Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Cronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Delta Plus को लेकर वैज्ञानिक क्यों परेशान?नए खतरे की 11 बड़ी बातें

Delta Plus को लेकर वैज्ञानिक क्यों परेशान?नए खतरे की 11 बड़ी बातें

अभी वैज्ञानिक ‘Delta Plus’ को ही नहीं समझ पाए थे, कि इसके भी चार नए रूपों की चर्चा शुरू हो गई

क्विंट हिंदी
कोरोना-वायरस
Updated:
<div class="paragraphs"><p>भारत में COVID-19 'Delta Plus' वेरिएंट के बढ़ रहे मामले</p></div>
i

भारत में COVID-19 'Delta Plus' वेरिएंट के बढ़ रहे मामले

(फोटो: iStock)

advertisement

कोरोना वायरस (Coronavirus) दूसरी लहर के बाद भी थमता नजर नहीं आ रहा है. दूसरी लहर के दौरान वायरस के डेल्टा वेरिएंट (Delta) ने कोहराम मचाया था, और अब इसी वेरिएंट का म्युटेशन,जिसे डेल्टा प्लस (Delta Plus) कहा जा रहा है, चिंता का विषय बना हुआ है. रोज इस नए वेरिएंट को लेकर नई जानकारियां आती रहती हैं. तो आइए जानते हैं इस वेरिएंट से सम्बंधित सभी बड़े सवालों के जवाब.

‘डेल्टा प्लस’ क्या है?

कोरोना का ये नया रूप डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) में म्युटेशन होने के बाद पाया गया है. सबसे पहले इस वेरिएंट के बारे में जानकारी इंग्लैंड की पब्लिक हेल्थ बुलेटिन में दी गई थी.

यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में पाया गया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये डेल्टा वेरिएंट में प्रोटीन म्यूटेशन के बाद बना है. इसे K417N नाम दिया गया है, ये इससे पहले बीटा वेरिएंट में भी मिला था और इसकी पहचान सबसे पहले साउथ अफ्रीका में की गई थी.

ये नया वेरिएंट कहां-कहां पाया गया है?

भारत में अब तक 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के 51 मामलों का पता चला है, जिसमें महाराष्ट्र से अधिकतम मामले सामने आए हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, केरल, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू और कश्मीर और पश्चिम बंगाल में भी डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले पाए गए हैं.

क्या ‘डेल्टा प्लस’ से कोरोना वायरस की तीसरी लहर आएगी?

इस नए वेरिएंट से कोरोना की तीसरी लहर आएगी, इसको लेकर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है. कुछ का मानना है कि अगर भारत में कोरोना की तीसरी लहर आती है तो फिर इसके लिए डेल्टा प्लस वेरिएंट जिम्मेदार हो सकता है. साथ ही ये भी दावा किया गया है कि इस वेरिएंट से एक्टिव केस 8 से 10 लाख तक जा सकते हैं, जिसमें से 10 प्रतिशत संख्या बच्चों की हो सकती है.

मौजूदा वैक्सीन ‘डेल्टा प्लस’ पर असर करेंगी या नहीं?

फिलहाल पक्के तौर पर ये नहीं कहा जा सकता है कि वैक्सीन इस वेरिएंट के खिलाफ असरदार है, हालांकि वैज्ञानिक ये मान कर चल रहे हैं कि वैक्सीन इस वेरिएंट के खिलाफ असरदार होंगी. सरकार का कहना है कि कोवैक्सीन और कोविशिल्ड दोनों वैक्सीन इस पर असरदार है. ICMR ने कहा कि अभी इस बात को लेकर स्टडी की जा रही है कि हमारे यहां की वैक्सीन नए वेरिएंट के खिलाफ असरदार है या नहीं.

इस वेरिएंट की चपेट में आने से कैसे बचें?

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट से बचने के लिए आपको वो तमाम सावधानियां बरतनी होंगी, जो आप अब तक कोरोना वायरस से बचने के लिए बरतते आए हैं.

  • घर से बाहर सिर्फ बहुत जरूरत पड़ने पर निकले.

  • जब भी घर से निकलें डबल मास्क पहनें.

  • हाथों को दिन में कई बार 20 सेकेंड के लिए धोए.

  • लोगों से 6 फीट कि दूरी बनाए रखें.

  • बाहर से लाए गए सामान पर डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल करें.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इस वेरिएंट के लक्षण क्या है?

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक डेल्टा प्लस ज्यादा संक्रामक है और फेफड़ों पर भी काफी प्रभाव डालता है, जिसकी वजह से फेफड़ों को जल्द नुकसान पहुंचने कि संभावना होती है. यह इम्युनिटी को चकमा देने में सक्षम है. जो लोग इस वेरिएंट की चपेट में आए हैं, उनमे गंभीर खांसी-जुखाम, सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण पाए गए हैं.

‘डेल्टा प्लस’ कितना खतरनाक है?

कोरोना वायरस के अभी तक जितने भी वेरिएंट आए हैं, उनमें सबसे तेजी से डेल्टा फैलता है. अल्फा वेरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60% अधिक संक्रामक है. डेल्टा वेरिएंट दूसरी लहर में सुपर-स्प्रेडर था और अब डेल्टा प्लस को भी ऐसा ही माना जा रहा है.

डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट में क्या अंतर है?

डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में ही पाया गया था. अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि डेल्टा वेरिएंट ही विकसित होकर डेल्टा प्लस बन गया है. डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने के कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है.

क्या डेल्टा प्लस कोरोना संक्रमित होने या वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी को खत्म कर सकता है?

वैक्सीनों को मूल रूप से ओरिजिनल COVID स्ट्रेन यानी अल्फा वेरिएंट के संबंध में विकसित किया गया था, इसलिए डेल्टा वेरिएंट और उभरते हुए नए वेरिएंट के वैक्सीन एंटीबॉडी को पार कर जाने की आशंका जताई जा रही है. वैज्ञानिकों ने उन गुणों के बारे में भी चिंता जताई है जो नए वेरिएंट को एंटीबॉडी सुरक्षा से बचने में मदद करते हैं. हालांकि हाल के दिनों में, अध्ययनों ने दावा किया है कि कुछ COVID वैक्सीन डेल्टा संस्करण के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकते हैं. लेकिन जहां तक डेल्टा प्लस वेरिएंट की बात है, तो विशेषज्ञ अभी तक यह निर्धारित नहीं कर पाए हैं कि मौजूदा वैक्सीन इससे सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं या नहीं, इसपर रिसर्च जारी है.

क्या डेल्टा प्लस वेरिएंट उन लोगों पर भी असर करेगा जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग गए हैं?

लैब टेस्ट में कोविशील्ड और कोवैक्सीन से डेल्टा वेरिएंट के न्यूट्रलाइजेशन में कमी देखी गई, लेकिन 'रियल वर्ल्ड पॉपुलेशन स्टडी' पर नजर रखना जरूरी है ताकि पता चल सके कि आबादी में क्या हो रहा है. सिम्प्टोमेटिक इंफेक्शन के केस में सिंगल डोज का असर कम है- करीब 40-50%, जबकि 2 डोज के बाद 60-70% तक असर देखा गया. लेकिन गंभीर मामलों में, हॉस्पिटलाइजेशन के मामले में बेहतर एफिकेसी देखी गई है. नए वेरिएंट से इंफेक्शन ज्यादा हो सकता है लेकिन गंभीरता के खिलाफ वैक्सीन कारगर है.

क्या डेल्टा प्लस के भी नए रूप आ सकते हैं?

इन दिनों डेल्टा प्लस के भी चार नए रूपों की चर्चा हो रही है और वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चिंता का विषय हो सकता है. नीचे दी गई खबर में आप इन चार वैरिएंट के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 29 Jun 2021,08:22 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT