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सरकार ने बताया प्राइवेट अस्पतालों में क्या होगा वैक्सीन का दाम

प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक का दाम हुआ तय

क्विंट हिंदी
कोरोनावायरस
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COVID 19 Vaccine| कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक का दाम हुआ तय
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COVID 19 Vaccine| कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक का दाम हुआ तय
(फोटो: Altered By Quint Hindi)

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करीब 1 महीने बाद तमाम आलोचनाओं और सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने अपनी वैक्सीनेशन पॉलिसी में बदलाव किया. जिसमें अब केंद्र की तरफ से सभी को मुफ्त वैक्सीन देने की बात कही गई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन के दाम तय कर दिए हैं. अब सरकार की तरफ से तीनों वैक्सीन- कोविशील्ड, स्पूतनिक और कोवैक्सीन के रेट जारी कर दिए गए हैं.

प्राइवेट अस्पतालों के लिए हर वैक्सीन का रेट तय

सरकार की तरफ से बताया गया है कि, अब प्राइवेट अस्पतालों में कोविशील्ड के लिए 780 रुपये प्रति डोज, कोवैक्सीन के लिए 1410 रुपये प्रति डोज और स्पूतनिक के लिए 1145 रुपये प्रति डोज वसूले जा सकते हैं. यानी इन तय हुए दामों से ज्यादा कोई भी अस्पताल वैक्सीन के लिए पैसे वूसल नहीं सकता है.

सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि, कोई भी प्राइवेट अस्पताल लोगों से ज्यादा से ज्यादा 150 रुपये सर्विस चार्ज के तौर पर वसूल सकता है. अस्पतालों में वैक्सीन के लिए कितना चार्ज किया जा रहा है, राज्य सरकारें इसे मॉनिटर करेंगीं. वहीं वैक्सीन कंपनियों को कहा गया है कि अगर उनके रेट में कोई भी बदलाव होता है तो इसकी जानकारी पहले ही सरकार को देनी होगी.
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बता दें कि 1 मई से सरकार ने प्राइवेट सेक्टर और राज्यों के लिए वैक्सीन पॉलिसी को खोल दिया था. जिसके बाद से ही प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीनेशन शुरू हुआ. लेकिन इस बीच कई ऐसी खबरें सामने आईं कि प्राइवेट अस्पताल मनमाने तरीके से वैक्सीन के लिए पैसे वसूल रहे हैं. साथ ही कई बड़े होटलों ने भी वैक्सीन पैकेज शुरू कर दिए थे. जिसे देखते हुए अब दाम तय किए गए हैं.

सरकार को बदलनी पड़ी वैक्सीनेशन पॉलिसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में बताया कि, राज्यों को अब वैक्सीन पर कुछ खर्च नहीं करना होगा. क्योंकि केंद्र सरकार सभी को वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी. जैसा पहले हो रहा था. इससे पहले राज्य सरकारें लगातार केंद्र से मांग कर रही थी कि केंद्र खुद वैक्सीन खरीदकर राज्यों को दे. क्योंकि जब राज्यों के कंधों पर वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी आई तो पर्याप्त मात्रा में खरीदने के लिए वैक्सीन ही नहीं थी. राज्यों ने ग्लोबल टेंडर भी निकाले, लेकिन किसी भी कंपनी ने उसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने जब केंद्र की वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सवाल खड़े किए और इसका पूरा ब्योरा मांग लिया तो केंद्र ने पॉलिसी बदले का फैसला किया.

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