Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 कैसे और क्यों COVID से बुरी तरह प्रभावित शहर बन रहा बेंगलुरु?  

कैसे और क्यों COVID से बुरी तरह प्रभावित शहर बन रहा बेंगलुरु?  

COVID केस को लेकर बाकी शहरों की तुलना में बेंगलुरु की हालत क्या है?

अरुण देव
कोरोनावायरस
Published:
बेंगलुरु में किस तरह बढ़ रहे COVID केस
i
बेंगलुरु में किस तरह बढ़ रहे COVID केस
(फोटो: PTI/altered byThe Quint)

advertisement

7 अक्टूबर तक के आंकड़ों के हिसाब से, भारत में सबसे ज्यादा COVID-19 केस के मामले में पुणे सबसे ऊपर है. इस मामले में बेंगलुरु तीसरे नंबर पर है. हालांकि, मौजूदा वक्त में, बेंगलुरु भारत और शायद दुनिया में COVID-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर है.

बेंगलुरु की इस हालत को 15 दिनों की अवधि - 23 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच- के आंकड़ों से समझा जा सकता है. इन 15 दिनों में पुणे में औसतन 2,761 केस हर रोज दर्ज किए गए, वहीं मुंबई (जो कुल केस के मामले में दूसरे नंबर पर है) में यह आंकड़ा 2,121 का रहा. जबकि बेंगलुरु में औसतन 4,100 केस हर रोज दर्ज किए गए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो बेंगलुरु जल्द ही देश में सबसे ज्यादा COVID केस वाला शहर बन जाएगा.

बेंगलुरु में हर रोज किस तरह बढ़ रहे COVID केस?

15 दिन में इस तरह सामने आए नए मामले (23 सितंबर-7 अक्टूबर)

COVID केस को लेकर बाकी शहरों की तुलना में बेंगलुरु की हालत

COVID के चलते मौतों के मामले में बेंगलुरु की हालत

(फोटो: कामरान अख्तर/क्विंट)

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के मामले में चूक

बेंगलुरु में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग सिस्टम की नाकामी, प्रसार को नियंत्रित करने में असमर्थता की व्याख्या करने के लिए सरकार का आसान जवाब है, इस बीच स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है.

मुफ्त में इलाज का ऑफर लोगों को लापरवाह बना रहा: एक्सपर्ट

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर जगदीश हिरेमथ ने इस मामले पर कहा, “सरकार का कहना है कि वह निजी और सार्वजनिक दोनों अस्पतालों में COVID मरीजों के चिकित्सा खर्च का ध्यान रखेगी. लोगों के अनुकूल होने के इस प्रयास ने COVID को नियंत्रित करने की कोशिश के खिलाफ काम किया है. आप अच्छे निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज करा सकते हैं, जिससे बीमारी का डर दूर हो जाता है. अगर चिंता के लिए कोई आर्थिक बोझ नहीं होगा, तो लोग लापरवाह हो जाएंगे. ”

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT