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नेपाल में कोरोना की मार, भारत से भी नहीं मिल पा रही है मदद

भारत के मौजूदा कोरोना हालात का नेपाल पर पड़ा सीधा असर

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कोरोनावायरस
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(फोटो: PTI)
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कोरोना का कहर दुनियाभर के तमाम देशों ने झेला, लेकिन भारत के बाद अब नेपाल कोरोना की मार झेल रहा है. नेपाल जैसे गरीब और छोटे देश में कोरोना की रफ्तार लगातार बढ़ रही है. यूएन का कहना है कि नेपाल में दुनियाभर के देशों के मुकाबले सबसे तेज संक्रमण फैल रहा है. हालात ये हैं कि पॉजिटिविटी रेट 50 फीसदी से अधिक पहुंच चुका है. कोरोना की ये मार ऐसे वक्त पर पड़ी है, जब नेपाल में सियासी हलचल तेज है.

कोरोना विस्फोट से चरमराया हेल्थ सिस्टम

कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया और पूरे हेल्थ सिस्टम को एक्सपोज कर दिया. लेकिन भारत की तुलना में नेपाल में न तो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही इससे निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाएं और वैक्सीन हैं. सीएनएन एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ महीने पहले नेपाल में 3 करोड़ लोगों के लिए करीब 1500 आईसीयू बेड्स और सिर्फ 480 वेंटिलेटर थे.

बीबीसी से बातचीत में काठमांडू के एक डॉक्टर ने भी यही बात कही. उन्होंने बताया कि नेपाल में कोरोना पर अगर जल्द काबू नहीं पाया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं. साथ ही डॉक्टर ने बताया कि शहर के सभी अस्पताल मरीजों से भर चुके हैं. जहां बेड्स हैं, वहां ऑक्सीजन नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे पास कोरोना वैक्सीन भी नहीं है.

बताया जा रहा है कि नेपाल में कोरोना के मामले तेजी से बढ़न की वजह इसका वैरिएंट B.1.617.2 है. जो सबसे पहले भारत में पाया गया था. भारत में कोरोना की दूसरी लहर का जिम्मेदार इसे ही माना जा रहा है. नेपाल में रोजाना प्रति 1 लाख लोगों में से 20 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. नेपाल में 1 लाख 16 हजार से ज्यादा एक्टिव कोरोना केस हैं. वहीं रोजाना 8 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.

भारत में कोरोना का कहर, नेपाल के हेल्थ सिस्टम पर असर

करीब 3 करोड़ की आबादी वाले नेपाल में टेस्टिंग को लेकर भी जद्दोजहद जारी है. यहां टेस्टिंग किट की सप्लाई भी कम है, इसीलिए इसकी रफ्तार पर भी ब्रेक लगा हुआ है. दुनिया के काफी कम विकसित देशों में से एक नेपाल तमाम जरूरी चीजों के लिए अपने पड़ोसी देशों भारत और चीन पर निर्भर रहता है.

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लेकिन भारत पहले से ही कोरोना की मार झेल रहा है और सरकार पर लोगों का गुस्सा दिख रहा है. ऐसे में नेपाल को भी पिछले कई हफ्तों से भारत की तरफ से वो मदद नहीं मिल पा रही है, जो पहले मिलती थी. भारत में पिछले दिनों ऑक्सीजन की भारी किल्लत हुई, जिसके चलते इसके निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. जिसका सीधा असर नेपाल के हेल्थ सिस्टम पर दिखा. यहां अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो चुकी है. हालांकि अब जब भारत में ऑक्सीजन की डिमांड थोड़ी कम हुई है तो नेपाल को कुछ ऑक्सीजन भेजी जा रही है.

उधर अगर वैक्सीनेशन की बात करें तो इस मामले में भी भारत की हालत का नेपाल पर असर पड़ा है. अगर भारत में हालात सामान्य होते तो नेपाल को लाखों वैक्सीन डोज मिल सकती थीं, लेकिन पहले ही भारत सरकार वैक्सीन विदेश भेजने को लेकर विपक्ष और लोगों के निशाने पर है. ऐसे में भारत खुद की वैक्सीन कमी को दूर करने की कोशिश में जुटा है. जिसका असर नेपाल में वैक्सीनेशन की कमी के तौर पर दिख रहा है.

नेपाल पर दोहरी मार

नेपाल के लोगों के लिए इस वक्त कोरोना ही सबसे बड़ी मुसीबत नहीं है. राजनीतिक अस्थिरता भी नेपाल के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका सीधा असर कहीं न कहीं कोरोना प्रबंधन पर भी पड़ रहा है. नेपाल में पिछले कई महीनों से राजनीतिक गुटबाजी जारी है, पीएम केपी शर्मा ओली को पहले पार्टी से निकाला गया और बाद में वो संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए. हालांकि विपक्ष बहुमत साबित नहीं कर पाया और फिर से ओली को ही प्रधानमंत्री बनाया गया. लेकिन अब एक बार फिर विपक्ष ने नई सरकार बनाने का दावा पेश करने की बात कही है. ऐसे में नेपाल में एक बार फिर सियासी संकट अपने चरम पर है. जबकि इस वक्त कोरोना से जूझते लोगों को एक स्थिर और मजबूत सरकार की जरूरत है.

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