बिहार में पहले दौर के मतदान से क्या संकेत मिल रहे हैं?

लोगों ने जमकर वोट किया यानी कोरोना से सामाजिक, चुनावी और राजनीतिक रिकवरी तो हो गई है

संजय पुगलिया
बिहार चुनाव
Updated:
लोगों ने जमकर वोट किया यानी कोरोना से सामाजिक, चुनावी और राजनीतिक रिकवरी तो हो गई है
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लोगों ने जमकर वोट किया यानी कोरोना से सामाजिक, चुनावी और राजनीतिक रिकवरी तो हो गई है
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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बिहार के चुनाव में जब नेता नर्वस हैं, तब वहां के वोटर ने तीन पारी के इस मैच की पहली पारी में धमाकेदार बैटिंग की है. कोरोनाकाल में जब लोगों को अपनी सेहत का डर है, ऐसे में उन्होंने जमकर वोटिंग की है. बिहार में पहले फेज का वोटिंग टर्नआउट करीब 54 फीसदी रहा. ये एक काफी बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि जितना गरीब राज्य होता है, जितने पिछड़े वोटर होते हैं उनका लोकतंत्र में उतना ही बड़ा योगदान होता है. आज यही देखने को मिला, मतदान शांतिपूर्ण हुआ और लोगों ने मतदान में पूरा सहयोग किया है. यानी कोरोना से सामाजिक, चुनावी और राजनीतिक रिकवरी तो हो गई है.

बिहार के वोटर ने दिखाया उत्साह

तो अब अगर चुनाव विश्लेषक सुहास पलशीकर का एक मुहावरा लें, तो सेंस ऑफ एजेंसी जो होती है, डेमोक्रेसी में मेरा नियंत्रण है या नहीं, मेरे फैसले मैं ले सकता हूं या नहीं. मेरी किस्मत के साथ कोई खिलवाड़ न हो, ये आज बिहार के वोटर ने कर दिखाया है कि चाहे कोरोना का रिस्क है, लेकिन वो वोट करने जाएगा और जमकर वोटिंग करेगा. ये हमारे लोकतंत्र के लिए काफी बड़ी बात है. साथ ही चुनाव आयोग के लिए ये एक तरह का डिजिटल चुनाव को टेस्ट करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट हो गया. आगे के लिए इससे काफी सीख मिलेगी.

शुरू में हमने कहा था कि बिहार में नेता नर्वसाए हुए हैं, क्योंकि बिहार के चुनाव में आमतौर पर जो देखने को मिलता है, पिछले चुनावों में जो गाली गलौच देखने को मिली है, अभी तक उतना कर्कश कैंपेन नहीं चला है. सारी पार्टियां बिहारी वोटर्स को लेकर काफी कनफ्यूज हैं. उसके साफ दर्शन हो रहे हैं. हालांकि आगे के दौर को देखते हो सकता है कि कैंपेन का रूप थोड़ा बदल जाए.

क्योंकि पहले दौर का जो मतदान हुआ है, उसमें वो 71 सीटें दांव पर थीं, जहां पर आरजेडी और कांग्रेस की कुल 36 सीटें थीं और जेडीयू और बीजेपी की 31 सीटें थीं. बाकी जो 172 सीटें बची हैं, उन पर सभी के लिए स्टेक बढ़ जाएगा, क्योंकि इस टर्नआउट से एंटी इनकंबेंसी-प्रो इनकंबेसी, कोई भी मैसेज निकालना अभी मुश्किल होगा.
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आगे की कैंपेनिंग जोरदार होने की उम्मीद

अब आगे की कैंपेंनिंग की एक झलक पीएम मोदी के वोटिंग के दिन हुई रैली में दिए गए बयान से देखी जा सकती है. पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा- जंगलराज के युवराज... लेकिन जिस दिन पीएम ने ये बात कही, उससे ठीक एक दिन पहले मुंगेर में दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन के दौरान पुलिस और लोगों में झगड़ा हुआ और गोली चली. जिसमें एक शख्स की मौत हो गई. चिराग पासवान और तेजस्वी ने पूछा कि जनरल डायर बनने का आदेश किसका था. कांग्रेस के सुरजेवाला ने कहा कि बिहार में निर्मम कुमार और निर्मम मोदी का राज है.

इसीलिए यहां से शायद कैंपेन का स्तर थोड़ा नीचे जाए, लेकिन इससे बचने की जरूरत है. क्योंकि बिहारी वोटर को पंसद नहीं आता है कि आप गलत तरीके से धुव्रीकरण करें और भावनाओं से खिलवाड़ करें. तो ये देखना होगा कि अब तक नर्वस दिख रहीं पार्टियों का कैंपेन आगे कैसा रहेगा.

कई सीटों पर 60% मतदान

आज जिन 71 सीटों पर वोट डाले गए हैं, उनमें कई नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी थे. लेकिन कई विधानसभा सीटों पर 60% तक वोटिंग टर्नआउट रहा है. धौरेया, बांका, कटोरिया, टिकरी, चकई, रामगढ़ जैसी सीटों पर वोटिंग टर्नआउट 60 फीसदी तक रहा. वहीं जिलों की अगर बात करें तो बक्सर, बांका, गया, जमुई, कैमूर और लखीसराय में वोटिंग टर्नआउट काफी अच्छा रहा.

अब अगर पहले राउंड की वोटिंग के बाद निष्कर्ष निकालना हो तो वो ये है कि ये हमारे लोकतंत्र के लिए काफी अच्छी खबर है. शांतिपूर्ण चुनाव रहा, हिंसा नहीं हुई. चुनाव आयोग ने कोरोनाकाल के बीच इस चुनाव को करवाया. बिहार हमेशा कुछ न कुछ नई मिसालें बनाता है, आज उसे सेलिब्रेट करने का दिन है. क्योंकि नतीजों का अनुमान लगाने का अभी कोई मतलब नहीं है.

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Published: 28 Oct 2020,10:05 PM IST

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