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COVID-19 वैक्सीन: अपने स्टाफ को टीका दिलाने के लिए बेताब कंपनियां

हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स के बाद कॉरपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को वैक्सीन दिलवाने के इंतजार में हैं.

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कोरोनावायरस
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सांकेतिक तस्वीर
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सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: iStock)

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भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो चुका है. पहले चरण में हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया जा रहा है. इसके बाद 50 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे लोगों को टीका लगाया जाएगा जिनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा है. अब कॉरपोरेट जगत भी अपने कर्मचारियों को कोविड टीका लगने की तैयारी में जुट गया है. उसकी बेताबी की एक वजह ये है कि इस पर उसका पूरा कारोबार निर्भर करता है.

सरकार एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करे जिससे कंपनियां बल्क में वैक्सीन खरीद सकें

वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के साथ ही अब सवाल उठ रहा है कि दुकानों में, होटलों में और कंपनियों में फ्रंट डेस्क पर काम करने वालों को वैक्सीन कब लगेगी? क्या यह समूह सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है? इस बारे में सरकार ने अब तक चुप्पी साध रखी है, उसकी ओर से अभी केवल पहले चरण में फ्री वैक्सीन वालों की बात की जा रही है. इन सब के बीच भारतीय कॉरपोरेट जगत खुद अपने कर्मचारियों को इम्यून करने की सोच रहा है.

कुछ कंपनियों के सीईओ यह तक कह रहे हैं कि सरकार भले ही उनके कर्मचारियों को फ्री में वैक्सीन न दे, लेकिन कम से कम कोई ऐसा फ्रेमवर्क तैयार कर दे जिससे कंपनियां बल्क यानी बड़ी मात्रा में वैक्सीन की खरीदी अपने कर्मचारियों के लिए कर सकें.

वर्तमान परिस्थितियों में अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनियां किस तरह से वैक्सीनेशन करेंगी. सरकार को एक ऐसा फ्रेमवर्क बनाना चाहिए जिससे कंपनियां बल्क में वैक्सीनेशन करा सकें. इसके साथ ही जो लोग या कॉरपोरेट वैक्सीन का खर्च उठा सकते हैं उनको सरकार फंड न करे. आज हर संस्थान का दायित्व है कि वो बिजनेस कम्युनिटी की केयर के लिए कर्मचारियों को वैक्सीनेट करे.
हर्ष गोयनका, आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन एक अखबार से बातचीत में

कॉरपोरेट जगत क्यों वैक्सीन का बेसब्री से कर रहा इंतजार?

बायोकॉन (BIOCON) की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ी संख्या में कर्मचारी फैक्ट्रियों में काम करते हैं. अर्थव्यवस्था ठीक ढंग से चलती रहे इसलिए कर्मचारियों के वैक्सीनेशन पर सोचना चाहिए. कर्मचारी काफी निकटता में काम करते हैं. ऐसे में अगर कोई संक्रमित हो जाता है तो कुछ दिनों के लिए पूरा सेक्शन बंद करना पड़ता है, जिससे औद्योगित गति में रुकावट पड़ती है. ऐसे में हम प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को वैक्सीनेट करने के लिए पैररल वैक्सीनेशन पर ध्यान देने की जरूरत है.

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किस तरह की योजना बना रहीं कंपनियां?

  • एफएमसीजी और होटल इंडस्ट्री की बड़ी कंपनी ITC लिमिटेड के कॉरपोरेट एचआर हेड अमिताभ मुखर्जी का कहना है कि “हम वैक्सीन निर्माताओं से बात कर रहे हैं और इस पर एक्सप्लोर कर रहे हैं. हम अभी वैक्सीन के कमर्शियल होने के बाद इसकी खरीद शुरू करेंगे और सरकार के दिशानिर्देश इस बारे में काफी महत्वपूर्ण होंगे.”
  • योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने दिसंबर में मिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि प्राइवेट कंपनियां खुद के खर्च पर अपने कर्मचारियों और उनके परिवारजनों का वैक्सीनेशन करा सकती हैं, इससे सरकार पर बोझ कम आएगा. इसके लिए कंपनियां अपने CSR फंड का इस्तेमाल कर सकती हैं.
  • नेशनल होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट कटियार का कहना है कि हम आंतरिक तौर पर इस पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन पहले हम सरकार के प्लान को देखेंगे. क्योंकि हमने काफी कुछ सुन रखा है. अगर सरकार नियंत्रण में यह काम करती है तो हमारे लिए ज्यादा कुछ करने को नहीं रहेगा. कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर में होटल और हॉस्पिटैलिटी भी है. वैक्सीनेशन से कॉन्फिडेंस बनेगा.
  • बायोकॉन कंपनी अपने कर्मचारियों और उनके परिवारवालों का फ्री में वैक्सीनेशन करने की योजना बना रही है. कंपनी की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ का कहना है कि जैसे ही वैक्सीनेशन की अनुमति दी जाती है हम इस पर काम शुरू करेंगे. कंपनी में लगभग 12000 कर्मचारी और उनके परिवारजन हैं. इसके लिए कंपनी को वैक्सीन की एक लाख डोज की जरूरत होगी.
  • एचआर और मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स का कहना है कि कंपनियां वैक्सीन को लेकर दिलचस्पी दिखा रही हैं. यह कर्मचारियों की मदद का एक नया तरीका हो सकता है. इससे कंपनियों को अपने कर्मचारी को एक्सटेंड करने का बड़ा फायदा मिल सकता है.

वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अदार पूनावाला ने कहा है कि ओपन मार्केट में वैक्सीन की कीमत सरकार को दी गई वैक्सीन से चार गुना अधिक यानी लगभग 1000 रुपये होगी. एक व्यक्ति को कोरोना के दो टीके लगेंगे, इस प्रकार प्रति व्यक्ति 2000 रुपये का खर्च वैक्सीनेशन में हो सकता है.

लॉ फर्म तक पहुंच रही हैं कंपनियां

वैक्सीन रोलआउट के बारे में परामर्श लेने के लिए कंपनियां लॉ फर्म तक पहुंच रही हैं. ET के मुताबिक, लॉ फर्म कंपनी Khaitan & Co के पार्टनर अंशुल प्रकाश का कहना है कि वैक्सीनेशन को लेकर कंपनियां तैयारी कर रही हैं. वे अपनी खुद की रिसर्च कर रही हैं और उनसे क्या कुछ हो सकता है इस बारे में देख रही हैं. वे यह भी देख रही हैं कि क्या CSR के तहत वैक्सीनेशन किया जा सकता है. अंशुल प्रकाश के मुताबिक, कंपनियां वैक्सीनेशन सेंटर तक जाने के लिए अपने कर्मचारियों को फ्री व्हीकल सुविधा और किसी भी साइड इफेक्ट के लिए मेडिकल असिस्टेंस सुविधा देने पर भी विचार कर रही हैं.

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Published: 16 Jan 2021,12:11 PM IST

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