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लोकसभा पर फोकस, क्षेत्रीय-जातीय गणित पर जोर,9 मंत्री से छत्तीसगढ़ को कैसे साध रही BJP?

छत्तीसगढ़ अब में सीएम समेत कुल मंत्रियों की संख्या 12 होगी, जिसमें दो डिप्टी सीएम भी शामिल हैं.

पल्लव मिश्रा
छत्तीसगढ़ चुनाव
Updated:
<div class="paragraphs"><p>क्षेत्रीय-जातीय समीकरण पर निगाह, 2024 चुनाव पर फोकस- छत्तीसगढ़ में 9 मंत्री कौन?</p></div>
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क्षेत्रीय-जातीय समीकरण पर निगाह, 2024 चुनाव पर फोकस- छत्तीसगढ़ में 9 मंत्री कौन?

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सरकार गठन के नौ दिन बाद विष्णुदेव साय सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ. साय ने अपनी कैबिनेट में नौ विधायकों को मंत्री के रूप में शामिल किया है. इसके बाद अब सीएम समेत कुल मंत्रियों की संख्या 12 होगी, जिसमें दो डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा शामिल हैं. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सरकार गठन के साथ ही जातीय समीकरण को भी बहुत हद से साधने की कोशिश की है.

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि जिन्हें मंत्री बनाया गया वो कौन हैं? बीजेपी ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को कैसे साधा?

कौन-कौन बना मंत्री?

  • बृजमोहन अग्रवाल

  • लखनलाल देवांगन

  • राम विचार नेताम

  • टंकराम वर्मा

  • श्याम बिहारी जायसवाल

  • ओपी चौधरी

  • दयालदास बघेल

  • केदार कश्यप

  • लक्ष्मी राजवाड़े

1. बृजमोहन अग्रवाल

11 मई 1959 में रायपुर में जन्मे बृजमोहन अग्रवाल बीजेपी के कद्दावर नेता हैं. वो लगातार आठवीं बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. एबीवीपी से राजनीति शुरू करने वाले अग्रवाल साल 1980 में पहली बार विधायक बने थे. अग्रवाल छत्तीसगढ़ सरकार में गृह, जेल, संस्कृति और पर्यटन, राजस्व, कानून, स्कूल शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, संसदीय, कृषि मंत्री के अलावा कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं. बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण सीट से विधायक हैं और उन्होंने कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास को 67,919 मतों से हराया था.

2.राम विचार नेताम

62 वर्षीय रामविचार नेताम का जन्म 1 मार्च 1961 को सरगुजा के सनावल गांव में हुआ था. नेताम पहले बैंक में काम करते थे और बाद में शिक्षक बन गये थे. 1990 में नेताम पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद 1993, 1998, 2003 में पाल सीट से और परिसीमन के बाद 2008 और 2023 में रामानुजगंज से विधायक चुने गये. आदिवासी नेता को बीजेपी ने 2016 में राज्यसभा भेज दिया था, जहां वो 2022 तक उच्च सदन के सदस्य रहे. नेताम पूर्वत्तर रमन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.

3. ओपी चौधरी

42 साल के पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी का जन्म 2 जून 1981 को हुआ था. बीएससी भिलाई से करने के बाद चौधरी का 2005 में आईएएस में चयन हुआ था. लेकिन 2018 में वो जिलाधिकारी के पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आ गये और बीजेपी में शामिल हो गये. पार्टी ने उन्हें उसी साल रायगढ़ की खरसिया सीट से विधानसभा चुनाव में उतार दिया, जहां वो कांग्रेस प्रत्याशी उमेश पटेल से 16, 967 मतों से हार गये.

हालांकि, 2023 के चुनाव में बीजेपी ने चौधरी को रायगढ़ सीट से मैदान में उतारा, जहां से जीतकर वो पहली बार विधायक बने हैं. चौधरी वर्तमान में प्रदेश बीजेपी में महामंत्री हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने एक जनसभा में कहा, "चौधरी को बड़ा आदमी बनाने का मेरा काम है, आप केवल इन्हें जीता दो. अपना आशीर्वाद दे दो, बाकि मेरे ऊपर छोड़ दो."

4. दयालदास बघेल

दयालदास बघेल का जन्म 1 जुलाई 1954 को हुआ था. वो पहली बार 1998 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे,लेकिन हार गये. हालांकि, 2003 में वो मारो से विधायक का चुनाव जीत गये. इसके बाद 2008, 2013, 2018, 2023 में वो नवलगढ़ सीट से चुनाव जीते. वो 2015 से 2018 तक रमन सिंह सरकार में सांस्कृति और पर्यटन विभाग के मंत्री भी रहे हैं. वर्तमान में गुरु रुद्र को हराकर बघेल विधायक बने हैं.

5. केदार कश्यप

49 साल के केदार कश्यप का जन्म 5 नवंबर 1974 को बस्तर (तात्कालीक एमपी) में हुआ था. वो 2003 में भानपुरी सीट से विधायक बने थे और रमन सिंह सरकार में राज्य मंत्री बन गये. इसके बाद 2008 और 2013 में वो नारायणपुर से चुनाव जीतकर रमन सरकार में मंत्री बने. लेकिन 2018 में वो चंदन कश्यप के हाथों चुनाव हार गये. हालांकि, 2023 में वो कश्यप नारायणपुर सीट से दोबारा चुनाव जीत गये.

केदार बीजेपी के दिवंगत वरिष्ठ नेता बलिराम कश्यप के पुत्र हैं, जबकि विधायक के बड़े भाई दिनेश कश्यप पूर्व सांसद हैं.

6. लखनलाल देवांगन

लखनलाल देवांगन (61) का जन्म 12 अप्रैल 1962 को कोरबा (तात्कालीक एमपी) में हुआ था. वो 2005 से 2010 तक कोरबा नगर निगम के मेयर थे. इसके बाद 2013 में वो कटघोरा से विधायक चुने गये और रमन सिंह सरकार में मंत्री बने. हालांकि, 2018 में वो चुनाव हार गये. लेकिन 2023 में बीजेपी ने उन्हें कोरबा सीट से मैदान में उतारा, जहां उन्होंने मंत्री जय सिंह अग्रवाल को 25, 629 वोटों से हरा दिया. लखनलाल वर्तमान में प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं.

7. टंकराम वर्मा

बलौदाबाजार से पहली बार विधायक बने टंकराम वर्मा शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं. वे सबसे पहले तिल्‍दा से जिला पंचायत सदस्‍य चुने गए, फिर रायपुर जिला पंचायत में उपाध्‍यक्ष बने. टंकराम वर्मा पिछले 30 वर्षों से सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं. विधायक बनने से पहले वे बलौदा बाजार जिला ग्रामीण बीजेपी अध्यक्ष थे.

कुर्मी समाज से आने वाले टंकराम वर्मा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश नितिन त्रिवेदी को 14 हजार से अधिक मतों से हराया था.

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दिलचस्प बात यह है कि टंकराम वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद व वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के निज सहायक रहे, एक दशक से ज्यादा समय तक टंकराम वर्मा उनके पीए के रूप में कार्य किया. इसके बाद उन्‍होंने पूर्व मंत्री केदार कश्यप के यहां पीए के तौर पर सेवाएं दीं. आखिर में पूर्व मंत्री दयालदास बघेल के यहां भी सेवाएं दीं.

8. श्याम बिहारी जायसवाल

कोरिया जिले के निवासी श्याम बिहारी जायसवाल का जन्म 1976 में हुआ था. पेशे से राइस मिल चलाने वाले जायसवाल 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गये थे. 2013 में वो पहली बार महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. लेकिन 2018 में हार गये. इस बार श्याम बिहारी जायसवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी रमेश सिंह को 11, 880 वोटों से हरा दिया है.

9.लक्ष्मी राजवाड़े

31 वर्षीय लक्ष्मी राजवाड़े सरगुजा संभाग के भटगांव से विधायक चुनी गई हैं. उन्होंने दो बार के विधायक रहे पारस नाथ राजवाड़े को करीब 44 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया है. लक्ष्मी प्रदेश की सबसे युवा मंत्रियों में से एक हैं.

लक्ष्मी राजवाड़े कृषक परिवार से है. हायर सेकेंडरी तक शिक्षा हासिल करने वाली लक्ष्मी राजवाड़े मूलतः सूरजपुर जिले के ग्राम बीरपुर, सिलफिली तहसील लटोरी की निवासी हैं. वो पहली बार विधायक बनी हैं. वो वर्मतान महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हैं.

बीजेपी ने मंत्रिमंडल विस्तार में नए, पुराने और युवा तीनों वर्गों का सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है.

क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश

बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार में 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर क्षेत्रीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है. पार्टी ने सरगुजा संभाग से तीन विधायकों को मंत्री बनाया है, जिसमें लक्ष्मी राजवाड़े- भटगांव, राम विचार नेताम रामानुजगंज और श्याम बिहारी जायसवाल मनेंद्रगढ़ से हैं. बस्तर के नारायणपुर से केदार कश्यप, बिलासपुर संभाग से लखन लाल देवांगन, ओ पी चौधरी हैं. दुर्ग संभाग से दयालदास बघेल, रायपुर संभाग से बृजमोहन और टंकराम वर्मा का नाम शामिल है.

आकंड़ों के अनुसार, बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा की सभी 14 सीटों पर कब्जा जमाया है. यहां 2018 में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी.

बिलासपुर संभाग में कांटे की टक्कर देखने को मिली. यहां की 24 में से 10 सीट पर बीजेपी और 14 पर कांग्रेस को जीत मिली है.

दुर्ग की 20 सीटों में से 10-10 बीजेपी और कांग्रेस के खाते में गई जबकि रायपुर संभाग में बीजेपी ने 20 में से 12 सीटों पर कब्जा किया है और कांग्रेस ने आठ सीटों पर जीत हासिल की है.

बस्तर संभाग की 12 में 9 सीटों पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस का कब्जा हुआ है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरगुजा, उपमुख्यमंत्री अरुण साव बिलासपुर और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा दुर्ग संभाग से आते हैं.

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में जातीय समीकरणों को कैसे साधा?

राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 39 आरक्षित हैं, जिसमें 29 एसटी और 10 एससी वर्ग के लिए हैं. 51 सीटें सामान्य हैं. इनमें से भी 11 सीटों पर SC जातीय का प्रभाव है. प्रदेश की आधी सीटों पर सबसे ज्यादा प्रभाव ओबीसी का है. चूंकि, 47 फीसदी आबादी ओबीसी है, इसलिए एक चौथाई विधायक इसी वर्ग से आते हैं.

बीजेपी ने भी राज्य के कास्ट पॉलिटिक्स को कैबिनेट विस्तार में साधने की कोशिश की है. कुल 12 मंत्रियों में 6 ओबीसी, तीन एसटी, दो सामान्य और एक एससी वर्ग के नेता को मंत्री बनाया है. इसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एसटी वर्ग से आते हैं जबकि उपमुख्यमंत्री अरुण साव ओबीसी और डिप्टी सीएम विजय शर्मा सामान्य कैटेगरी से आते हैं.

बीजेपी ने दुर्ग संभाग से आने वाले पूर्व सीएम रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर राजपूतों को भी साधने की कोशिश की है, जो राजनांदगांव से चुनाव जीते हैं.

वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव के नजरिये से बीजेपी ने लोकसभा क्षेत्रों से भी प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है. वर्तमान में राज्य की 11 में से 9 सीट पर बीजेपी का कब्जा है.

सीएम विष्णुदेव साय की लोकसभा रायगढ़ है, रामविचार नेताम (सरगुजा), श्याम विहारी जायसवाल (कोरबा), लक्ष्मी राजवाड़े (सरगुजा), अरुण साव (बिलासपुर), ओपी चौधरी (रायगढ़), लखनलाल देवांगन (कोरबा), बृजमोहन अग्रवाल (रायपुर), टंकराम वर्मा (रायपुर), विजय शर्मा (राजनांदगांव), दयालदास बघेल (दुर्ग) और केदार कश्यप (बस्तर) से आते हैं.

हालांकि, कांकेर, जांजगीर और महासमुंद लोकसभा कवर नहीं हो पाए.

इस बीच, किरण सिंह देव को छत्तीसगढ़ बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर भी पार्टी ने जातीय समीकरण साधने के साथ युवा वोटर्स को साधने की कोशिश की है. सिंह बस्तर सीट से पहली बार विधायक बने हैं. वो डिप्टी सीएम अरुण साव की जगह प्रदेश संगठन की कमान संभालने जा रहे हैं.

विक्रम उसेंडी के बाद किरण सिंह देव दूसरे नेता हैं, जिन्हें बीजेपी ने राज्य ईकाई की कमान सौंपी है. युवा मोर्चा से राजनीति की शुरुआत करने वाले देव वर्तमान में प्रदेश बीजेपी के महासचिव हैं और 2014 से 2019 तक जगदलपुर नगर निगम के मेयर रह चुके हैं.

कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सरकार गठन के साथ ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी. पार्टी ने राज्य में सभी वर्गों को सरकार के जरिए साधने का प्रयास किया है. राज्य बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी प्रदेश की सभी 11 सीटों पर 2024 में चुनाव जीतेगी. बता दें कि 2014 में बीजेपी को राज्य की 11 में से 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

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Published: 22 Dec 2023,12:51 PM IST

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