Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यूपी में वैक्सीनेशन-घर में अंधेरा, शहर-शहर ढिंढोरा, लखनऊ से सटे गांव का हाल

यूपी में वैक्सीनेशन-घर में अंधेरा, शहर-शहर ढिंढोरा, लखनऊ से सटे गांव का हाल

Vaccination in UP: लखनऊ के सबसे करीबी ग्रामीण क्षेत्र में योगी सरकार का वैक्सीनेशन मॉडल फेल

कशिश सिंह
कोरोनावायरस
Updated:
<div class="paragraphs"><p>तहसील मोहनलालगंज के गांव सिसेंडी का स्वास्थ्य केंद्र</p></div>
i

तहसील मोहनलालगंज के गांव सिसेंडी का स्वास्थ्य केंद्र

(फोटो: कशिश सिंह/क्विंट हिंदी)

advertisement

उत्तर प्रदेश सरकार आए दिन ये दावे करती नजर आती है कि वैक्सीनेशन का काम प्रदेश में जोरों पर है. 21 जून, 2021 से टीकाकरण कराने का जिम्मा केंद्र सरकार ने उठा लिया था, जिसके बाद यूपी ने दावा किया था कि अब से एक दिन में प्रदेश में 6 लाख लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. इसी के साथ ये भी कहा गया था कि गांवों में टीकाकरण पर ज्यादा जोर होगा. लेकिन गांव में स्थिति खराब है.

ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण अभियान की प्रगति की जमीनी हकीकत जानने के लिए, क्विंट की टीम जब लखनऊ से सटे हुए तहसील मोहनलालगंज के गांव सिसेंडी पहुंची तो टीकाकरण को लेकर सरकार के दावे हवा होते दिखे. सिसेंडी गांव की आबादी लगभग 2000 के करीब है, इस 2000 लोगों की संख्या में से आधे लोगों का भी टीकाकरण नहीं हुआ है.

क्विंट ने जब गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि गांव में अब तक न तो सरकार की तरफ से कोई टीकाकरण के बारे में बताने आया और न ही स्वास्थ विभाग की कोई टीम पहुंची. लोगों का कहना है कि उन्हें आधिकारिक तौर पर टीकाकरण को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.

इसी सिलसिले में बात करने हम सिसेंडी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन केंद्र उस समय बंद था, आस पास के लोगों से बात करने पर मालूम हुआ कि स्वास्थ्य केंद्र खुलता तो है पर वहां वैक्सीनेशन नहीं चल रहा है. केंद्र के बाहर मिले योगेश कुमार से जब हमने स्वास्थ केंद्र के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि,

"स्वास्थ्य केंद्र 10 से 2 बजे तक खुलता है और उस बीच सिर्फ एक डॉक्टर मैडम यहां रहती हैं, पर यहां पर लोगों का टीकाकरण नहीं होता है, गांव के लोग अन्य बीमारियों के लिए यहां से दवा लेने आ जाते हैं."

तहसील मोहनलालगंज के गांव सिसेंडी का स्वास्थ्य केंद्र

(फोटो: कशिश सिंह/क्विंट हिंदी)

स्वास्थ्य केंद्र के अंदर हमें टीकाकरण अभियान का एक बोर्ड दिखाई देता है जिसपर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर है, पर आश्चर्य की बात ये है कि टीकाकरण का केंद्र होने के बावजूद यहां लोगों को टीके नहीं लग रहे हैं.

वहीं जब हमने कोविड का टीका न लगवाने की वजह जाननी चाही तो सिसेंडी गांव के निवासी सुमित बनर्जी, जो शादियों में लाइटिंग डेकोरेशन का काम करते हैं उन्होंने बताया कि,

"गांव में टीकाकरण का कोई कैंप नहीं लगा, यहां तक कि स्वास्थ्य केंद्र में भी टीकाकरण का काम बंद है. ऐसे में जो लोग थोड़े पढ़े लिखे थे उन्होंने अपने परिवार वालों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया और मोहनलालगंज जा कर टीका लगवा लिया.आप ऐसा मान के चलिए कि अगर इस गांव में 100 लोग हैं तो उनमे से 20 का ही टीकाकरण हुआ होगा."
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

'गांव में खबर लेने भी नहीं पहुंचतीं प्रधान'

सिसेंडी गांव से एक किलोमीटर दूर केसरी खेड़ा

(फोटो: कशिश सिंह/क्विंट हिंदी)

गांव के और लोगों से बातचीत करने पर हमे ये महसूस हुआ कि गांव में लोग कोविड के टीके के प्रति जागरूक नहीं हैं. सिसेंडी गांव से एक किलोमीटर दूर केसरी खेड़ा इलाके में जब हम पहुंचे. वहां हमने लोगों से पूछा कि क्या गांव के प्रधान ने भी टीकाकरण के बारे में लोगों को कोई भी जानकारी नहीं दी, जिसपर केसरी खेड़ा निवासी 22 वर्षीय रूबी कुमारी ने बताया,

"प्रधान क्या गांव में कोई भी हाल खबर लेने नहीं आया, और न ही कोविड महामारी के दौरान यहां किसी भी प्रकार की सुविधा दी गई."

केसरी खेड़ा निवासी, 78 वर्षीय लालती देवी

(फोटो: कशिश सिंह/क्विंट हिंदी)

केसरी खेड़ा निवासी 78 वर्षीय लालती देवी से जब हमने पूछा कि क्या उन्हें टीके कि कोई जानकारी है तो उनका कहना था, "महामारी का टीका सुना तो है, पर इसको लगवाना जरूरी है क्या?"

इससे साफ जाहिर होता है कि इस गांव में लोगों को कोरोना के टीके के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है.

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 25 जून को एक चिट्ठी लिख सभी ग्राम प्रधानों से मदद मांगी थी जिसमें उनका कहना था कि राज्य को कोरोना मुक्त बनाने में योगदान दें, गांव के लोगों में जागरूकता फैलाएं और सही स्वास्थ सेवाएं उन तक पहुचाने में मदद करें. लेकिन यहां राजधानी लखनऊ के ही सबसे करीबी गांव की हकीकत कुछ और बयां करती है.

सिसेंडी गांव की प्रधान सन्नो जायसवाल से जब क्विंट ने गांव के लोगों के आरोपों के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया,

"सरकार ने कैम्प लगवाने का वादा किया था लेकिन इसकी कोई भी जानकारी हमें नहीं मिली है और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण किया जा रहा है जिसकी वजह से गांव में बहुत कम ही लोगों को टीका लग पाया है."

प्रधान सन्नो जायसवाल का यह भी कहना था कि, "हमें टीकाकरण के कैंप को लेकर कोई भी जानकारी नहीं मिली है, जिसकी वजह से हम गांवों में लोगों को जागरूक करने में असमर्थ रहे."

विपक्ष ने योगी सरकार के दावों को बताया 'झूठा'

क्विंट ने विपक्षी नेताओं से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में योगी सरकार के टीकाकरण अभियान के बारे में बात की. जिसपर समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह बताती हैं कि,

"यूपी के अधिकतर गांव ऐसे हैं जहां टीकाकरण अभियान सही से नहीं चल रहा है, कहीं टीकों की कमी है, कहीं जागरूकता की तो कहीं सेंटर नहीं खुलते. ऐसे में यूपी में जितना भी टीकाकरण का काम हो रहा है वो शहरी क्षेत्रों में हो रहा है. सरकार रोजाना जो ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण को लेकर दावे करती है, वो सब सच नहीं हैं."

लखनऊ के वैक्सीनेशन ऑफिसर डॉक्टर एम के सिंह से जब हमने सवाल पूछा कि गांव में वैक्सीनेशन सेंटर होने के बावजूद वैक्सीन वहां क्यों नहीं लगाई जाती, तो डॉक्टर ने अपने जवाब में बताया कि,

"वैक्सीनेशन की उपलब्धता में कमी होने के कारण गांव के टीकाकरण केंद्र में वैक्सीन नहीं लग रही है. उन्होंने बताया कि मोहनलालगंज में एक टीका केंद्र बनाया हुआ है जहां लोग जाकर टीकाकरण करवा सकते हैं."
बता दें कि मोहनलालगंज का टीकाकरण केंद्र, सिसेंडी गांव से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर है, ऐसे में गांव के गरीब लोगों के लिए वहां जाना ही एक दिक्कत भरा काम है.

कोई ताज्जुब नहीं कि यूपी सरकार के हर दिन 6 लाख टीके लगाने के वादे का ये हाल है.

  • 21 जुलाई- 4.65 लाख

  • 20 जुलाई- 5.02 लाख

  • 19 जुलाई- 6.98 लाख

  • 18 जुलाई- 9036

  • 17 जुलाई- 4.16 लाख

  • 16 जुलाई- 4.08 लाख

  • 15 जुलाई - 6.92 लाख

सोर्स- कोविन

राजधानी लखनऊ के ही इतने करीबी गांव में वैक्सीनेशन का हाल जानने के बाद ऐसा लगता है कि सरकार की ओर से जमीनी स्तर पर काम में कम और प्रचार पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. लेकिन अफसोस यह बात सरकार के ध्यान में नहीं है कि कोरोना का उपचार प्रचार नहीं, असली टीके हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 22 Jul 2021,10:52 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT