advertisement
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण अपने परिजनों के रोते-बिलखते लोगों की हृदय विदारक तस्वीरें आ रही थीं. यूपी से आने वाली इन तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर दिया था.
लोगों के जख्म अभी भर नहीं पाए थे और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने उसे हरा करने का काम कर दिया.
आगरा के रहने वाले अशोक चावला का कहना है कि जिस हॉस्पिटल में मेरे पिता जी भर्ती थे और छोटे भाई की पत्नी भर्ती थीं, उसके अलावा आगरा के कई जगहों से मेरे पास व्हॉट्सएप मैसेज आए थे, जहां डॉक्टरों ने सभी मरीजों को ऑक्सीजन लाने के लिए कहा था. इसके साथ ही हॉस्पिटल्स के बाहर बाकायदा नोटिस भी लगा दिए गए थे कि या तो अपने मरीज को यहां से ले जाइए या फिर आप स्वयं ऑक्सीजन की व्यवस्था करके हमको दीजिए.
उन्होंने कहा कि आगरा के हॉस्पिटल्स चलाने वालों ने नोटिस क्यों लगाया था, क्या इसका जवाब स्वास्थ्य मंत्री जी के पास है.
मिर्जापुर के निवासी आशीष पांडेय का कहना है कि कुंए का मेढक कुंए के बाहर नहीं देखता है, उत्तर प्रदेश की सरकार कूपमंडूक है.
यूपी सरकार अपने मंत्रियों को बता रही है कि उनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है, जबकि जनमानस में देखेंगे तो इसका पता चलेगा.
आगरा की निवासी रेणु सिंघल कहती हैं कि हॉस्पिटल में पेशेंट को ले जाने के बाद उन्होंने साफ मना कर दिया कि यहां ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं है और बेड भी खाली नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें कहा गया कि आपको हम एडमिट नहीं कर सकते.
उन्होंने कहा कि मेरे पति को सांस लेने में समस्या बढ़ती जा रही थी, मैने अपने पति को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन बचा नहीं सकी.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था और हॉस्पिटल्स में बिस्तरों की भी कमी देखने को मिल रही थी. लेकिन सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को सिरे से नकार रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)