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Narendra Modi 3.0 Cabinet: बीजेपी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने नरेंद्र मोदी के तीसरे मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ले ली है. इससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी अपनी घोषणा पर कायम है कि नड्डा जून 2024 तक पार्टी प्रमुख रहेंगे. उनका कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसे जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था.
इससे अब अटकलें तेज हो गई हैं कि अगला बीजेपी अध्यक्ष कौन हो सकता है. संभावित उत्तराधिकारी माने जाने वाले कई नेताओं- जैसे सीआर पाटिल, शिवराज सिंह चौहान और भूपेन्द्र यादव - को कैबिनेट में शामिल किए जाने के बाद अटकलों ने और जोर पकड़ लिया.
यहां कुछ ऐसे नेता हैं जिनके नाम बीजेपी चीफ की रेस में शामिल माना जा रहा है.
सुनील बंसल वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. उन्हें पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सफलता के वास्तुकार के रूप में देखा जाता है. सुनील बंसल 2014 में अमित शाह के साथ यूपी के सह-प्रभारी और 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए राज्य के मुख्य प्रभारी थे. यूपी की सफलता के बाद, उन्हें ओडिशा और तेलंगाना में बीजेपी को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया.
आरएसएस के पूर्व प्रचारक, बंसल राजस्थान से आते हैं और उन्हें अमित शाह के करीबी के रूप में देखा जाता है. उन्हें आरएसएस के एक वर्ग का भी समर्थन प्राप्त है.
सुनील बंसल की तरह, तावड़े भी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें इस पद पर प्रमोट किया गया था. वह उन राज्यों में बीजेपी के कैंपेन के कॉर्डिनेटर थे जहां 2022 में चुनाव हुए थे.
वह मराठा समुदाय से भी आते हैं, जो आरक्षण आंदोलन के कारण अशांत है. तावड़े को बीजेपी प्रमुख बनाने से इस साल के अंत में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एक सकारात्मक संकेत भी जाएगा. खासकर महा विकास अघाड़ी के हाथों राज्य में बीजेपी को जिस हार का सामना करना पड़ा है, उसके बाद इस संकेत की अहमियत बढ़ जाएगी.
2019 से 2024 तक लोकसभा अध्यक्ष रहे बिड़ला भी आरएसएस और एबीवीपी के बैकग्राउंड से आते हैं. वह कोटा निर्वाचन क्षेत्र से फिर से निर्वाचित हुए हैं, हालांकि कम अंतर से. बिड़ला को पीएम मोदी और अमित शाह के साथ-साथ आरएसएस का भी भरोसा हासिल है.
राजस्थान के वरिष्ठ नेता ओम माथुर आरएसएस के प्रचारक भी रहे हैं और उनके पास काफी संगठनात्मक अनुभव है. उन्होंने गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी के कैंपेन को मैनेज किया है.
उनकी सबसे हालिया सफलता 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव थी, एक मुश्किल चुनाव जिसमें बीजेपी ने कांग्रेस पर आश्चर्यजनक जीत हासिल की थी. उन्हें संगठनात्मक मामलों के शानदार ज्ञान के साथ एक कम प्रोफाइल वाले नेता के रूप में जाना जाता है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर केंद्रीय कैबिनेट से आश्चर्यजनक रूप से बाहर किए गए लोगों में से एक हैं. उन्होंने पिछली मोदी सरकार में खेल और सूचना एवं प्रसारण जैसे विभाग संभाले हैं और लगातार पांचवीं बार हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट से फिर से चुने गए हैं. बीजेपी की युवा शाखा के पूर्व अध्यक्ष, ठाकुर संगठनात्मक कार्यों के लिए भी अजनबी नहीं हैं.
हालांकि, ठाकुर को बीजेपी प्रमुख बनाने का मतलब होगा कि लगातार दो हिमाचली इस शीर्ष पद को संभालेंगे. इसके अलावा इसका मतलब होगा कि बीजेपी पहली बार पार्टी प्रमुख का पद किसी राजनीतिक परिवार के आने वाले सदस्य को देगी. पार्टी में संगठनात्मक अनुभव को अबतक प्रधानता दी गई है इसलिए ऐसा हुआ तो यह आश्चर्यजनक होगा.
बीएल संतोष वर्तमान में बीजेपी में महासचिव (संगठन) हैं और पहले से ही पार्टी में एक शक्ति केंद्र हैं. वह आरएसएस के प्रचारक भी रहे हैं और कार्यकर्ताओं के वैचारिक प्रशिक्षण में प्रभावी माने जाते हैं. हालांकि, कर्नाटक बीजेपी का एक गुट राज्य में 2023 के चुनाव में हार के लिए उन्हें दोषी मानता है और यह उनके लिए नकारात्मक फैक्टर हो सकता है. बंसल, तावड़े और ओम माथुर के विपरीत, बीएल संतोष मीडिया और सोशल मीडिया पर लगातार बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं.
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