Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Bihar election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार चुनाव: देश ‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित,मधुबनी के 1 गांव का सच

बिहार चुनाव: देश ‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित,मधुबनी के 1 गांव का सच

क्या ‘खुले में शौच’ से मुक्त हो गया है देश? देखिए बिहार में मधुबनी के राठी गांव से ग्राउंड रिपोर्ट

शादाब मोइज़ी
बिहार चुनाव
Updated:
मधुबनी के राठी की महिलाओं से सुनिए शौचालय नहीं होने से क्या दिक्कतें आती हैं?
i
मधुबनी के राठी की महिलाओं से सुनिए शौचालय नहीं होने से क्या दिक्कतें आती हैं?
(फोटो: क्विंट हिंदी/कनिष्क दांगी)

advertisement

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन/आशुतोष भारद्वाज

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

पीएम मोदी ने गांधी जी की 150 जयंती यानी 2 अक्टूबर 2019 तक देश को 'खुले में शौच' से मुक्त (Open Defecation Free) बनाने का लक्ष्य रखा था, स्वच्छ भारत ग्रामीण की वेबसाइट के मुताबिक 100% लक्ष्य हासिल किया जा चुका है, लेकिन क्या सच में हर घर में शौचालय है?

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्विंट बिहार के मधुबनी के राठी गांव में ये पता करने के लिए पहुंचा कि क्या ये गांव 'खुले में शौच' से मुक्त हुआ है? क्या बिहार के हर चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वालीं महिलाएं अब खुले में शौच से आजाद हैं?

राठी गांव की रहने वालीं 11वीं की छात्रा सरिता कुमारी ने क्विंट को बताया कि उन्हें शौचालय की बहुत दिक्कत होती है, उनका कहना है कि उनके घर में शौचालय नहीं है इसलिए उन्हें अपने घर से दूर जंगलों में जाना पड़ता है.

बहुत दूर शौचालय करने के लिए जाते हैं, लेकिन अगर वहां ज्यादा आदमी होते हैं तो वापस लौटना पड़ता है, सुबह स्कूल जाने से पहले हमें जल्दी उठाना पड़ता है, शौचालय जाने के लिए इतनी दूर जाते हैं और कई बार ऐसे ही लौट आते हैं, ज्यादा वक्त तो इसी में निकल जाता है, शाम को कोचिंग जाते हैं तब कई बार वहां शौचालय जाना पड़ता है.
सरिता कुमारी, 11वीं की छात्र

महिलाओं को शौचालय की दिकक्तों का सामना करना पड़ता है सरिता कुमारी की मां बताती हैं कि जब शौच के लिए जाते हैं, और आस-पास मर्द ज्यादा होते हैं तो ऐसे हो लौटना पड़ता है, रोकना पड़ता है खुद को, ऐसे में उनकी तबीयत भी कई बार खराब होती है.

सरकारी लोग खा जाते हैं पैसा

राठी गांव में ही रहने वालीं एक महिला ने क्विंट से बातचीत में बताया कि वो बहुत गरीब हैं, खुद शैचालय नहीं बनवा सकते हैं, वो आगे कहती हैं-

सरकारी लोग आते हैं तो वो कहते हैं कि पहले हम शौचालय बनवाएं, बन जाने के बाद वो हमें सरकार से मिला पैसा देंगे. लेकिन वो पैसा भी हमें नहीं मिलता है, हमसे झूठ कहते हैं वो लोग, और खुद ही वो पैसा खा जाते हैं. 
स्थानीय

गांव की मुखिया मुन्नी देवी का कहना है कि गांव में 1200 में से 600 शौचालय बन चुके हैं और 400 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण हुआ है.

लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक जो शौचालय बने हैं वो इस्तेमाल के लायक नहीं हैं. राठी गांव में रहने वाले रामदेव कामत बताते हैं कि उनके इलाके में 4 कमरे का शौचालय बना है जो अधूरा ही रह गया है, पिछले 4 महीने से किसी ने इसकी सुध नहीं ली. राठी गांव के ही रहने वाले अमर कामत बताते हैं कि-

सरकार से शौचालय बनाने का 12 हजार रुपये मिलने की स्कीम है, लेकिन सरकारी लोग जब आते हैं तो उसमे भी 2 हजार रुपये की घूस मांगते हैं, अब कोई 10 हजार रुपये में शौचालय कैसे बनाए?

स्थानीय सुशुल मंडल का कहना है कि जब कोई शौचालय बनवा लेता है तो उसे सरकार की तरफ स्कीम के तहत पैसा मिलना है, लेकिन उन तक वो पैसा नहीं पहुंचा, उनसे झूठ कहा जाता है, पैसे देने की बात पर टालने लगते हैं.

मधुबनी के विधायक रामप्रीत पासवान ने क्विंट से बातचीत में कहा है कि उन्होंने राज्य सरकार से गांव में शौचालय बनवाने की अर्जी दी है लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि उनके पास गांव में जमीन नहीं है कि वो हर थोड़ी दूरी पर शौचालय बनवा पाए. रामप्रीत का ये भी दावा है कि उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की है और आगे भी करेंगे. साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया है कि जिन लोगों ने शौचालय बनवाया है वो उनसे संपर्क कर उन्हें जल्द उनके हक का पैसा दिलवाने में काम करेंगे

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 18 Oct 2020,08:38 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT