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उत्तर प्रदेश सरकार आए दिन ये दावे करती नजर आती है कि वैक्सीनेशन का काम प्रदेश में जोरों पर है. 21 जून, 2021 से टीकाकरण कराने का जिम्मा केंद्र सरकार ने उठा लिया था, जिसके बाद यूपी ने दावा किया था कि अब से एक दिन में प्रदेश में 6 लाख लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. इसी के साथ ये भी कहा गया था कि गांवों में टीकाकरण पर ज्यादा जोर होगा. लेकिन गांव में स्थिति खराब है.
क्विंट ने जब गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि गांव में अब तक न तो सरकार की तरफ से कोई टीकाकरण के बारे में बताने आया और न ही स्वास्थ विभाग की कोई टीम पहुंची. लोगों का कहना है कि उन्हें आधिकारिक तौर पर टीकाकरण को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
इसी सिलसिले में बात करने हम सिसेंडी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन केंद्र उस समय बंद था, आस पास के लोगों से बात करने पर मालूम हुआ कि स्वास्थ्य केंद्र खुलता तो है पर वहां वैक्सीनेशन नहीं चल रहा है. केंद्र के बाहर मिले योगेश कुमार से जब हमने स्वास्थ केंद्र के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि,
स्वास्थ्य केंद्र के अंदर हमें टीकाकरण अभियान का एक बोर्ड दिखाई देता है जिसपर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर है, पर आश्चर्य की बात ये है कि टीकाकरण का केंद्र होने के बावजूद यहां लोगों को टीके नहीं लग रहे हैं.
वहीं जब हमने कोविड का टीका न लगवाने की वजह जाननी चाही तो सिसेंडी गांव के निवासी सुमित बनर्जी, जो शादियों में लाइटिंग डेकोरेशन का काम करते हैं उन्होंने बताया कि,
गांव के और लोगों से बातचीत करने पर हमे ये महसूस हुआ कि गांव में लोग कोविड के टीके के प्रति जागरूक नहीं हैं. सिसेंडी गांव से एक किलोमीटर दूर केसरी खेड़ा इलाके में जब हम पहुंचे. वहां हमने लोगों से पूछा कि क्या गांव के प्रधान ने भी टीकाकरण के बारे में लोगों को कोई भी जानकारी नहीं दी, जिसपर केसरी खेड़ा निवासी 22 वर्षीय रूबी कुमारी ने बताया,
केसरी खेड़ा निवासी 78 वर्षीय लालती देवी से जब हमने पूछा कि क्या उन्हें टीके कि कोई जानकारी है तो उनका कहना था, "महामारी का टीका सुना तो है, पर इसको लगवाना जरूरी है क्या?"
इससे साफ जाहिर होता है कि इस गांव में लोगों को कोरोना के टीके के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है.
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 25 जून को एक चिट्ठी लिख सभी ग्राम प्रधानों से मदद मांगी थी जिसमें उनका कहना था कि राज्य को कोरोना मुक्त बनाने में योगदान दें, गांव के लोगों में जागरूकता फैलाएं और सही स्वास्थ सेवाएं उन तक पहुचाने में मदद करें. लेकिन यहां राजधानी लखनऊ के ही सबसे करीबी गांव की हकीकत कुछ और बयां करती है.
सिसेंडी गांव की प्रधान सन्नो जायसवाल से जब क्विंट ने गांव के लोगों के आरोपों के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया,
प्रधान सन्नो जायसवाल का यह भी कहना था कि, "हमें टीकाकरण के कैंप को लेकर कोई भी जानकारी नहीं मिली है, जिसकी वजह से हम गांवों में लोगों को जागरूक करने में असमर्थ रहे."
क्विंट ने विपक्षी नेताओं से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में योगी सरकार के टीकाकरण अभियान के बारे में बात की. जिसपर समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह बताती हैं कि,
लखनऊ के वैक्सीनेशन ऑफिसर डॉक्टर एम के सिंह से जब हमने सवाल पूछा कि गांव में वैक्सीनेशन सेंटर होने के बावजूद वैक्सीन वहां क्यों नहीं लगाई जाती, तो डॉक्टर ने अपने जवाब में बताया कि,
कोई ताज्जुब नहीं कि यूपी सरकार के हर दिन 6 लाख टीके लगाने के वादे का ये हाल है.
21 जुलाई- 4.65 लाख
20 जुलाई- 5.02 लाख
19 जुलाई- 6.98 लाख
18 जुलाई- 9036
17 जुलाई- 4.16 लाख
16 जुलाई- 4.08 लाख
15 जुलाई - 6.92 लाख
सोर्स- कोविन
राजधानी लखनऊ के ही इतने करीबी गांव में वैक्सीनेशन का हाल जानने के बाद ऐसा लगता है कि सरकार की ओर से जमीनी स्तर पर काम में कम और प्रचार पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. लेकिन अफसोस यह बात सरकार के ध्यान में नहीं है कि कोरोना का उपचार प्रचार नहीं, असली टीके हैं.
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