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बिहार विधानसभा चुनाव में गया जिले के नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है. इस क्षेत्र की लड़ाई दो दिग्गजों पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी के बीच प्रतिष्ठा बचाने के रूप में देखी जा रही है.
इमामगंज की सीट पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जहां मांझी को उम्मीदवार बनाया है, वहीं महागठबंधन ने आरजेडी के कद्दावर महादलित नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. इधर, लोकजनशक्ति पार्टी ने पूर्व विधायक रामस्वरूप पासवान की बहू (पतोहू) शोभा देवी को चुनाव मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
पिछले चुनाव में चौधरी को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन वे इमामगंज सीट से पांच बार चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं. साल 1990 में जनता दल, साल 2000 में समता पार्टी और फरवरी 2005, अक्टूबर-नवंबर 2005 और 2010 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
करीब 2.50 लाख मतदाताओं की संख्या वाले इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में महादलित वोट सबसे अधिक है, इसके बाद अतिपिछड़ा व पिछड़ी जातियों के वोट हैं. अगड़ी जातियों का वोट यहां काफी कम है.
गया के वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल कादिर कहते हैं कि मांझी के लिए सभी बड़ी समस्या एलजेपी प्रत्याशी बनी हुई है, उन्होंने कहा कि लोजपा प्रत्याशाी शोभा देवी के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला रोचक हो गया है. मांझी का दांगी और कुशवाहा जैसी जातियों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं और मांझी मतदाताओं की संख्या भी 50 हजार से अधिक है, जो उनके पक्ष में है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि मांझी से लोगों की शिकायत भी है.
वे कहते हैं, इस चुनाव में इमामगंज की सीट हॉट सीट है और चौधरी और मांझी में सीधी टक्कर है, लेकिन एलजेपी प्रत्याशी इसे त्रिकोणात्मक बनाने में जुटी है. अगर संघर्ष त्रिकोणात्मक हुआ तो मांझी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
बहरहाल, इमामागंज में पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को मतदान होना है. बिहार में 243 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होना है.
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