बिहार चुनाव के लिए नीतीश की वर्चुअल रैली में क्यों छाए रहे लालू?
बिहार चुनाव से पहले 'पॉजिटिव' नीतीश, क्या 'निगेटिव' हो गए?
क्विंट हिंदी
बिहार चुनाव
Published:
i
बिहार चुनाव से पहले पॉजिटिव नीतीश, क्या निगेटिव हो गए?
(फोटो: क्विंट हिंदी)
✕
advertisement
नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने सोमवार को अपने चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी. 'निश्चय संवाद' नाम की वर्जुअल रैली में नीतीश करीब दो घंटे तक बोले. ताज्जुब की बात ये रही कि नीतीश कुमार ने जितने अपने काम गिनाए उतने ही लालू राज की कमियों के बारे में बताया.
राजद शासन पर नीतीश कुमार के वार:
'लोगों को राजद के काम को बताइए नहीं तो फिर गड़बड़ हो जाएगा.'
'पति-पत्नी के 15 साल के शासन में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी, नरसंहार होता था.'
'तब शाम के पहले लोग घर लौट जाते थे, गाड़ी में राइफल निकालकर चलते थे लोग.'
'पुराना फोटो और आज का फोटो मिलाइए'
'लालू अंदर हैं फिर भी ट्वीट आते हैं'
'पहले सड़क नहीं थी, पता नहीं चलता था कि सड़क में गड्ढा था कि गड्ढे में सड़क'
नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने चुनावी अभियान की शुरुआत डिजिटल रैली से की(फोटो: ट्विटर- @NitishKumar)
पॉजिटिव नीतीश, क्या निगेटिव हो गए?
ऐसा नहीं है कि नीतीश ने इस रैली में अपनी सरकार के काम पर बात नहीं की. उन्होंने दावा किया कि सरकारी अस्पतालों में उन्होंने जरूरत से ज्यादा इंतजाम कर दिया है. लॉकडाउन से परेशान 20 लाख मजदूरों को 1000-1000 रुपए की मदद दी है. 14 करोड़ दिन का रोजगार क्रिएट किया. लेकिन अपने भाषण में उन्होंने राजद के 15 साल पुराने शासन काल को इतनी तवज्जो क्यों दी? नीतीश कुमार शुरू से ही विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ते रहे हैं. वो अपने काम के बूते वोट मांगते हैं, तो फिर क्यों आज बीजेपी स्टाइल पर आ गए. जैसे बीजेपी केंद्र में किसी भी सवाल के जवाब में कांग्रेस का शासन काल याद दिलाती है, क्या उसी राह पर अब नीतीश चल रहे हैं?
जैसे बीजेपी केंद्र में किसी भी सवाल के जवाब में कांग्रेस का शासन काल याद दिलाती है, क्या उसी राह पर अब नीतीश चल रहे हैं?(फोटो: ट्विटर- @NitishKumar)
अब तो 15 साल बीत गए जब नीतीश सत्ता में हैं. इतने अर्से बाद लालू राज में हुई गड़बड़ियों पर बातचीत का क्या औचित्य?
क्या इसकी वजह ये है कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में वो मजदूरों की वापसी का विरोध करते दिखे थे?
क्या वो बिहार के अस्पतालों से कोरोना मरीजों की बदहाली की आती अनगिनत तस्वीरों को याद नहीं करना चाहते?
कोरोना के बीच बिहार लौटे मजदूरों के कोरोना के बीच ही फिर पलायन कर जाने की मजबूरी से ध्यान हटाना चाहते हैं?
हर साल की तरह इस बार भी बाढ़ से आई तबाही से पल्ला झाड़ना चाहते हैं?
आर्टिकल 370 से लेकर CAA-NRC पर JDU की भूमिका पर बात नहीं करना चाहते?
नीतीश अपनी लकीर बड़ी करने के बजाय क्यों राजद की लकीर को छोटी बता रहे हैं? क्या अपनी लकीर छोटी है, या उन्हें लग रहा है तीर के सामने जो लकीर है वो असल में बड़ी है?