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दिल्ली में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर आईसीयू बेड्स की कमी को लेकर सरकार को चिंता सताने लगी और फैसला लिया गया कि प्राइवेट हॉस्पिटल 80 फीसदी आईसीयू बेड्स कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रखेंगे. लेकिन अब इस फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के इस फैसले को मौलिक अधिकारों का हनन बता दिया और कहा कि सिर्फ एक बीमारी के लिए हॉस्पिटल में बेड रिजर्व नहीं रखे जा सकते हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया है कि वो इसे चुनौती देंगे. दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 33 प्राइवेट हॉस्पिटलों के लिए ये आदेश जारी किया था. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि सभी बड़े हॉस्पिटलों से चर्चा के बाद ही ये फैसला लिया गया है.
हाईकोर्ट ने हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के एक एसोसिएशन की याचिका पर ये फैसला सुनाया है. इस याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने ये फैसला बिना किसी चर्चा के लिया. इसके लिए किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल से चर्चा नहीं की गई थी. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 अक्टूबर तक इस फैसले पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार से कहा है कि वो कोर्ट को बताए कि किस आधार पर ये फैसला लिया गया था.
जबकि दिल्ली सरकार का इस मामले को लेकर कहना है कि राजधानी में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में कोरोना मरीजों के लिए बेड रिजर्व होने काफी जरूरी हैं. इसीलिए वो अब इस फैसले को बुधवार को चुनौती देंगे.
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