर दिया.
2011 जनगणना के मुताबिक 1.25 करोड़ की आबादी वाले कश्मीर को 45+ एज कैटेगरी के लिए अब तक मात्र 15 लाख वैक्सीन आवंटित किया गया है. दूसरी तरफ बीजेपी के गढ़ और कश्मीर की आधी जनसंख्या वाले जम्मू को 19 लाख के करीब आवंटित किया गया, सूत्रों ने बताया.
नाम बाहर ना आने की शर्त पर कश्मीर के एक डॉक्टर ने बताया कि "जम्मू जिले के लगभग 6 लाख लोगों को वैक्सीन का एक या दोनों डोज लग चुका है ,जबकि 10 लाख से भी ज्यादा आबादी वाले श्रीनगर में 2 लाख लोगों से भी कम को वैक्सीन लगा है".
जहां कश्मीर और जम्मू में वैक्सीन वितरण को लेकर एकरूपता की कमी है वहीं दूसरी तरफ जम्मू में प्रशासन के द्वारा महामारी से लड़ने के लिए बनाया गया हेल्थ इन्फ्राट्रक्चर कश्मीर की अपेक्षा बेहतर हालत में है. 53 लाख की आबादी वाले जम्मू में कोविड मरीजों के लिए समर्पित 2,457 बेड्स हैं, जिनमें से 1641 भरे पड़े हैं. इसके अलावा 2276 बेड आइसोलेशन के लिए है जबकि 271 ICU बेड्स हैं जिनमें से 87 खाली हैं .
लेकिन दुगनी आबादी वाले मुस्लिम बहुल कश्मीर में सिर्फ 2853 कोविड बेड्स हैं, जिनमें से 1717 भरे हैं. सरकार ने मरीजों के आइसोलेशन के लिए 2853 बेड आवंटित किए हैं. कश्मीर में मात्र 133 ICU बेड्स है, जिनमें से 75 खाली हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर के लिए खरीदे गए पांच मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जम्मू क्षेत्र में बढ़ते मांग के कारण डायवर्ट कर दिया गया, जबकि कोरोना के ज्यादा मामले कश्मीर में आ रहे हैं.
मार्च में जम्मू कश्मीर-प्रशासन ने वैक्सीन हेजिटेंसी के कारण लगभग एक लाख वैक्सीन डोज को कश्मीर से जम्मू की तरफ डायवर्ट कर दिया. अभी 20 जिलों में से जम्मू में सबसे ज्यादा कोरोना से मौत के मामले दर्ज किए जा रहे हैं .
यह पूछने पर कि वैक्सीन को जम्मू से कश्मीर की ओर डायवर्ट क्यों नहीं किया जा सकता क्योंकि वहां कश्मीर की तरह स्टॉक की कमी नहीं है, डॉक्टर सलीम ने कहा "स्टॉक पहले ही हेल्थ सेंटरों को भेजा जा चुका है. उसे वापस नहीं मंगाया जा सकता"
पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने 10 दिनों के अंदर 45 से अधिक उम्र के हरेक लोगों को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखा. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह लक्ष्य पूरा कैसे होगा जब वैक्सीन सप्लाई में कमी देखी जा रही है. डॉक्टर सलीम ने कहा कि कुछ दिनों के अंदर वैक्सीन का फ्रेश स्टॉक आ जाएगा. उसके बाद वैक्सीनेशन ड्राइव तेजी से चलेगा, जो कि कश्मीर में ठप हो चुका है.
( जहांगीर अली श्रीनगर बेस्ड पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @gaamuk. यह एक रिपोर्ट-एनालिसिस है. यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट का उससे सहमत होना जरूरी नहीं है)
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